पंतनगर कृषि विश्व विद्यालय की नवीन विकसित प्रजातियाँ कारगर होंगी कुपोषण को मिटाने में

पंतनगर कृषि विश्व विद्यालय की नवीन विकसित प्रजातियाँ कारगर होंगी कुपोषण को मिटाने में

पंतनगर, उत्तराखण्ड। पंतनगर कृषि विश्व विद्यालय द्वारा विकसित विभिन्न फसलों की कुल १४ प्रजातियों का विमोचन राज्य प्रजाति विमोचन समिति द्वारा किया गया है। विमोचन 19 मई को कृषि सचिव, उत्तराखंड की अध्यक्षता में सम्पन्न बैठक में हुआ। विमोचित किस्मों में गेहूं की तीन किस्में (यूपी 2903, यूपी 2938 तथा यूपी 2944), मक्का की दो

पंतनगर, उत्तराखण्ड।

पंतनगर कृषि विश्व विद्यालय द्वारा विकसित विभिन्न फसलों की कुल १४ प्रजातियों का विमोचन राज्य प्रजाति विमोचन समिति द्वारा किया गया है। विमोचन 19 मई को कृषि सचिव, उत्तराखंड की अध्यक्षता में सम्पन्न बैठक में हुआ।

विमोचित किस्मों में गेहूं की तीन किस्में (यूपी 2903,  यूपी 2938 तथा यूपी 2944),  मक्का की दो (डीच -291 तथा डीच.- 296), चने की तीन (पंत चना 6,  पंत चना 8 तथा  पंत चना 9), अरहर की एक प्रजाति (पंत अरहर-7), चारे वाली ज्वार की चार (पंत चरी 12, पंत चरी 13 , पंत चरी 14  तथा पंत चरी 15) एवं चारे वाली जई की एक किस्म (पंत चारा जई-4) शामिल है।


विश्वविद्यालय के निदेशक शोध डा. अजीत सिंह नैन ने बताया कि गेहूं की विमोचित किस्में में  यूपी 2903 अच्छी उपज के साथ-साथ अधिक प्रोटीन, जस्ता तथा लौह से युक्त है।  बताया कि गेहूं , मक्का तथा दलहन की विमोचित  किस्में वर्तमान में चल रही किस्मों की तुलना में अधिक उत्पादन छमता के साथ रोग एवं कीटों के प्रति अधिक अवरोधी तथा पोषक तत्वों से भरपूर एवं उच्च गुणवत्ता वाली है। जोकि एक ओर जहाँ  उत्पादन को बढ़ाने में सहायक होंगी वहीँ दूसरी ओर सूक्ष््म पोषक तत्वों की कमी के कारण  कुपोषण को भी दूर करने में कारगर सिद्ध होंगी।

बताया कि ज्वार तथा जई की चारे वाली वाली किस्में प्रदेश में दुधारू पशुओं के लिए अधिक हरा चारा उपलब्ध कराने में सहायक सिद्ध होंगी। प्रदेश  के किसान इन नई प्रजातियों को अपनाकर अधिक लाभ प्राप्त कर सकते  हैं।

विमोचन समिति की बैठक में उत्तराखंड सरकार के कृषि निदेशक डा. गौरी शंकर, विश्वविद्यालय के निदेशक शोध डा. अजीत सिंह नैन, आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. कामेंद्र सिंह, विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान, अल्मोड़ा के निदेशक डा. लक्ष्मी कान्त तथा विभिन्न फसलों के वरिष्ट प्रजनको ने भाग लिया। विश्वविद्यालय के निदेशक शोध डा. अजीत सिंह नैन तथा कुलपति डा. तेज प्रताप ने इन सभी वैज्ञानिकों को इस उपलब्धि पर बधाई दी है तथा आशा की है कि भविष्य में भी वैज्ञानिकगण इस प्रकार की उप्लब्धियों के लिए उत्तरोत्तर प्रयास करते रहेंगें।

किस्में विकसित करने में इन वैज्ञानिको का रहा योगदान

पंतनगर विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई किस्मों मे से गेहूं की किस्मों का विकास डा. जय प्रकाश जायसवाल, डा.  स्वाती, डा. अनिल कुमार तथा डा. राजेंद्र सिंह रावतत ने, दलहन की डा. रविंद्र कुमार पंवार,  डा. एसके वर्मा तथा डा. अंजू अरोरा, मक्का की डा. नरेंद्र कुमार सिंह तथा डा. एसएस वर्मा, चारे वाली ज्वार की डा. पीके पांडेय एवं डा. पीके श्रोत्रिया तथा जई की डा. बीरेंद्र प्रसाद, डा. इन्द्र देव पाण्डेय एवं डा. जेएस वर्मा द्वारा किया गया।

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