
तहसील में होता है ‘रिश्वत’ का खुला ‘खेल’, जिम्मेदार बेखबर।
तहसील में होता है ‘रिश्वत’ का खुला ‘खेल’, जिम्मेदार बेखबर। संतोष तिवारी (रिपोर्टर ) भदोही। जिले में भ्रष्टाचार का खुला खेल विभिन्न विभागों में आये दिन देखने को मिलता है। लेकिन इसके बावजूद भी जिले के जिम्मेदार अधिकारी आरोपी को परोक्ष रूप से बचाते नजर आते है। जो कही न कही सरकार की छवि पर
तहसील में होता है ‘रिश्वत’ का खुला ‘खेल’, जिम्मेदार बेखबर।
संतोष तिवारी (रिपोर्टर )
भदोही।
जिले में भ्रष्टाचार का खुला खेल विभिन्न विभागों में आये दिन देखने को मिलता है। लेकिन इसके बावजूद भी जिले के जिम्मेदार अधिकारी आरोपी को परोक्ष रूप से बचाते नजर आते है। जो कही न कही सरकार की छवि पर सवालिया निशान उठाते है। शिकायतकर्ता के कहने के बावजूद भी अधिकारी आरोपी के खिलाफ कोई खास कार्यवाही नही करते।
और पूछे जाने पर केवल एक रटा रटाया जवाब देते है कि मामले संज्ञान में आया है। जांच की जायेगी और आरोप सही पाये जाने पर कार्यवाही की जायेगी। लेकिन कुछेक मामले को छोड़कर बाकी मामलों में कार्यवाही के नाम पर केवल खानापूर्ति होती है। और इसी रवैये के कारण गलत कार्य करने वालों का मनोबल बढ जाता है।
एक ऐसा ही मामला इधर कई दिन से भदोही तहसील के कंसरायपुर में देखने को मिल रहा है। जहां के संतोष दूबे ने अपने जमीन की पैमाइस कराने के लिए क्षेत्रीय लेखपाल और कानूनगो के मांगने पर मोटी रकम भी दिया। इसके बावजूद भी राजस्व निरीक्षक और लेखपाल ने पैमाइस की फाइल उच्च अधिकारी के यहां न भेजी और बार बार पीडित से पैसा लेते रहे।
इससे अजीज आकर संतोष दूबे ने बीते तहसील दिवस पर शिकायत की। और बाद में मीडिया के माध्यम से भी गुहार लगाया। इस मामले में राजस्व निरीक्षक का सहयोगी नवीन ही लोगों से पैसे का लेनदेन करता है। इसका एक घूस लेने का विडियो वायरल हुआ तो प्रशासन सकते में आया। और कार्यवाही के नाम पर आरोपी राजस्व निरीक्षक के कार्यक्षेत्र में बदलाव दिया गया।
लेकिन आऊटसाइडर दलाल नवीन के बारे में एसडीएम भदोही ने कहा कि उसके बारे में जानकारी नही है। हालांकि मामले की जांच तहसीलदार को दे दी गई है। लेकिन यहां सवाल उठता है कि आऊटसाइडर के नाम की चर्चा पूरे तहसील में है और वह पैसे के लेनदेन का राजस्व निरीक्षक के लिए करता है। लेकिन फिर भी उच्च अधिकारी को इस मामले की जानकारी नही है।
कि नाक के नीचे ही चल रहा है भ्रष्टाचार का खेल। मालूम हो कि कंसरायपुर मामले में वीडियो वायरल होने से इसकी पोल खुली नही तो पता नही कब से तहसील में रिश्वत का खेल हो रहा है। वैसे इस मामले के बारे में उच्च अधिकारी भले ही अनभिज्ञता जाहिर करे लेकिन तहसील में बिना सुविधा शुल्क लिये कोई काम नही होता है।
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