Haryana Winter Session: हरियाणा विधानसभा शीतकालीन सत्र का दूसरा दिन, अविश्वास प्रस्ताव पर आज होगा फैसला
Haryana Winter Session: हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री नायब सैनी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया गया है। विधानसभा स्पीकर हरविंदर कल्याण ने कांग्रेस के नोटिस को मंजूरी देते हुए इसे सदन की कार्यसूची में शामिल कर लिया है। इसके साथ ही यह तय हो गया है कि शुक्रवार दोपहर बाद विधानसभा में इस प्रस्ताव पर चर्चा होगी। कांग्रेस ने यह कदम सरकार की नीतियों और कार्यशैली के विरोध में उठाया है।
हरियाणा की राजनीति में यह पहली बार नहीं है जब किसी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया हो। इससे पहले मनोहर लाल खट्टर सरकार के दौरान कांग्रेस दो बार—2021 और 2024 में—अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी, लेकिन दोनों ही बार प्रस्ताव सदन में गिर गया था। नायब सैनी सरकार के गठन के बाद यह पहली बार है जब विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है।
संख्याबल की बात करें तो हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं। भाजपा के पास 48 विधायक हैं और उसे तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी हासिल है। इस तरह सरकार के समर्थन में कुल 51 विधायक हैं। स्पीकर को छोड़ दें, तब भी सरकार के पास 50 विधायकों का समर्थन रहता है। परंपरा के अनुसार स्पीकर केवल बराबरी की स्थिति में मतदान करते हैं। विश्वास मत जीतने के लिए सरकार को केवल 46 विधायकों का समर्थन चाहिए, ऐसे में भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सदन में उतरेगी। हालांकि, मंत्री कृष्ण पंवार स्वास्थ्य कारणों के चलते सत्र के पहले दिन सदन में मौजूद नहीं रहे।
Read More Hisar Airport: हरियाणा में धुंध के चलते हिसार एयरपोर्ट पर बदला विंटर शेड्यूल, दिल्ली की फ्लाइट रद्दवहीं विपक्षी कांग्रेस के पास फिलहाल 37 विधायक हैं। सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस के पास अविश्वास प्रस्ताव को पारित कराने के लिए आवश्यक बहुमत नहीं दिख रहा है। इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के पास दो विधायक हैं, लेकिन पार्टी ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह कांग्रेस के प्रस्ताव का समर्थन करेगी या नहीं।
INLD ने इस मामले में ‘वेट एंड वॉच’ की रणनीति अपनाई है। पार्टी के मीडिया सलाहकार राकेश सिहाग ने कहा कि इनेलो जनता के हित में फैसला करेगी। यदि अविश्वास प्रस्ताव में जनहित से जुड़े मुद्दे होंगे तो पार्टी समर्थन कर सकती है, लेकिन यदि इसे राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया तो इनेलो इसके खिलाफ वोट कर सकती है। ऐसे में सदन में होने वाली बहस और मतदान पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।

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