हथेली पर जान रखने का मतलब

हथेली पर जान रखने का मतलब

हथेली पर जान रखने का मतलब


 राकेश अचल  


नया साल खतरों की आहत लेकर आया है ,लेकिन हम हैं कि जान हथेली पर रखकर घूम रहे हैं.खतरा कोरोना के भाई   ओमीक्रॉन से है. ओमीक्रॉन की लहरें उठने लगी हैं किन्तु हमें दिखाई नहीं दे रहीं .परस्पर विरोधी सूचनाओं की वजह से हम इस नए संकट को लेकर बेफिक्र हैं,लेकिन जरूरी है कि हम पुराने अनुभव से सीख लें और फौरन अपने-अपने दड़बों में वापस लौट जाएँ.

आप मानें या न मानें किन्तु दुनिया में ओमीक्रॉन की लहरें उठने लगी हैं . फ्रांस में पिछले चार दिनों से दो लाख से ज्यादा नए मामले मिल रहे हैं। शनिवार को भी 2,19,126 नए मामले पाए गए। एक दिन पहले रिकार्ड 2,32,200 मामले सामने आए थे। कोरोना, खासकर ओमिक्रोन से बढ़ते खतरे पर चिंता जताते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) प्रमुख टेड्रोस अढानम घेब्रेयेसस ने कोरोना महामारी को खत्म करने के लिए टीकाकरण और अन्य साधनों में देशों के बीच समानता पर जोर दिया है।

कोरोना के क्रूर हाथों 8  लाख  से ज्यादा लोगों की जान गंवा चुके अमेरिका में ही ओमीक्रॉन आक्रामक तरीके से वापस लौटा है अमेरिका में कोरोना संक्रमितों की बड़ी संख्या के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। देश भर के अस्पतालों में मरीजों की भारी भीड़ है। आइसीयू में 78 प्रतिशत बेड भर चुके हैं। सीडीसी के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में बीते सात दिनों में 2,213,940 नए मामले आए हैं। अमेरिका में अब तक 53,795,407 संक्रमित मिल चुके हैं और महामारी से 820,355 मौतें हो चुकी हैं।  रायटर की रिपोर्ट के मुताबिक अकेले फ्लोरिडा में एक दिन में रिकार्ड 75,900 मामले आए हैं।

दुनिया को छोड़िये ,आप वापस भारत लौटिए और देखिये कि यहाँ भी ओमीक्रॉन की चाल तेजी से बढ़ रही है और उसे हमारी लापरवाही की वजह से अपने शिकार खोजने में आसानी हो रही है .मुंबई में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. पिछले 24 घंटे की बात करें तो शनिवार को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में 6347 नए कोविड केस दर्ज किए गए हैं. जबकि एक दिन पहले ये आंकड़ा 5631 तक था. इस हिसाब से एक दिन में 12 फीसदी मामले बढ़े हैं. वहीं, अगर महाराष्ट्र की बात करें तो राज्य में शनिवार को 9170 कोरोना के नये मामले सामने आए हैं और संक्रमण से 7 मरीजों की मौत हुई है. इसके अलावा ओमिक्रॉन के 7 नए मामले सामने आए हैं. अगर राज्य में ओमिक्रॉन के कुल मामलों की बात करें तो 460 मामले हो चुके हैं. मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में कोरोना के केस तमाम पाबंदियों के बीच बढ़ रहे हैं.

ओमीक्रॉन एक हकीकत है और इससे जुडी खबरों पर यकीन करना भी आवश्यक है ,ये खबरें आपको भयभीत करने के लिए आरोपित नहीं की जा रहीं हैं,हालांकि बहुत से लोगों की धारणा है कि इस ओमीक्रॉन के पीछे कोई मानवीय साजिश है,बाजार के हित हैं .हो भी सकते हैं लेकिन जिस तरिके से कोरोना काल में लोग ' कुत्तों की मौत ' मरे थे उसे तो झुठलाया नहीं जा सकता इसलिए सावधानी बहुत जरूरी है .

