जिला पंचायत राज अधिकारी निलंबित, लखनऊ मुख्यालय से किया अटैच

जिला पंचायत राज अधिकारी निलंबित, लखनऊ मुख्यालय से किया अटैच

कलान में हुए लगभग 1577963 रुपए के गवन मे हुई कार्रवाई


स्वतंत्र प्रभात 
 


अरविन्द त्रिपाठी

शाहजहांपुर

इस पूरे प्रकरण में 10 लोगों के विरुद्ध दर्ज हुई थी एफआईआर

शासन द्वारा जिला पंचायत राज अधिकारी शाहजहांपुर पवन कुमार को निलंबित कर दिया गया है।शासन ने उन्हें लखनऊ मुख्यालय से अटैच किया है। ए सी एस (अपर मुख्य सचिव) मनोज कुमार की ओर से इस संबंध में लेटर जारी किया गया है। नगर पंचायत बन चुकी ग्राम पंचायत रफियाबाद कलान के खाते से 11 व 12 अगस्त को 1577963 रुपये का फर्जी भुगतान किया गया था।

 यह मामला सितंबर में प्रकाश में आया था। वहीं भारत परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अजीत कुमार सिंह की शिकायत पर शासन स्तर द्वारा जांच कराई गई थी।मामले की जांच उपनिदेशक पंचायत देवीपाटन मंडल गोंडा आर एस चौधरी ने की थी।


 उक्त जांच में आरोपों की पुष्टि होने के बाद जिला पंचायत राज अधिकारी पवन कुमार ने कलान की ब्लाक प्रमुख रुचि वर्मा, उनके पति राहुल वर्मा, निलंबित ग्राम पंचायत अधिकारी अरुण निगम, तत्कालीन एडीओ पंचायत धनराज पटेल, शाहजहांपुर के एडीपीएम देवीलाल मौर्य,कलान के कंप्यूटर ऑपरेटर केसरी नंदन,पूर्व ब्लाक प्रमुख पुत्र पंकज गुप्ता,संजीव कुमार,गुड्डू,पीयूष गुप्ता सभी 10 लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था। 

इस मामले में कंप्यूटर ऑपरेटर केसरी नंदन एडीपीएम देवीलाल मौर्य को जेल भेजा जा चुका है। वहीं जिला पंचायत राज अधिकारी पवन कुमार ने एडीओ पंचायत प्रेम सागर यादव को बचाने के लिए मिर्जापुर स्थानांतरित कर दिया था।तत्कालीन एडीओ पंचायत धनराज पटेल को निलंबित किया गया।जिला पंचायत राज अधिकारी शाहजहांपुर पवन कुमार की लापरवाही सामने आने पर उनके विरुद्ध शासन से निलंबन की कार्रवाई की गई है।

यह था पूरा मामला


बीते नवंबर 2020 में ग्राम पंचायत रफियाबाद कलान नगर पंचायत कलान घोषित की जा चुकी थी।उस समय ग्राम पंचायत रफियाबाद कलान की ग्राम निधि के खाते में पूर्व से अवशेष धनराशि पड़ी थी। बताते हैं कि 11 एवं 12 अगस्त 2021 को ई- स्वराज पोर्टल के माध्यम से ग्राम निधि के खाते से 1577963 रू० फर्जी तरीके से व्यक्तिगत व फर्मो के खाते में ट्रांसफर कर निकाल लिए गए।जांच आख्या में ई 


ग्राम स्वराज पोर्टल पर चेकर के रूप में ब्लॉक प्रमुख रुचि वर्मा के डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट का प्रयोग किया गया तथा मेकर के रूप में निलंबित ग्राम पंचायत अधिकारी अरुण कुमार निगम के डोंगल का प्रयोग कर उपरोक्त धन का आहरण कर धनराशि डकार ली गई थी।


इस पूरे मामले में जिला पंचायत राज अधिकारी पवन कुमार की शिथिलता व लापरवाही को देखते हुए शासन ने उन्हें निलंबित कर दिया है।


क्या थी डीपीआरओ की लापरवाही


11 व 12 अगस्त को ई स्वराज पोर्टल के माध्यम से ग्राम निधि के खाते में पड़ी अवशेष धनराशि 1577963 रुपए निकालने की शिकायत तत्कालीन ग्राम पंचायत अधिकारी सचिव शशि बिंदपाल ने 19 अगस्त को जिला पंचायत राज अधिकारी शाहजहांपुर से की थी। तो जिला पंचायत राज अधिकारी ने ग्राम पंचायत अधिकारी शशिबिन्दपाल की शिकायत पर संज्ञान क्यों नहीं लिया ? 


जिला पंचायत राज अधिकारी पवन कुमार ने लापरवाही व शिथिलता बरतते हुए इस मामले को एक सप्ताह तक दबाए बैठे रहे। उन्होंने उच्चाधिकारियों को इस गवन के मामले से अवगत नहीं कराया।जब भारत परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अजीत कुमार सिंह ने 25 अगस्त को शिकायत की।

तब उसी शिकायत को आधार बनाकर जांच की गई। जब इस मामले में मुकदमा पंजीकृत कराया गया। तो जिला पंचायत राज अधिकारी ने एडीओ पंचायत प्रेम सागर यादव के विरुद्ध मुकदमा दर्ज क्यों नहीं कराया ?


 जबकि उपनिदेशक पंचायत देवीपाटन मंडल गोंडा आर एस चौधरी की जांच आख्या में एडीओ पंचायत प्रेम सागर यादव की भूमिका संदिग्ध होना बताया गया। इस पूरे गबन के मामले में कई ऐसे यक्ष प्रश्न है। जिसका जवाब किसी भी अधिकारी के पास नहीं है।


 

एडीओ पंचायत प्रेम सागर यादव पर डीपीआरओ ने क्यों नहीं दर्ज कराई एफआईआर ?

कलान-शाहजहांपुर

जिला पंचायत राज अधिकारी शाहजहांपुर पवन कुमार जो कि अब शासन द्वारा निलंबित किए जा चुके हैं। डीपीआरओ शाहजहांपुर पवन कुमार ने एडीओ पंचायत प्रेम सागर यादव के विरुद्ध मुकदमा दर्ज क्यों नहीं कराया ? जबकि उपनिदेशक पंचायत देवीपाटन मंडल गोंडा आर एस चौधरी की

 10 पन्नों की जांच आख्या में साफ लिखा गया है कि एडीओ पंचायत कलान प्रेम सागर यादव की भूमिका संदिग्ध है। यह भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है। इसके बावजूद भी प्रेम सागर यादव के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई । जिससे निष्पक्ष कार्रवाई पर प्रश्न चिन्ह लगता है।

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