अटरिया लॉक डाउन के दौरान बैंकों के बाहर जमा हो रही भीड़, पैंशन लेने आ रहें हैं बुजुर्ग धूप में तप रहे ग्रामीण कर रहे अपनी बारी का इंतजार

अटरिया लॉक डाउन के दौरान बैंकों के बाहर जमा हो रही भीड़, पैंशन लेने आ रहें हैं बुजुर्ग धूप में तप रहे ग्रामीण कर रहे अपनी बारी का इंतजार

बैंक कर्मचारियों के कार्य प्रणाली पर लग रहे हैं सवालिया निशान कोरोना नहीं तो अन्य बीमारियों से ग्रसित होंगे ग्रामीणअटरिया सीतापुर,एक ओर जहां केंद्र की मोदी सरकार ने पूरे देश में लॉक डाउन किया हुआ है तो वहीं इस लॉक डाउन के दौरान खुल रहे बैंकों के बाहर अब भारी भीड़ जमा होने लगी है

बैंक कर्मचारियों के कार्य प्रणाली पर लग रहे हैं सवालिया निशान कोरोना नहीं तो अन्य बीमारियों से ग्रसित होंगे ग्रामीण
अटरिया सीतापुर,एक ओर जहां केंद्र की मोदी सरकार ने पूरे देश में लॉक डाउन किया हुआ है तो वहीं इस लॉक डाउन के दौरान खुल रहे बैंकों के बाहर अब भारी भीड़ जमा होने लगी है । ताजा मामला अटरिया के आसपास क्षेत्रों में बनी शाखाएं चाहे वो आर्यावर्त बैंक हो या फिर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जहां बुजुर्ग और विधवा महिलाएं अपनी पेंशन लेने के लिए बैंक में पहुंची थी लेकिन बैंक में दो से तीन लोगों को अंदर बुलाया जा रहा था जिसके चलते पेंशन लेने वालों की बैंक के बाहर भीड़ जमा हो रही थीबुजुर्ग पिता के साथ आए एक युवक ने बताया कि सरकार ने वैसे तो पूरे देश में लॉक डाउन किया है लेकिन बुजुर्गों की पेंशन के लिए कोई प्रावधान नहीं किया है

अटरिया लॉक डाउन के दौरान बैंकों के बाहर जमा हो रही भीड़, पैंशन लेने आ रहें हैं बुजुर्ग धूप में तप रहे ग्रामीण कर रहे अपनी बारी का इंतजार

जिसके चलते बुजुर्ग लोगों और महिलाओं को बैंकों में आना पड़ता है ना कोई सवारी मिलती है और लंबी लंबी लाइनों में लगकर पेंशन लेने आना पड़ता है वहीं उन्होंने बताया करोना वायरस का कहर वैसे भी बुजुर्ग लोगों को को अपने लपेट में ले रहा है जिसके चलते सरकार को चाहिए कि बुजुर्गों को मिलने वाली पेंशम का ग्राम पंचायत द्वारा कोई ऐसा प्रावधान करना चाहिए कि उन्हें घर बैठे पेंशन मिल सके नहीं तो यह महामारी और भी फैल सकती है। साथी अपने नंबर का इंतजार कर रहे गरीब ग्रामीण बैंक कर्मचारियों के रूढ़िवादिता स्वभाव से भी प्रताड़ित होते नजर आए

भुखमरी की तादाद में पहुंचे ग्रामीण परिवार विवश होकर अटरिया आर्यावर्त एवं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया बैंक शाखा मैं पहुंचकर पूरा दिन इस भयंकर लु और सर झटका देने वाली धूप में खुले आसमान के नीचे खड़े होकर अपने ही पैसे को दिए जाने का इंतजार करते दिखाई दिए इस विषय में कई उपभोक्ताओं से जानकारी भी की गई तो ज्ञात हुआ के बैंक कर्मचारियों के रूढ़िवादिता स्वभाव और धीमी कार्य कार्यप्रणाली का दुष्परिणाम वह भुगत रहे हैं नहीं तो वह कब का परिवार का भरण पोषण करने हेतु उपयोग में लाई जाने वाली सामग्री लेकर के घर पहुंच चुके होते

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