“संक्रमण काल में नकारात्मकता का ज़हर”

“संक्रमण काल में नकारात्मकता का ज़हर”

देश एवं प्रदेश की सरकारें जहाँ कोरोना वायरस के संक्रमण में आये लोगों को सुरक्षित करने के अपने लक्ष्य में जुटी है वहीं कुछ लोग हैं जो इसे सफ़ल नहीं होने देना चाहते हैं, मुरादाबाद ज़िले के थाना नागफ़नी क्षेत्र के हॉटस्पॉट नवाबपुरा में गयी पुलिस एवं स्वास्थ्यकर्मियों की टीम के ऊपर भीड़ ने हमला

देश एवं प्रदेश की सरकारें जहाँ कोरोना वायरस के संक्रमण में आये लोगों को सुरक्षित करने के अपने लक्ष्य में जुटी है वहीं कुछ लोग हैं जो इसे सफ़ल नहीं होने देना चाहते हैं, मुरादाबाद ज़िले के थाना नागफ़नी क्षेत्र के हॉटस्पॉट नवाबपुरा में गयी पुलिस एवं स्वास्थ्यकर्मियों की टीम के ऊपर भीड़ ने हमला बोला, पथराव किया एवं टीम की दो गाड़ियों को क्षतिग्रस्त कर दिया..हैवानियत यहीं नहीं रुकी, यहाँ तक कि टीम में शामिल एक चिकित्सक को गाड़ी से खींचकर उपद्रवियों ने जमकर पीटा।

पहले भी पुलिस द्वारा टेस्टिंग के लिए बस में बिठाए जाने के दौरान सुरक्षाकर्मियों पर थूक कर उन्हें संक्रमित करने जैसी शर्मनाक हरकत हो चुकी है..भीषण संकट के इस दौर में जब सुरक्षित रहने के लिए सब ने अपने घरों में ख़ुद को क़ैद किया हुआ है, ऐसे संक्रमण काल में योद्धा की भाँति आम जनमानस के हित में दिन-रात सेवाएँ प्रदान कर रहे देवतुल्य चिकित्सकों एवं सजग सुरक्षाकर्मियों के साथ ऐसा घटिया बर्ताव निश्चित ही अक्षम्य है।

कोरोना के जाने के बाद जब खोया-पाया का हिसाब होगा तब सबसे अहम बात होगी कि अपने अटल प्रयासों से जब देश में डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ़, पुलिस एवं सफाईकर्मी इस कोढ़ के खिलाफ़ जान पर खेलकर जंग लड़ रहे थे तभी देश में एक ऐसा वर्ग भी था जो नित्य अपनी घटिया करतूतों से समाज में आ रहे सकारात्मक बदलाव के वातावरण में नकारात्मकता का ज़हर घोल रहा था..

किसी का अहंकार ज़्यादा समय तक नहीं टिका, एक दिन कोरोना का अहंकार भी टूटेगा, मानवता एवं विज्ञान का संचित ज्ञान इस चीनी विषाणु का निदान अवश्य ढूँढ़ लेगा फ़िर होगी जिजीविषा की विजय..लेकिन इन सब से अलग कभी-कभी महसूस होता है कि हम विश्वगुरू बनने को पुनः अग्रसर हैं लेक़िन फ़िर हम पाते हैं कि हमारे बीच में कुछ ऐसे लोग हैं जो थूकबाज़ी का खेल खेलकर एक बड़े जनसमूह को संक्रमित करने की मंशा रखते हैं, जो हमारी पुनः स्वस्थ होने की जिजीविषा की हत्या करना चाहते हैं, हम ऐसे देश में रहते हैं जहाँ केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा ज़ारी की गई गाइडलाइंस में यह भी लिखना पड़ता है कि ‘सार्वजनिक स्थलों पर थूकना अब दण्डनीय अपराध है’ !

प्रश्न यह है कि क्या लोग स्वयं से ये नहीं समझ सकते हैं कि सार्वजनिक स्थलों पर ऐसा उत्सर्जन हानिकारक है, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए..उत्तर है नहीं। हमने शायद ठान लिया है कि एक नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों की सदैव अवहेलना करेंगे एवं इसकी प्रतिक्रिया में जब दाण्डिक प्रकिया प्रारंभ होगी तो अधिकारों की दुहाई देने लग जायेंगे, शुरू कर देंगे अपने ‘ह्यूमन राइट्स का रोना’..घटना इंदौर की हो या मुरादाबाद की एक बात स्पष्ट है कि जो भी इस घटना के ज़िम्मेदार हैं उनका एक विद्रूप चेहरा सामने आया है, ऐसे लोगों ने एवं उनकी मीडियाबाज़ी कर रहे उनके पैरोकारों ने अपने समाज के लिए एक बड़ी खांई खोद ली है..

टीवी की प्राइम टाइम डिबेट में हल्ला मचाने वाले ठेकेदारों ने इन घटनाओं पर चुप्पी साध ली है या यूँ कहें कि मूक बधिर बने पृष्ठद्वार से समर्थन दे रहे हैं..अफ़सोस की बात तब तो और भी होगी जब कि इन कुकर्मियों के ज़ाहिलपन की सजा उनकी आने वाली पीढ़ियों को भुगतनी पड़ेगी।

लेखक – इन्द्र दमन तिवारी
तरबगंज, गोण्डा

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