देश Corona जैसी भंयकर महामारी से जूझ रहा,एक कदम आत्मनिर्भरता की ओर

देश Corona जैसी भंयकर महामारी से जूझ रहा,एक कदम आत्मनिर्भरता की ओर

आज पूरा विश्व और हमारा देश कोरोना जैसी भंयकर महामारी से जूझ रहा है।जिसके कारण हमारी अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गई है। देश आर्थिक संकट से जूझ रहा है। उद्योग धंधे बंद है। दो महीने से ज्यादा लोकडाऊन होने के चलते सारी व्यवस्थाएं चरमरा गई है ,जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव मध्यमवर्गीय परिवारो पर पडा

आज पूरा विश्व और हमारा देश कोरोना जैसी भंयकर महामारी से जूझ रहा है।जिसके कारण हमारी अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गई है। देश आर्थिक संकट से जूझ रहा है। उद्योग धंधे बंद है। दो महीने से ज्यादा लोकडाऊन होने के चलते सारी व्यवस्थाएं चरमरा गई है ,जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव मध्यमवर्गीय परिवारो पर पडा है।बेसक आज चाहे सरकार ने लोकडाऊन खोल दिया है और उद्योग धंधों को चलाने की स्वीकृति प्रदान कर दी है ,

लेकिन पुनः उस रफ्तार को हासिल करने मे कम से कम एक साल लग जाएगा।उद्योग धंधे चौपट होने के कारण देश मे सबसे बडा प्रभाव प्राईवेट सैक्टर मे काम करने वाले कर्मचारियों को छंटनी के रूप मे भुगतना पडेगा।सरकार कितनी भी अपील कर ले कि प्राईवेट सैक्टर  कर्मचारियों की छंटनी ना करे,प्राईवेट कंपनियों ने आर्थिक मंदी को हथियार बनाकर कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी है जिसका परिणाम आने वाले समय मे देश मे बढी हुई बेरोजगारी दर के रूप मे देखने को मिलेगा।

ऐसे मे हमारे सामने सबसे बडा सवाल उठता है कि ऐसे क्या कदम उठाए जाऐ जिससे हम देश की आर्थिक स्थिति को नुकसान पहुंचाए बिना लोगो को रोजगार उपलब्ध करवा सके।”मन की बात”कार्यक्रम में हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र श्री मोदी जी ने एक शब्द “आत्मनिर्भरता” का बार बार जिक्र किया कि हमे आत्मनिर्भर बनना होगा।

हमारे देश की जनसंख्या और संसाधनों को देखते हुए प्रत्येक व्यक्ति को सरकारी रोजगार पहुंचाना संभव नहीं है,लेकिन हमारे देश कि प्रतिभा और संसाधनों को देखते हुए हम युवाओं को स्वरोजगार के लिए कौशल निपुणता की की ट्रेनिंग देकर उन्हें कम से कम उस स्थान पर पहुंचा सकते है जहां से वे अपने परिवार की आवश्यकताओं को पूरा कर सके।आज हमारा युवा कृषि और पशुपालन से दूर भागता जा रहा है।हमे बडे औद्योगिक घरानों की बजाय पशुपालन और कृषि क्षेत्र मे रूचि रखनेवाले लोगों को स्वालंबी बनाना होगा और कम से कम ब्याज पर उन्हें ऋण उपलब्ध करवाकर ग्रामीण क्षेत्रों मे स्वदेशी बाजार शुरू करने होंगे।जिससे युवाओं को गांव मे ही रोजगार उपलब्ध हो सकेगा व लोगो का गांव से शहरों की ओर पलायन रुकेगा।दुसरी ओर हमे ग्राम स्तर पर मनरेगा के माध्यम से लोगो उनकी योग्यता ओर रुचि के अनुसार  उनकी पहचान कर उन्हें प्रशिक्षण दिलवाना होगा जिससे वो अपने अपने कार्य मे दक्षता हासिल कर सके।

आत्मनिर्भरता के लिए सबसे महत्वपूर्ण है” शिक्षा”।अतः सरकार को सबसे पहले शिक्षा क्षेत्र मे बहुत बडे बदलाव करने होंगे।सरकारी विद्यालयों मे अध्यापको के हजारों पद रिक्त पडे रहते है जिन पर सरकार स्थाई भर्ती ना करके रिटायर्ड कर्मचारियों को ही दोबारा रख रही है,यही हाल अन्य विभागों का भी है।जिसके कारण देश मे शिक्षित पात्र बेरोजगारों को मौका नहीं मिल पाता।परिणामस्वरूप देश मे हर साल बेरोजगारी दर बढती जा रही है।

अतः सरकार को भी रिटायर्ड कर्मचारियों के स्थान पर पात्र युवाओं को मौका देना चाहिए जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके।वहीं देश के नेताओं और आम जनता को फ्री मे सुविधाएं ना देकर उन्हें उनके प्रशिक्षण पर खर्च करके उन्हें इस काबिल बनाना होगा की उन्हें किसी भी आवश्यक सेवा के लिए फ्री का इंतजार ही ना करना पडे।

भगवत कौशिक

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