सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर उग्रवादियों को माकूल जवाब, ऐसा रहा CDS बिपिन रावत का सफर

सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर उग्रवादियों को माकूल जवाब, ऐसा रहा CDS बिपिन रावत का सफर

जनरल बिपिन रावत गोरखा रेजीमेंट के अधिकारी थे। जनरल रावत गोरखा रेजीमेंट के चौथे ऐसे अधिकारी थे जो सेनाध्यक्ष बने थे।


देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने तमिलनाडु के कुन्नूर में सेना के चॉपर विमान हादसे में दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके अलावा इस दुखद हादसे रावत की पत्नी मधुलिका रावत और 11 सैन्य अधिकारी नहीं रहे।
गोरखा रेजिमेंट के चौथे अधिकारी जो देश के सेनाध्याक्ष बनें। सेना की कमान संभालने के दौरान पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक समेत कई कारनामों से मशहूर जनरल बिपिन रावत की शख्सियत कितनी बड़ी थी, आइए जानते हैं।


जनरल बिपिन रावत 2019 में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) का पद संभालने वाले भारतीय सशस्त्र बलों के पहले अधिकारी बने। यह पद वर्तमान चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत के सशस्त्र बलों के पुनर्गठन के सरकार के प्रयासों के हिस्से के रूप में बनाया गया था।

 जनरल बिपिन रावत के कार्यों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरकार ने सेना प्रमुख पद से उनकी सेवानिवृत्ति से ठीक पहले सीडीएस के लिए नामित कर दिया। सीडीएस में उनका कार्यकाल 2022 में खत्म होना था, लेकिन इससे पहले ही उन्होंने दुनिया छोड़ दी।
सर्जिकल स्ट्राइक से उड़ाई पाक की नींद

अपने बेहद सफल करियर में जनरल बिपिन रावत के नाम कई उपलब्धियां हैं। जनरल रावत ने पूर्वोत्तर में उग्रवाद को नियंत्रित करने, म्यांमार में 2015 सीमा पार ऑपरेशन की निगरानी और 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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बेदाग सैन्य करियर

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जनरल रावत ने एक ब्रिगेड कमांडर, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-सी) दक्षिणी कमान, सैन्य संचालन निदेशालय में जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड -2, कर्नल सैन्य सचिव और उप सैन्य सचिव की सेवा में चार दशक बिताए। जनरल रावत जूनियर कमांड विंग में सैन्य सचिव की शाखा और वरिष्ठ प्रशिक्षक के पद पर भी रहे। वह संयुक्त राष्ट्र शांति सेना (यूएनपीएफ) का भी हिस्सा थे और उन्होंने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभाली थी।

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एनडीए से आईएमए तक का सफर

जनरल बिपिन रावत महाराष्ट्र के खड़कवासला में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल होने से पहले शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल के पूर्व छात्र थे। उन्होंने उत्तराखंड के देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी में प्रशिक्षण लिया। जनरल बिपिन रावत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ एक पैदल सेना बटालियन की कमान संभाली, जो पूर्वी क्षेत्र में भारत की स्थिति को चीनियों से अलग करती है। उन्होंने कश्मीर घाटी में एक पैदल सेना डिवीजन और पूर्वोत्तर में एक कोर की भी कमान संभाली।

गोरखा रेजिमेंट से सेना प्रमुख

जनरल बिपिन रावत गोरखा रेजीमेंट के अधिकारी थे। जनरल रावत गोरखा रेजीमेंट के चौथे ऐसे अधिकारी थे जो सेनाध्यक्ष बने थे। सीडीएस के रूप में जनरल रावत सेना से संबंधित मामलों पर सरकार के एकल-बिंदु सलाहकार थे। इस भूमिका में जनरल रावत ने सशस्त्र बलों के तीन विंग भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के बीच बेहतर तालमेल पर ध्यान केंद्रित किया।

 जनरल रावत को 31 दिसंबर 2016 को सेनाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। एक चार सितारा सैन्य अधिकारी, जनरल रावत को 30 दिसंबर 2019 को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किया गया था।

जनरल रावत की उपलब्धियों पर एक नजर

    2015 में भारतीय सेना ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-खापलांग (NSCN-K) के उग्रवादियों द्वारा किए गए घात का सफलतापूर्वक जवाब दिया। जनरल रावत ने उस मिशन की निगरानी की थी जिसे III-कोर आयोजित किया गया था।

    2016 में जनरल रावत भारतीय सेना के उरी बेस कैंप पर आतंकवादी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की योजना का हिस्सा थे। भारतीय सेना की एक टीम ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) को पार कर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में प्रवेश किया। जनरल रावत ने नई दिल्ली में साउथ ब्लॉक से घटनाक्रम की निगरानी की थी।

    परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल और सेना मेडल से अलंकृत जनरल बिपिन रावत ने भारतीय सेना में विशिष्ट सेवा की थी।

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