‌ये जिंदगी के आखिरी पल का सहारा है, यह गंगा का किनारा है

‌ये जिंदगी के आखिरी पल का सहारा है, यह गंगा का किनारा है

– कुमार विश्वास ने बांधा समां, बुद्धि प्रकाश ने खूब हंसाया प्रयागराज।अरैल तट पर चल रहे “मानस अक्षयवट” राम कथा के कार्यक्रमों के तहत रविवार शाम को कवि सम्मेलन हुआ। कवि सम्मेलन की शुरुआत गौरी मिश्रा ने शारदा गीत “शब्द को संवार दें, अर्थ को निखार दे, पंक्तियों को प्यार दे…आज माँ सरस्वती” से

– कुमार विश्वास ने बांधा समां, बुद्धि प्रकाश ने खूब हंसाया

‌ प्रयागराज।‌अरैल तट पर चल रहे “मानस अक्षयवट” राम कथा के कार्यक्रमों के तहत रविवार शाम को कवि सम्मेलन हुआ। कवि सम्मेलन की शुरुआत गौरी मिश्रा ने शारदा गीत “शब्द को संवार दें, अर्थ को निखार दे, पंक्तियों को प्यार दे…आज माँ सरस्वती” से की। सम्मेलन की वेला में पहली प्रस्तुति हास्य कवि किरण जोशी से हुई। कवि जोशी ने अपनी हास्य प्रस्तुतियों में संस्कृति, समभाव, भाईचारे की नायाब प्रस्तुतियां दीं। जोशी ने “अब हद हो गई बस, घर – घर में घुस गए सीरियल, एक की पत्नी, दूसरे की औलाद और तीसरे से प्यार। जितने चाहे धरम बदलेंगे, भगवान नहीं बदलेंगे। जितने चाहे कफ़न बदल दो, शमशान नहीं बदलेंगे आदि कविताओं से श्रोताओं का मनोरंजन किया।

‌इसके बाद कवयित्री गौरी मिश्रा ने श्रृंगार रस और बेटियों पर कविताएं सुनाई। गौरी मिश्रा ने “न मैं डर से निकलती हूँ, न मैं भय से निकलती हूँ, जो है संगीत लहरों में, उसी लय से निकलती हूँ।” इसके अलावा “न फूलों में, न कलियों में, न डाली में आती है, जो खुशबू माँ के हाथों की थाली में आती है” कविताएं सुनाई। मंच संचालक बुद्धि प्रकाश दाधीच ने मंच संचालन करते हुए श्रोताओं को लोटपोट कर दिया। बुद्धि प्रकाश ने “अंतरिक्ष में पुन: चढ़ाई” कविता सुनाकर श्रोताओं में देशभक्ति का संचार किया। कवि सम्मेलन में मोरारीबापू भी मौजूद रहे।

‌…ये जिंदगी का आखिरी सहारा है, यह गंगा का किनारा है।

‌विख्यात कवि कुमार विश्वास ने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत दिल्ली में हुए दंगों पर चिंता व्यक्त की। कुमार ने बापू को केंद्रित करते हुए कहा कि बापू को और कथाएं सुनानी होंगी, ज्यादा प्रवचन करने होंगे, तब जाकर धरती पर रक्त कम होगा। इसके बाद कुमार ने अपना नया गीत …यह गंगा का किनारा है सुनाया। इसके तहत “खलौने साथ बचपन तक, जवानी बस रवानी तक, सभी अनुभव भरे किस्से, बुढापे की रवानी तक। ज़माने में सहारे है सभी बस जिंदगी भर के, मगर ये जिंदगी के आखिरी पल का सहारा है, यह गंगा का किनारा है।” सुनाकर कुमार ने पूरे माहौल को गंगा की भक्ति में लीन कर दिया। इसके अलावा कुमार ने “ये दिल बर्बाद करके क्यों आबाद रहते हो…हमें दो पल सुरूर ए इश्क़ में मदहोश रहने दो…कोई पत्थर की मूरत है” कविताएं  गाकर युवाओं को जोश से भर दिया। इसके अलावा कुमार ने होली के रंग, देशप्रेम, भाईचारे पर भी कविताएं सुनाकर माहौल खुशनुमा कर दिया। कुमार ने बीच – बीच में आज के राजनीतिक परिदृश्य पर भी कटाक्ष किया।

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