शिक्षकों के अभाव में शिक्षा व्यवस्था हुई चौपट, अब मिड डे मील के भी लाले
एक महीने से प्राथमिक विद्यालय चकभिठारा में नहीं बन रहा मिड डे मील अभिभावकों के मुताबिक इस संबंध में उन्होंने पर्सनल फोन नंबर पर खंड शिक्षा अधिकारी भावल खेड़ा को कई बार अवगत कराया लेकिन कोई बदलाव विद्यालय में नजर नहीं आया। एक अभिभावक ने बताया कि उसने इस संबंध में जिला अधिकारी उमेश प्रताप सिंह को भी अवगत कराया है जबकि सरकार के सख्त दिशानिर्देश हैं
शाहजहांपुर।
उत्तर प्रदेश में शिक्षकों के अभाव के चलते नौनिहालों की शिक्षा व्यवस्था चौपट होती चली जा रही है। एक एक टीचर पर सौ- सौ बच्चों को शिक्षित करने की जिम्मेदारी है जबकि नियमानुसार प्राथमिक विद्यालय में एक टीचर पर अधिकतम 35 बच्चों की जिम्मेदारी होनी चाहिए और इसी के अनुसार प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक तैनात होने चाहिए। लेकिन शिक्षकों के अभाव में ऐसा हो पाना असंभव है। जिसके चलते नौनिहालों की शिक्षा व्यवस्था चौपट होती चली जा रही है और उनका भविष्य अंधकार में है अब उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित मिड डे मील योजना भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लचर व्यवस्था के चलते लड़खड़ा गई है ।जिसके चलते अब प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को मिड डे मील के भी लाले पड़ गए हैं ।
सरकार की तरफ से मिल रहे मिड डे मील का पैसा और राशन कौन खा रहा है? यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है। सरकार ने मिड डे मील और उपस्थित बच्चों की प्रतिदिन ऑनलाइन रिपोर्ट प्रेषित करने का प्रावधान किया है। फिर क्या प्रधानाध्यापक शासन को झूठी रिपोर्ट प्रेषित करते हैं या फिर शासन की नजरों में होने के बावजूद स्कूली बच्चों को मिड-डे मील नहीं मिल पा रहा है और यह हाल लगभग भावल खेड़ा क्षेत्र के 50 परसेंट प्राथमिक विद्यालयों का है । बात कर रहे हैं भावल खेड़ा ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय चकभिठारा की यहां लगभग 200 बच्चे अध्ययनरत हैं।
और दो टीचर तैनात हैं। जिनमें प्रधानाध्यापक को छोड़ दिया जाए तो दूसरी टीचर ऑपरेशन होने के कारण काफी दिनों से अस्वस्थ रहती हैं और उनका ऑपरेशन होने के कारण आज भी स्वास्थ्य खराब रहता है। जिसके चलते प्रधानाध्यापक पर ही 200 बच्चों को शिक्षित करने की जिम्मेदारी है। जिन्हें पढ़ाना तो दूर की बात रोकना प्रधानाध्यापक के लिए मुश्किल है । ऐसी स्थिति में शिक्षकों के अभाव के कारण एक तरफ बच्चों का भविष्य चौपट हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ मिड डे मील के लिए भी अब बच्चों को लाले पड़ गए हैं ।जहां लगभग 1 महीने से बच्चों के मुताबिक मिड डे मील नहीं बन रहा है और यह पहली बार ऐसा नहीं है ।इससे पहले भी अभिभावकों के मुताबिक महीने में 10 या 15 दिन ही मिड डे मील बनता है ।
महीनों से सूनी पड़ी रसोई घर जवाब दे रही है। कि यहां 1 महीने से खाना नहीं बना है ।रसोईया बताती हैं कि जब राशन ही नहीं आता तो खाना कहां से बनेगा।प्रधानाध्यापक राकेश कुमार से जब इस संबंध में अधिक जानकारी चाही गई तो वह कुछ बोलने को राजी नहीं हुए और बोले राशन कम मिलता है ।एक महीने का राशन 10 दिन में बच्चे खा जाते हैं। कहां से प्रतिदिन मिड डे मील बन पाएगा। अभिभावकों के मुताबिक इस संबंध में उन्होंने पर्सनल फोन नंबर पर खंड शिक्षा अधिकारी भावल खेड़ा को कई बार अवगत कराया लेकिन कोई बदलाव विद्यालय में नजर नहीं आया।
एक अभिभावक ने बताया कि उसने इस संबंध में जिला अधिकारी उमेश प्रताप सिंह को भी अवगत कराया है जबकि सरकार के सख्त दिशानिर्देश हैं कि विद्यालय में प्रतिदिन मिड डे मील बनना चाहिए। और राशन के अभाव में ग्राम प्रधान और कोटेदार राशन की व्यवस्था करेगा साथ ही इस संबंध में जिलाधिकारी उमेश प्रताप सिंह ने संबंधित अधिकारियों को समय-समय पर स्कूल चेक करने के भी निर्देश दिए हैं।
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