जिपं द्वारा निर्मित गौवंश आश्रय स्थल पर हो रहे घरेलू कार्यक्रम

जिपं द्वारा निर्मित गौवंश आश्रय स्थल पर हो रहे घरेलू कार्यक्रम

अन्ना पशुओं की रोकथाम के लिए ग्राम धौर्रा में कराया गया था निर्माण कार्य ललितपुर। सरकार ने अन्ना पशुओं से फसलों के नुकसान से रोकने के लिए प्रत्येक गाँव में गौशाला व कान्जी हाऊस बनाने के निर्देश जारी किये हैं, साथ ही इन्हें बनाने के लिए धन आवंटन भी किया है। इस योजना के तहत

अन्ना पशुओं की रोकथाम के लिए ग्राम धौर्रा में कराया गया था निर्माण कार्य

ललितपुर। सरकार ने अन्ना पशुओं से फसलों के नुकसान से रोकने के लिए प्रत्येक गाँव में गौशाला व कान्जी हाऊस बनाने के निर्देश जारी किये हैं, साथ ही इन्हें बनाने के लिए धन आवंटन भी किया है। इस योजना के तहत जिला पंचायत द्वारा भी गौ आश्रयस्थल व कान्जी हाऊस का निर्माण कराया है, लेकिन देखरेख व कर्मचारियों की लापरवाही चलते व खाली पड़े, साथ वहाँ पर गाँव के उसका उपयोग घरेलू कार्यक्रमों के लिए कर रहे हैं, ऐसी हालत धौर्रा में जिला पंचायत द्वारा निर्माण कराये गये, गौवंश आश्रय स्थल का है। प्रदेश सरकार ने अन्ना पशुओं से किसानों की हो फसल नुकसान का गम्भीरता से लेते हुये, गौवंश आश्रय स्थल व काँजी हाऊस निर्माण कराने आदेश जारी किये, साथ ही इन निर्माण कार्यों के लिए शासन से विभिन्न कार्यदायी संस्थाओं को धन भी आवंटन किया गया। जिला पंचायत भी इन्हीं संस्थाओं में से एक है। चूँकि जिला पंचायत राजनैतिक संस्था होने के कारण यहाँ पर बिना प्रस्ताव के कोई कार्य नहीं होता है, साथ ही ठेकेदार को ठेका लेने पूर्व सदस्य से लेकर अध्यक्ष तक चौखट पर जाना होता है। इसके बाद ही उसका कार्य होता है, चूँकि अध्यक्ष व सदस्यों को प्रत्येक निर्माण कार्य में अपना निजी स्वार्थ होता है। इसलिए जिला पंचायत शासकीय धन का दोहन करने के लिए निर्माण कार्य तो करा दिये जाते हैं, लेकिन उसका कितना उपयोग हो रहा है, इसके विषय में उनका ध्यान नहीं जाता है, ऐसा ही एक निर्माण कार्य जिला पंचायत द्वारा ग्राम धौर्रा में र्निमित गौवंश आश्रय स्थल/कान्जी हाऊस है। जहाँ पर जिला पंचायत ने निर्माण कार्य तो करा दिया, किन्तु वहाँ पर नियमित किसी कर्मचारी तैनाती नहीं है, न ही उक्त निर्माण ग्राम पंचायत को सौंप वहाँ पर गौवंशों की रोकने की व्यवस्था की है। इसलिए वहाँ पर ग्रामीण द्वारा घरेलू कार्यक्रम के आयोजन का केन्द्र बना लिया है। ऐसे में शासन का धन तो खर्च हो गया, किन्तु शासनमंशा पूर्ण नहीं हुई है।

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