ताजा खबरों के मुताबिक़ देश में कोरोना महामारी की तीसरी लहर का खतरा बढ़ता जा रहा है। लगभग तीन महीने बाद एक दिन में 20 हजार से अधिक नए मामले पाए गए हैं और सक्रिय मामलों का आंकड़ा भी एक लाख को पार कर गया है। दो दिन में ही 10 हजार से नए मामले बढ़कर 20 हजार को पार कर गए हैं। दिल्ली और मुंबई में कोरोना संक्रमण के माले 48 घंटे में ही दोगुना हो गए हैं। गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र में तेजी से संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। ओमिक्रोन की स्थिति भी खराब हो रही है और नए वैरिएंट के कुल 1,534 मामले हो गए हैं।

महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने शनिवार को बताया कि राज्य के 10 से अधिक मंत्री और कम से कम 20 विधायक कोरोनासे संक्रमित हो चुके हैं। यही कारण है कि सरकार ने राज्य विधानमंडल का सत्र छोटा कर दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य में ओमिक्रोन तेजी से फैल रहा है इसलिए सतर्क रहने की जरूरत है।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शनिवार सुबह आठ बजे अपडेट किए गए आंकड़ों के मुताबिक बीते 24 घंटे में 22,775 नए मामले सामने आए हैं। छह अक्टूबर को 22,431 नए केस मिले थे। नए मामलों में तेज बढ़ोतरी के चलते सक्रिय मामले भी बढ़कर 1,04,781 हो गए हैं जो कुल मामलों का 0.30 प्रतिशत है। इससे पहले 30 नवंबर को सक्रिय मामलों की संख्या 1,00,543 थी।

हैं नहीं भूलना चाहिए कि कोरोना से भारत में पांच लाख से ज्यादा लोग काल कवलित हुए थे .कोई दवा की कमी से मरा था ,तो कोई आक्सीजन की कमी से .सब असहाय थे,चाहे आम आदमी हो या ख़ास आदमी .कोरोना ने एक बार जिसे अपनी गिरफ्त में ले लिए था उसे आसानी से छोड़ा नहीं था .अब ये गलती न दोहराई जाये इसके लिए आवश्यक है कि हम सरकार के भरोसे न बैठें ,अपनी जान की सुरक्षा अपने आप करें ,और इसके लिए वापस अपने अनुशासन में लौट जाएँ .
आपको यकीन नहीं होगा कि पिछले हादसे के बावजूद आज भी देश में आक्सीजन और अस्पतालों में बिस्तरों की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है.

देश में अनेक शैक्षणिक संस्थानों ने अपने यहां शैक्षणिक पाठ्यक्रम  बंद कर अस्पताल   खोल लिए हैं बावजूद इसके इंतजाम नाकाफी हैं. आनन-फानन में लगाए गए आक्सीजन संयत्र खुद वेंटिलेटर पर हैं .आपको संकट आने पर आक्सीजन मिलेगी इसकी कोई गारंटी नहीं है,क्योंकि जितनी भी आक्सीजन है उसमें से अधिकाँश भाषणों तक सीमित है .यदि ऐसा न होता तो महाराष्ट्र सरकार भयभीत न होती. महाराष्ट्र सरकार ने आशंका जताई है कि जनवरी के तीसरी सप्ताह तक राज्य में कोरोना वायरस के 80 लाख मामले आ सकते हैं और 80 हजार लोगों की मौत हो सकती है।

भारत में केंद्र और राज्यों की सरकारों ने एहतियात बरतना शुरूकर दिए हैं .रात का कर्फ्यू कब दिन में भी लागू करना पड़े कोई नहीं जानता,सरकार भी नहीं ,इसलिए बेहतर है कि हम भी अपनी और से एहतियात को अपने जीवन का अंग बना लें हमें ये मानने में कोई शर्म नहीं है कि हमारे यहां चिकित्सा प्रबंध अमेरिका के मुकाबले न बेहतर हैं और न पर्याप्त ऐसे में मौत के मुंह में खुद को धकेलने से बेहतर है कि हम बचाव अपनाएं और अपनी पूरी जिंदगी जियें .दूसरों का तो पता नहीं लेकिन मै फिर से एहतयात की चादर ओढ़ने जा रहा हूँ .मै नव वर्ष पर किसी पूजाघर या पर्यटन स्थल पर नहीं गया. जो गए वे बहादुर और खुशकिस्मत लोग हैं ,लेकिन उन्हें भी अपना पुरुषार्थ बचाकर रखना चाहिए .

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