21वीं सदी में जीवन यापन कर रहे लुठहवा घाट के लोग, सभी सुविधाएं नदारद

21वीं सदी में जीवन यापन कर रहे लुठहवा घाट के लोग, सभी सुविधाएं नदारद

उक्त गांव के लोग आज भी सड़़क, नाली, शौचालय, आवास, शुद्ध पेयजल व राशनकार्ड जैसी सुविधाओं से हैं वंचित



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स्वतंत्र प्रभात

महराजगंज  नौतनवां ब्लाक क्षेत्र में एक ऐसा गांव है जहां के लोग आज भी सरकारी योजनाओं के लिए तरस रहे हैं, सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के लिए संचालित सभी योजनाएं इस गांव तक पहुंचने से पहले ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जा रही है। नौतनवा ब्लाक क्षेत्र के ग्राम पंचायत लुठहवां का लुठहवा घाट टोला संबंधित अधिकारी व कर्मचारियों की मेहरबानी की वजह से सरकारी योजनाओं का दंश झेल रहा है, इस टोले पर निवास करने वाले लोग आज भी सड़क, नाली, शौचालय, आवास, शुद्ध पेयजल, राशनकार्ड जैसे प्रमुख सुविधाओं से वंचित हैं। लेकिन इन ग्रामीणों की कष्टदायी जीवन का हाल जानने के लिए आज तक कोई भी अधिकारी और कर्मचारी इस गांव में नहीं पहुंचा। कहने के लिए हमारे देश को डिजिटल इंडिया की उपाधि मिल गई है, सरकार शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की गंगा बहा रही है। परंतु लुठहवा घाट टोले के लोग मानो अभी भी 21वीं सदी में अपना जीवन गुजार रहे हैं। उक्त टोले पर करीब तीन दर्जन घर की आबादी है, लेकिन यहां के अधिकांश लोग झोपड़ी में निवास करते हुए अपना जीवन व्यतीत करते हैं। तथा यहां के लोग सड़क, नाली, शौचालय, आवास, शुद्ध पेयजल व राशनकार्ड जैसी प्रमुख सुविधाओं से आज भी पूरी तरह से वंचित हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि आजादी के बाद से बसा इस टोले पर अब कत कोई भी सरकारी सुविधा उपलब्ध नहीं हो सका है। यहां के ग्राम प्रधान से योजनाओं के विषय में यदि कुछ कहा जाता है तो वह हम लोगों के बातों पर ध्यान ही नहीं देते। लोगों ने कहा कि ग्राम प्रधान प्रतिनिधि बैजनाथ यादव दबंग किस्म के व्यक्ति हैं, वह ग्राम पंचायत लुठहवां के दो बार प्रधान रह चुके हैं, और कोटेदारी तो उन्हें बिरासत मे मिल गई है ग्राम प्रधान अपने ही ग्राम सभा में कोटा संचालन का कार्य भी करते हैं। लोगों का कहना रहा कि इस टोले पर इनके द्वारा कोई भी सरकारी कार्य नहीं कराया जाता, करीब तीस वर्ष पहले पूर्व प्रधान ने लोगों की परेशानी को देखते हुए खडंजा करवाया था जो अब पूरी तरह से मिट्टी में तब्दील हो चुका है, बारिश में आवागमन के लिए लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। और गांव में नलों का पानी निकलने के लिए नाली की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे लोगों को अपने घरों में गड्ढा बनाकर नलों का पानी रोकना पड़ता है। इस छोटे से टोले पर रहने वाले लोगों को कभी शौचालय की सुविधा नहीं मिली, जिससे महिला पुरुष सभी को शौच के लिए खुले में जाना पड़ता है।ग्रामीणों का कहना रहा कि सरकार गांवों को हाईटेक करने के लिए हर वह जरूरी संसाधन उपलब्ध करा रही है जिससे लोगों को आराम मिल सके। परंतु इस टोले के लोग सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं से आज भी अछूते हैं। अधिकारीयों के बारे में ग्रामीणों ने बताया कि जबसे हम लोग यहां निवास कर रहे हैं तब से लेकर आज तक इस टोले पर कोई भी अधिकारी ग्रामीणों की व्यवस्था का जायजा लेने नहीं आया। कभी कभी सुना जाता है

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कि कोई अधिकारी आया है लेकिन वह ग्रामीणों के बीच न पहुंचकर प्रधान के घर जाता है और उनसे मेहनताना लेकर वहीं से वापस चला जाता है। यही कारण है कि इस गांव के लोगों को आज तक किसी प्रकार की कोई सरकारी सुविधा नहीं मिल सकी है, जिससे लोगों को जैसे तैसे अपना जीवन व्यतीत करना पड़ रहा है। ग्रामीण रीना देवी ने बताया कि कुछ महीने पूर्व उनके परिवार में शौचालय निर्माण के लिए प्रथम किश्त मिला था लेकिन ग्राम प्रधान चेक पर दस्तखत करवाकर चेक ले गए और कहा कि शौचालय निर्माण के लिए जो पहला किश्त आया है उसे हमारे पास जमा कर दो और तुम्हें एक साथ दोनों किश्त का पैसा दिया जाएगा, लेकिन दुर्भाग्य रहा कि ग्राम प्रधान शौचालय का पूरा पैसा निकलवाकर स्वयं डकार गए। वहीं ग्रामीण इंद्रावती पत्नी छब्बु ने बताया कि ग्राम प्रधान से आवास मांगा गया था

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लेकिन वह आवास देने के बदले में मोटा रकम मांगने लगे लेकिन गरीब मजदूरों के पास इतना बड़ा रकम देने का व्यवस्था नहीं था इसलिए हमें आवास नहीं दिया गया। राममिलन भारती ने बताया कि ग्राम प्रधान से कई बार आवास व शौचालय के लिए कहा गया लेकिन ग्राम प्रधान ने एक नहीं सुनी, राममिलन भारती ने बताया की घर में शौचालय नहीं होने के कारण मजबूरन खुले में शौच जाना पड़ता है। उन्होंने बताया कि पूरे ग्राम सभा में कुछ कंचित लोगों के घर ही शौचालय होगा बाकी पूरा टोला आज भी 21वीं सदी में जी रहा है और आज भी यह टोला पक्का मकान, शौचालय, राशन कार्ड, शुद्ध पेयजल, रोड व अन्य जो भी सरकारी सुविधाएं हैं यहां तक आते-आते दम तोड़ दे रही है।

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