बगैर प्रदूषण नियंत्रक यंत्रों के चल रहे क्रेशर, ग्रामीण गंभीर बीमारियों की चपेट में

बगैर प्रदूषण नियंत्रक यंत्रों के चल रहे क्रेशर, ग्रामीण गंभीर बीमारियों की चपेट में

मानक विहीन संचालित क्रेशरो पर आखिर शासन प्रशासन क्यों है मेहरबान आखिर कब होगी कार्यवाही  



चित्रकूट।

जिले के भरतकूप  क्षेत्र  में गिट्‌टी क्रेशर संचालकों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियम कायदों को ताक में रखकर बगैर प्रदूषण नियंत्रक यंत्रों के चल रहे क्रेशर, हवा में घुल रही धूल, बीमार हो रहे ग्रामीण जिले में गिट्‌टी क्रेशर संचालकों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियम कायदों को ताक पर रखकर काले पत्थर का कारोबार करने का मामला हमेशा  सामने आता रहता है।

 जिसमें नियमानुसार परिसर में वृक्षारोपण तो कराना दूर अब तक इन्होंने धूल उड़ने से रोकने के लिए न तो मशीनों की स्क्रीन पर एमएस सीट लगाई है और न ही वाटर स्प्रिंकलर। ऐसे में रोजाना बड़ी तादात में क्रेशरों से निकलने वाली धूल हवा में घुलकर मजदूरों सहित गांव में रहने वाले लोगों की सेहत  के साथ साथ  उपजाऊ जमीन को भी बंजर कर रही है जिसकी वजह से  आम  जिंदगी को खतरा बना हुआ  है। 

खनिज विभाग और पर्यावरण प्रदूषण  नियंत्रण बोर्ड के अनुसार  तो  जिले में सब  मानक को पूरा करने वाले ही क्रेशर संचालित हैं तभी तो  जिम्मेदारों ने  खानापूर्ति करके  फिर से  कार्यवाही की जगह  क्रेसर को पूर्ण रुप से चालू करने के लिए  अनुमति दी जा रही है । भरतकूप से लगे क्षेत्रों में सैकड़ों की तादाद में क्रेसर संचालित है लेकिन इनमें से अधिकांश क्रेशर संचालक प्रदूषण नियंत्रक यंत्रों के बिना ही क्रेशरों का संचालन कर रहे हैं। 

इतना ही नहीं बहुत से क्रेसर तो रेलवे लाइन और नेशनल हाईवे एवं आबादी की निर्धारित दूरी के मानक को भी नहीं पूर्ण कर रहे हैं जिस पर नजदीकी लोगों ने कई बार शिकायत ई पत्रों के माध्यम से विरोध भी जता चुके हैं। वहीं जब मामले की सूचना पत्रकार अश्विनी कुमार को लगी तो  भरतकूप क्षेत्र में संचालित हो रहे क्रेशर मशीनों की पड़ताल की तो सामने आया कि यहां चल रही क्रेशर मशीनों में से केवल कुछ ही क्रेसर की स्क्रीन ही एमएस सीट से ढकी हुई थी। वहीं एक भी मशीन पर वाटर स्प्रिंकलर चालू  नहीं मिला  जबकि स्प्रिंकलर दिखावे के लिए  कई क्रेसर  में लगा  मिला। नतीजा चारों तरफ धूल उड़ रही थी। इसके अलावा पहाड़ों पर हर तरफ गहरी खाई और सैकड़ों एकड़ जमीन खुदी पड़ी थी। 

वंही  बाँदा प्रदूषण अधिकारी   का  कहना है 

नियमों के उल्लंघन की हमें कोई शिकायत नहीं मिली है। यदि ग्रामीण परेशान है तो वे हमसे शिकायत करें। हम तुरंत ही संबंधित स्थान का निरीक्षण कर नियमों का उल्लंघन करने वाले क्रेशर संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। जबकि जनसुनवाई के माध्यम से पत्रकार अशोक श्रीवास्तव के द्वारा प्रदूषण विभाग के सभी अधिकारियों को जनसुनवाई के माध्यम से शिकायत कर अवगत कराया है लेकिन प्रदूषण अधिकारी का यह गैर जिम्मेदाराना बयान कहीं ना कहीं लोगों के लिए अभिशाप साबित हो रहा है

धूल से मर रहे मवेशी, गांव की फसलें हो रही बर्बाद 

ग्रामीण कामता पांडेय  ने बताया कि क्रेशर मशीनों से थोड़ी ही दूरी पर उनका खेत है। यहां से उड़ने वाली धूल के कारण हर साल उनकी फसल का नुकसान तो होता ही है साथ ही मवेशी भी मर जाते हैं। वहीं गांव के राजा बाबू  ने बताया कि क्रेशर संचालकों की मनमानी के चलते ग्रामीणों में श्वास संबंधी बीमारियां तो फैल ही रही है साथ ही इनके द्वारा स्वीकृत पट्‌टे से ज्यादा जमीन पर कब्जा किए जाने की वजह से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है । 

