कोरोना पास को लेकर सवाल उठने शुरू वरिष्ठ पत्रकार को भी पास के नाम पर किया गुमराह

कोरोना पास को लेकर सवाल उठने शुरू वरिष्ठ पत्रकार को भी पास के नाम पर किया गुमराह

कुछ तो गड़बड़ है फतेहपुर, कहीं ना कहीं काम में पारदर्शिता नहीं दिख रही । इस तरह की आवाजें कोरोना जैसी महामारी के बीच मिलने वाले पास को लेकर गुपचुप उठनी शुरू हो गई है । आरोप सरकारी अमलों पर लग रहा हैं ‘जो कोरोना पास बनाने की जिम्मेदारी ले रखी है ।कोरोना की महामारी


 कुछ तो गड़बड़ है 

फतेहपुर, कहीं ना कहीं काम में पारदर्शिता नहीं दिख रही । इस तरह की आवाजें कोरोना  जैसी महामारी के बीच मिलने वाले पास को लेकर गुपचुप उठनी शुरू हो गई है । आरोप सरकारी अमलों पर लग रहा हैं ‘जो कोरोना पास बनाने की जिम्मेदारी ले रखी है ।कोरोना की महामारी को झेल रहे करीब 29 लाख की आबादी वाले इस जनपद के लोगों के बीच जिला प्रशासन पर विश्वास होना लाजमी था और अभी भी है आगे भी रहेगा लेकिन कोरोना पास को लेकर तरह-तरह के आरोप लगना भी इस समय उचित नहीं है।। हिंदू संगठन सहित कुछ जरूरतमंद लोगों ने  कोरोना पास जारी करने को लेकर भेदभाव का आरोप लगाया । पास जारी करने वाले उस समय आरोपों के घेरे में आ गए जब आकिलाबाद की एक मरीज की   मौत हो गई । उसे इलाज के लिए कानपुर जाना था और पास जारी नहीं हुआ ।मौत को गले लगाने वाली यह महिला कैंसर पीड़ित थी ।आरोपों में घिरने के बाद पास जारी करने वाले सरकारी अमला तरह तरह की दलील देना शुरू कर दिया लेकिन तब तक इतनी देर हो चुकी थी कि इनकी इस दलील को कोई मानने को तैयार नहीं हुआ ।अब हम एक वरिष्ठ पत्रकार की बात यहां करना चाहेंगे जब यह वरिष्ठ पत्रकार पास जारी करने वाले संबंधित अधिकारी के पास गए तो उन्होंने अपना वही रटा रटाया जुमला ही दोहराया जबकि वरिष्ठ पत्रकार की बेटी नोएडा में लाक डाउन के बाद से फंसी हुई है उनकी तबीयत भी खराब है ऐसे में संबंधित अधिकारी का जो उत्तर था वह किसी तरह से पच नहीं रहा था । जबकि नोएडा और अन्य शहरों के कई पास जारी हुए । जारी हुए  इन्हीं पासो में पारदर्शिता नहीं दिखी ।इस तरह के कई ऐसे मामले हैं जिसमें गंभीरता बरती नहीं गई । जिससे गंभीर आरोपों का सामना  संबंधित लोगों को करना पड़ रहा है । हिंदू संगठन ने तो यहां तक आरोप लगा दिया कि कोरोना पास में जिस तरह का भेद भाव अपनाया जा रहा वह किसी से छिपा नहीं ।अभी तो हम सब लोगों को जिला अधिकारी द्वारा की गई अपील के साथ चलना है ।कोरोना को हराना है ।लेकिन कोरोना को हराने के बाद इसकी जिम्मेदारी लेने वाले लोगों की जांच अवश्य होनी चाहिए ।  आरोपों प्रत्यारोपों के बीच पूरा जनपद जिला अधिकारी संजीव सिंह के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहा हो तो फिर कोरोना पास को लेकर सवाल खड़ा हो यह इस समय उचित नहीं होगा।

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