धान में रोग एवं कीट की संभावना बढ़ी,कृषि वैज्ञानिक ने किया सचेत

धान में रोग एवं कीट की संभावना बढ़ी,कृषि वैज्ञानिक ने किया सचेत

धान में रोग एवं कीट की संभावना बढ़ी,कृषि वैज्ञानिक ने किया सचेत


स्वतंत्र प्रभात

पचपेड़वा बलरामपुआ चार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, पचपेड़वा - बलरामपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. एस.के. वर्मा ने बताया कि मौसम को देखते हुए धान की फसल में रोग एवं कीट के बढ़ने की प्रबल संभावनाएं हैं।

इसलिए किसान भाई रोग एवं कीट की अच्छी तरह पहचान कर उचित दवाओं का प्रयोग करें, समय से बचाव ना कर पाने की स्थिति में 35 से 40 प्रतिशत का नुकसान हो सकता है। डॉ. वर्मा ने बताया कि धान में प्रमुख रूप से ब्लास्ट, जीवाणु झुलसा एवं धारीदार जीवाणु झुलसा आदि रोग हैं।

ब्लास्ट या झोंका रोग में धान की पत्तियां तथा डंठल दोनों भाग प्रभावित होता है। जिससे पूरा पौधा गहरे रंग का होकर झुलस जाता है। लक्षण दिखाई देने पर कार्बेंडाजिम 50 प्रतिशत एक किलोग्राम अथवा 600 ग्राम ट्राईसाईक्लाजोल दवा 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। झुलसा रोग के लगने से धब्बों का रंग पुआल जैसा हो जाता है। उचित नियंत्रण हेतु खड़ी फसल में 15 ग्राम स्ट्रैप्टोसाइकलिन तथा 500 ग्राम 50 प्रतिशत कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 1000 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें

खेत में नमी या सूखे की स्थिति में झूठा कड़वा या हल्दिया रोग से बालियों के दाने पीले आभा मंडल से घिरे रहते हैं । इसके उचित नियंत्रण हेतु बाली निकलने की अवस्था में प्रोपिकोनाजोल 1.5 ग्राम दवा  800 से 1000 लीटर पानी घोल बनाकर छिड़काव करें अथवा हायब्रिट्ज 1.25 पर लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। धान की इस अवस्था में गंधी कीट, तना छेदक एवं फुदका कीट प्रमुख हैं। जिसके लगने पर पैदावार प्रभावित करते हैं। गंधी कीट के उचित नियंत्रण हेतु फूल आने की अवस्था में मिथाइल पैराथियान 2 प्रतिशत धूल 25 किलोग्राम प्रति

हेक्टेयर की दर से बुरकाव करें। तना छेदक के नियंत्रण हेतु कार टाप हाइड्रोक्लोराइड 54 प्रतिशत दानेदार रसायनिक रसायन 18 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 3.5 सेंटीमीटर खड़े पानी में प्रयोग करें। फुदका कीट के नियंत्रण हेतु कार्बोफ्यूरान 3 जी 20 किलोग्राम या इमिडाक्लो रोपिड 17.8 एस. एल.  0.5 मिली लीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव कर किसान भाई अपने फसल का बचाव कर सकते हैं।

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