यह है गाइडलाइन 

गोंडा   कटका  के अलावा इन स्थानों पर भी  हो रहा अबैध खनन भौरा बजनी कोरारी गोंडा के अलावा भरतकूप से सटे गोंडा, बजनी, भौरा , कटका आदि कई स्थानों पर भी क्रेशर संचालक नियम कायदों को ताक पर रखकर गिट्‌टी का कारोबार कर रहे हैं। 

वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1981 के संदर्भ में केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड दिल्ली द्वारा जारी गाइड लाइन के अनुसार क्रेशर मशीन की स्क्रीन को एमएस शीट से ढककर उसमें संक्शन पाइप द्वारा धूल बाहर निकालकर अन्य चैम्बर में एकत्रित कर जल छिड़काव करना होता है। वहीं जीरो गिट्टी के अंतिम ड्रॉपिंग बिंदु पर टेलिस्कोविक शूट स्थापित करना होता है।

मानक विहीन संचालित क्रेशरो पर आखिर शासन प्रशासन क्यों है मेहरबान आखिर कब होगी कार्यवाही

 इसके अलावा परिसर में वृक्षारोपण करना और परिसर में धूल जमा न हो इसलिए लगातार सफाई तथा डम्प को तारपोलीन से ढककर रखना जरूरी है। इतना ही नहीं क्रेशर संचालकों को नियमानुसार मजदूरों की सुरक्षा के लिए उन्हें मास्क उपलब्ध करना अनिवार्य है। कई खदानें स्वीकृत हैं जिले में और मजदूर काम भी करते हैं 

परंतु इनकी सुरक्षा व्यवस्था के लिए ना तो ठेकेदारों द्वारा कोई सामग्री उपलब्ध कराई जाती ना ही जिम्मेदार अधिकारियों ने आज तक इस ओर ध्यान दिया जिससे ब्लास्टिंग के समय हो रही दुर्घटनाओं से मजदूरों को किसी भी रूप में सुरक्षा मिल सके इसी वजह से संबंधित क्रेसर से लेकर खदानों तक में कई बार दो रोटी के लिए काम करने वाले मजदूरों को अपना जीवन गवाना पड़ा है।


स्कूल और गांव के बीच खोद दी गहरी खाई 

हैरानी की बात तो यह है कि भरतकूप , बजनी के जिस क्षेत्र में क्रेशर मशीनें संचालित हो रही है उसके दूसरी तरफ शासकीय विद्यालय भी संचालित है। इस स्कूल के बच्चे इस धूल के गुबार और गहरे गड्ढों के बीच से होते हुए स्कूल तक पहुंचते हैं। ऐसे में हमेशा ही बच्चों के साथ दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।

अवैध खनन भी जिले की है सबसे बड़ी समस्या - भले ही उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार अवैध खनन को पूर्ण रूप से रोकने के लिए लाख प्रयास कर रही हो और दिशा निर्देश जारी कर रही हो कि किसी भी रूप में अवैध खनन ना हो लेकिन कुछ जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत और सफेद पोशीयो के  सहभागिता में करारी गोंडा भौरा बजनी  भरतकूप में कई पहाड़ों में अवैध खनन भी जोरो पर देखने को मिलता है इतना ही नहीं बालू खनन भी संबंधित क्षेत्रों में  खनिज माफियाओं द्वारा अवैध रूप से धड़ल्ले से किया जाता है  खनन । 

 जिसकी जानकारी नजदीकी थाना के साथ-साथ उच्च अधिकारियों को होने के बाद भी जमीनी स्तर पर कार्यवाही ना करके कुछ गिने-चुने लोगों में कार्यवाही कर वाहवाही लूट ली जाती है । जबकि जिला अधिकारी चित्रकूट द्वारा अवैध खनन रोकने के लिए निरंतर संबंधित अधिकारियों को किसी ना किसी रूप में पूर्ण रूप से अंकुश लगाने के लिए दिशा निर्देश दिए जाते रहते हैं ।

 वहीं अब देखना यह है कि जिम्मेदार अधिकारी मानव स्वास्थ्य के साथ साथ अवैध खनन को रोक पाने में कितना कामयाब होते हैं या फिर क्रेसर संचालकों के साथ साथ खनिज माफियाओं द्वारा इसी तरह शासन आदेशों की धज्जियां उड़ाई जाती रहेंगी और आम जनता किसी ना किसी घातक बीमारी की चपेट में आकर अपनी जिंदगी खोती रहेगी।
 

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