मिलावट की मार सब लाचार, सुरियावां  बना मिलावट खोरों का हब ।

मिलावट की मार सब लाचार, सुरियावां बना मिलावट खोरों का हब । – नकली तेल का कारोबार चरम पर । ब्यूरो खबर सुरियावां भदोही । मिलावटी एवं नकली खाद्य सामग्री का सेवन कहीं आपकी सेहत से खिलवाड कर बीमार न कर दे इसके लिए सावधानी जरूरी है। मिलावट खोरो को तनिक भय नहीं है

मिलावट की मार सब लाचार, सुरियावां  बना मिलावट खोरों का हब ।

– नकली तेल का कारोबार चरम पर  ।

 

ब्यूरो खबर

सुरियावां  भदोही ।

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मिलावटी एवं नकली खाद्य सामग्री का सेवन कहीं आपकी सेहत से खिलवाड कर बीमार न कर दे इसके लिए सावधानी जरूरी है। मिलावट खोरो को तनिक भय नहीं है कि इसका किसी के स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ेगा। खोया सिंथेटिक दूध, मैदा, आलू, वनस्पति घी तथा अरारोट के मिश्रण से तैयार किया जा रहा है आप द्वारा खरीदा गया खोया असली है या नकली

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इसकी पहचान करने हेतु आप फिल्टर आयोडीन के दो से तीन बूंदे खोए पर डालें यदि खोए का रंग काला पड़े तो समझ ले कि खोए में मिलावट है। इसी प्रकार पैसों की लालच में सेहत के दुश्मन सरसों तेल के नाम पर सस्ता पाम आयल बेच रहे हैं। प्रतिबंधित सिंथेटिक कलर मिलाकर इसे सरसों के तेल का रंग दिया जाता है

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पाम आयल बाजार में 40 से ₹55 प्रति लीटर में उपलब्ध है जबकि इसको सरसों के तेल का रूप देकर 120 से ₹140 प्रति लीटर बेचा जाता है इसकी एक आसान पहचान यह है कि सरसों के तेल को एक कटोरी में भर कर फ्रिज में रखे यदि तेल में मिलावट होगी तो तेल जम जाएगा अन्यथा शुद्ध होने पर वैसा ही रहेगा।

इसी प्रकार स्टार्च व अरारोट व सिंथेटिक दूध की मिलावट कर पनीर तैयार किया जाता है इसकी पहचान करने हेतु पनीर को पानी में उबालकर ठंडा कर लें इसमें थोड़ा सा आयोडीन सॉल्यूशन डालें यदि पनीर का रंग नीला पड़ जाए तो समझ ले कि इसमें स्टार्च की मिलावट की गई है।

देसी घी के नाम पर लोगों की सेहत से खूब खिलवाड़ कर काल के गाल में झोंका जा रहा है जिसके सेवन से लोगों के लीवर सहित शरीर के विभिन्न अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है मिलावट खोर बनावटी एवं मिलावटी देसी घी तैयार करने के लिए डालडा घी,

उबले आलू का स्टार्च तथा देसी घी के सेन्ट का प्रयोग कर असली देसी घी के नाम पर ₹600 से ₹900 तक बाजार में बेच रहे हैं इसकी पहचान करने हेतु एक चम्मच घी में एक चम्मच हाइड्रोक्लोरिक एसिड और एक चुटकी चीनी मिलाएं यदि लाल हो जाए तो समझ ले कि इस घी में डालडे रिफ़ाइण्ड का प्रयोग किया गया है।

दूसरा पहचानने का तरीका यह भी है कि थोड़ा सा देसी घी लेकर दोनों उंगलियों के बीच में रगड़े नकली देसी घी की महक कम समय में ही समाप्त हो जाएगी और यदि घी असली है तो काफी देर तक इसकी खुशबू नहीं जाएगी हालांकि मिलावट खोरों के चंगुल में गांव देहात के लोग कम और कस्बा शहर के लोग अधिक आते है

इसका मुख्य कारण यह है कि गांव के लोग अपने खेत में पैदा की हुई लाही व सरसों की पिराई करवा कर ही तेल का सेवन तथा घर मे पले जानवर के दूध से खोया, घी व मिठाइयां तैयार कर सेवन करते हैं । खाद्य विभाग द्वारा मिलावट खोरो के खिलाफ अभियान चलाकर कार्यवाही न करना क्षेत्र में चर्चा का विषय है।

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