लाचार हुआ खनिज विभाग - चित्रकूट का पट्टाधारी लूट रहा बांदा की नदी की अस्मत ​​​​​​​

जिले के अधिकारियों को कहीं नौकरी गवाने का तो नहीं सता रहा डर

स्वतंत्र प्रभात-

चित्रकूट। बांदा में अवैध खनन को लेकर जिले में इस समय चर्चा कार्रवाई हुई है एक ओर जहां उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार योगी आदित्यनाथ ने अवैध खनन पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दे रहे है तो वहीं दूसरी तरफ लाचार खनिज विभाग और राजस्व विभाग ठेकेदार के सामने  दुम दबाते नजर आ रहा है। आखिर खनिज विभाग व राजस्व विभाग को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के निर्देश का क्यों नहीं हो रहा असर चित्रकूट का ठेकेदार बांदा की नदियों की लूट रहा अस्मत। आपने तो देखा होगा कि जिले में अवैध खनन जहां जोरों पर चल रहा है तो वहीं अब अवैध खनन का एक नया फार्मूला बांदा जिले में देखने को मिल रहा है बताया जा रहा है कि चित्रकूट का ठेकेदार बांदा जिले की नदियों की अस्मत लूट रहा है लेकिन जिम्मेदार खनिज विभाग व राजस्व विभाग ठेकेदार के सामने कार्रवाई करने की जगह खातिरदारी करने में लगा हुआ है।

 और यही वजह है कि खुलेआम दबंग ठेकेदार चित्रकूट जिला के पट्टे पर बांदा जिले में अवैध खनन कर रहा है। बताया जा रहा है कि यह खनन उन सफेदपोश धारियों द्वारा किया जा रहा है सत्तापक्ष से जुड़ा हुआ है । इस समय उस जाने-माने सफेद पोशधारियों को सत्ता का इस तरह खुमार चढ़ा हुआ है कि जिले के अधिकारियों  को अब खनिज माफियाओं पर कार्रवाई करने की जगह धृतराष्ट्र की भूमिका निभानी पड़ रही है और यही वजह है कि पट्टाधारी खनननीति की धज्जियां उड़ाते हुए अवैध तरीके से चित्रकूट के गढ़ी खदान के पट्टे के नाम पर बांदा जिले की नदियों का दोहन शुरू कर दिया है जिसमें बांदा के खनन क्षेत्र पहाड़ी खुर्द सिंहपुर  बागे नदी में प्रशासन व खनिज विभाग की छत्रछाया में अवैध खनन खुलेआम जारी है।

चित्रकूट जिले का पट्टा होने के बावजूद बांदा जनपद की बालू भरकर ओवरलोडिंग करके चित्रकूट के बालू माफियाओं द्वारा लाई जा रही है। इस खदान में अवैध तरीके से रात दिन अवैध खनन का खेल रसूखदार खनन माफिया त्रिपाठी और द्विवेदी खनन माफिया धारकों द्वारा खुलेआम खेला जा रहा है। वही बालू माफिया दबंग है और यही वजह है कि ग्रामीण जहां अपना जीवन व्यतीत करने के लिए नदी में सब्जी तरोई लौकी करेला लगाई थी तो वही दबंग माफियाओं द्वारा उनकी सब्जी को उजाड़ कर फेंक दिया गया है। इतना ही नहीं दबंग माफियाओं द्वारा गांव के लोगों को गाली गलौज कर धमकाया भी जा रहा है।

लगातार मानक के अनुरूप खनन होने की वजह से नदी का पानी भी दूषित हो गया है। गांव के लोगों का कहना है कि हम सब नदी का पानी पीते हैं लेकिन अब नहीं पी पा रहे हैं। ग्रामीणों के सामने गर्मी के मौसम में अब पानी का भी संकट छाने लगा है। यदि हमारे द्वारा पानी नदी का पिया जाता है तो परिवार का सदस्य कोई ना कोई बीमार हो जाता है और यही वजह है कि अब ग्रामीण पानी के लिए भी परेशान हैं। सूत्रों की माने तो सूत्रों का कहना है कि खनन माफियाओं द्वारा कोई नियम का पालन नहीं किया जा रहा इस खंड में फर्जी तरीके से जो बागे नदी में नदी का दोहन का खेल चालू है। इसे नदी की धारा भी प्रभावित हो रही है खुलेआम प्रतिबंधित मशीनों का प्रयोग किया जा रहा है यहां तक कि यदि ग्रामीण आपत्ति जताते हैं तो उनको लाठी और बंदूक के नोक पर डराया धमकाया जाता है। यहां तक कि सैकड़ों की संख्या में ट्रक गुजरने की वजह से ग्रामीणों के घर आंगन धूल के गुब्बारों में भर जाते हैं। जिसकी वजह से ग्रामीण संक्रमण की बीमारियों से जूझने लगे हैं अब ग्रामीणों को दमा, टीबी जैसे बीमारियां लोगों को अपनी आगोश में ले रही हैं ।

लेकिन जिम्मेदारों ने चुप्पी साधी हुई है। यहां तक की जिले में संचालित पहाड़ी स्थित बागे नदी में खनन विभाग के सारे आदेश पट्टा धारक द्वारा खनिज अधिकारी व प्रशासन व्यापार पर रौंदे जा रहे हैं। यहां तक कि पट्टा धारकों के द्वारा एनजीटी के नियम और प्रशासनिक शक्तियों को खुलेआम ठेंगा दिखाया जा रहा है और दबंगई के दम पर दिन-रात बिना किसी नियम के अवैध खनन का खेल जारी है।  यंहा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों का भय भी खनिज माफियाओं को नहीं सता रहा है। दबंग खनिज माफिया के सामने जिला प्रशासन भी लाचार दिख रहा है। और यही वजह है कि ओवरलोडिंग के साथ एनजीटी के नियमों को ठेंगा दिखाकर नदी का दोहन जारी है। जबकि खनिज नियमावली के अनुसार ओवरलोडिंग और बिना रवन्ना के खदान से बालू के बिक्री की पूरी जिम्मेदारी पट्टा धारक की है। लेकिन इसके नियमावली में संशोधन करके सभी खनन पट्टा क्षेत्रों में हाई फ्रीक्वेंसी सीसीटीवी कैमरे लोडिंग वाहन प्रवेश और निकासी के साथ ओवरलोडिंग रोकने के लिए धर्म कांटे का प्रयोग करना अनिवार्य किया गया है। लेकिन यहां उसके विपरीत खनन पट्टा क्षेत्रों में जारी है।

जहां खनन के नियमावली को खुलेआम ठेंगा दिखाया गया है। खनन पट्टा क्षेत्रों में ना तो सीसीटीवी कैमरे लगे हैं ना ही धर्मकांटे का उपयोग किया जा रहा है। जिससे प्रतीत होता है कि सिंहपुर के पहाड़ी खुर्द में फर्जी तरीके से अवैध खनन बागे नदी तक किया जा रहा है। जहां नदियों का दोहन खुलेआम जारी है तो वहीं सैकड़ों की संख्या में पहुंचे ट्रकों में ओवरलोडिंग के माध्यम से सरकार के राजस्व को लाखों रुपए का चूना लगाया जा रहा है। खदान संचालकों के द्वारा निर्धारित क्षेत्र से अलग मन मुताबिक तरीके से अवैध खनन का खेल खेला जा रहा है लेकिन जिला प्रशासन कार्रवाई की जगह हाथ में हाथ रख कर बैठा हुआ है।

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