
टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान के तहत मदरसों मे टीबी व कोविड 19 की जांच के लिए हुई स्क्रीनिंग
संवाददाता – सुशील कुमार द्विवेदी इटियाथोक,गोण्डा- टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान के तहत इटियाथोक ब्लाक क्षेत्र के कई मदरसों मे टीबी व कोविड-19 की जांच के लिए टीम द्वारा स्क्रीनिंग की गई। उक्त जानकारी देते हुए इटियाथोक सीएचसी की अधीक्षक डॉ० स्वेता त्रिपाठी ने बताया कि इसके तहत क्षेत्र के पारासराय, ज्वाला पुरवा, सेखुई, गनवरिया
संवाददाता – सुशील कुमार द्विवेदी
इटियाथोक,गोण्डा-
टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान के तहत इटियाथोक ब्लाक क्षेत्र के कई मदरसों मे टीबी व कोविड-19 की जांच के लिए टीम द्वारा स्क्रीनिंग की गई।
उक्त जानकारी देते हुए इटियाथोक सीएचसी की अधीक्षक डॉ० स्वेता त्रिपाठी ने बताया कि इसके तहत क्षेत्र के पारासराय, ज्वाला पुरवा, सेखुई, गनवरिया आदि जगहों पर स्क्रीनिंग हुई है जो क्षेत्र में आगे भी जारी रहेगा।
अधीक्षक ने कहा की क्षेत्र को टीबी मुक्त बनाने के उद्देश्य से माहभर चलने वाला अभियान इन दिनों यहां चल रहा है।
उन्होंने बताया कि यह अभियान क्षेत्र में 26 दिसंबर 2020 से शुरू है जो आगामी 25 जनवरी 2021 तक चलेगा। अधीक्षक ने कहा इसमे टीबी के साथ-साथ कोरोना की भी जाँच की जा रही है।
उन्होंने बताया कि एक माह तक 3 चरणों में चलाए जाने वाले इस अभियान में कोविड-19 और टीबी संदिग्धों की स्क्रीनिंग, एचआइवी एवं डायबिटीज की स्क्रीनिंग के साथ-साथ निजी चिकित्सकों को टीबी संबंधित जानकारी दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि अभियान का मुख्य लक्ष्य अधिक से अधिक लोगों तक क्षय रोग की उपलब्ध सुविधाओं को पहुंचाना है। यदि किसी व्यक्ति को 2 हफ्तों से ज्यादा की खांसी, खांसते समय खून का आना, सीने में दर्द, बुखार, वजन का कम होने की शिकायत हो, तो वह तत्काल अपने बलगम की जांच कराए।
अधीक्षक ने कहा कि 3 सप्ताह से अधिक खांसी, बुखार जो खासतौर पर शाम को बढ़ता है, छाती में दर्द, वजन का घटना, भूख में कमी, बलगम के साथ खून आना, फेफड़ों का इंफेक्शन बहुत ज्यादा होना, सांस लेने में दिक्कत आदि टीबी रोग के लक्षण है। उन्होंने कहा कि टीबी के निदान हेतु यह जरूरी है कि जीवाणु का पता लगाने के लिए लगातार 3 दिन तक कफ की जाँच करवाई जाए।
क्षय रोगी को कम से कम छ: महीने तक दवा लगातार लेनी चाहिए। कभी-कभी दवा को एक साल तक भी लेना पड़ सकता है। यह आवश्यक है कि केवल डॉक्टर की सलाह पर ही दवा लेना बंद किया जाए। वे रोगी जो पूरी इलाज नहीं करवाते या दवा अनियमित लेते हैं, उनके लिए यह रोग लाइलाज हो सकता है और यह जानलेवा भी हो सकता है। अपनी रुचि के अनुसार रोगी किसी प्रकार का भोजन ले सकते हैं लेकिन क्षयरोगी को बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तम्बाकु, शराब या किसी भी नशीली वस्तु से परहेज करना चाहिए।
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