बैल-हल के पुराने दौर पर लौटी खेती, महंगाई से मजबूर किसान
हल बैल से खेतों की जुताई करने पर काफी प्रतिकूल असर पड़ा है
मिल्कीपुर, अयोध्या।में ग्रामीण क्षेत्र के किसान आज भी आधुनिक उपकरण उपलब्ध होने के बावजूद हल बैल से खेती करने की परंपरा को जीवंत रखे हुए है। खेती का उपकरण विकसित होने से हल बैल से खेतों की जुताई करने पर काफी प्रतिकूल असर पड़ा है। हल बैल से खेत जोतने में किसान को अधिक परिश्रम करना पड़ता था, वही समय भी ज्यादा लगता था। उपकरण उपलब्ध होने से किसान को समय और श्रम भी कम लग रहा है। उपकरण के माध्यम से किसान को लंबी खेती करने में काफी सहूलियत प्रदान हो रही है। छोटी खेती करने में आज भी हल बैल का किसान प्रयोग कर रहा है। हल बैल से खेती करने में किसान को कई फायदे भी है।
बैलो को रखने से गोबर भी इकट्ठा हो जाता है जो देसी खाद का काम करती है जिस खेत में डाल दी जाती है। उस खेत में फसल की अधिक पैदावार होती है। हरिनाथ ने कहा कि सभी किसान भाइयों को चाहिए की एक जोड़ी बैल अपने घर पर रखे और खेती उन्हीं से करें। इससे क्या होगा छुट्टे मवेशियों से भी किसानों को निजात मिलेगी।

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