IAS Success Story: हरियाणा के छोटे गांव से IAS तक का सफर, पढ़ें दिव्या तंवर की सक्सेस स्टोरी

IAS Success Story: हरियाणा के छोटे गांव से IAS तक का सफर, पढ़ें दिव्या तंवर की सक्सेस स्टोरी

IAS Success Story: UPSC सिविल सेवा परीक्षा को दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में गिना जाता है। हर साल लाखों युवा इस परीक्षा में शामिल होते हैं, लेकिन सफलता केवल चुनिंदा उम्मीदवारों को ही मिलती है। ऐसे में जब कोई अभ्यर्थी पहले ही प्रयास में परीक्षा पास करे और फिर अपने लक्ष्य को और ऊंचा रखते हुए IAS बनने का सपना भी पूरा कर ले, तो उसकी कहानी खास बन जाती है। हरियाणा के एक छोटे से गांव से निकलकर IAS बनीं दिव्या तंवर की कहानी भी ऐसी ही प्रेरणा से भरी हुई है।

गांव से शुरू हुआ संघर्ष का सफर

दिव्या तंवर हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के छोटे से गांव निम्बी की रहने वाली हैं। साल 2011 में उनके पिता का निधन हो गया था, जिसके बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनकी मां बबिता तंवर के कंधों पर आ गई। बबिता तंवर खेतों में मजदूरी करती थीं और कपड़े सिलकर परिवार का खर्च चलाती थीं। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने अपने चारों बच्चों की पढ़ाई से कभी समझौता नहीं किया।

सरकारी स्कूल से UPSC तक की पढ़ाई

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दिव्या ने अपनी शुरुआती पढ़ाई सरकारी स्कूल से की। इसके बाद उनका चयन नवोदय विद्यालय में हुआ, जहां से उन्होंने बेहतर शैक्षणिक आधार तैयार किया। आगे चलकर उन्होंने विज्ञान विषय में ग्रेजुएशन किया और फिर UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की।

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दिव्या ने महंगी कोचिंग संस्थानों की बजाय ऑनलाइन स्टडी मैटेरियल, सेल्फ स्टडी और मॉक टेस्ट को अपनी तैयारी का आधार बनाया। उनका मुख्य फोकस सिलेबस को गहराई से समझने और लगातार रिवीजन पर रहा।

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पहले ही प्रयास में बनीं IPS अधिकारी

साल 2021 में दिव्या तंवर ने अपने पहले ही प्रयास में UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली। उस समय उनकी उम्र महज 21 साल थी। उन्हें ऑल इंडिया रैंक (AIR) 438 हासिल हुई और वे देश की सबसे युवा IPS अधिकारियों में शामिल हो गईं। उन्होंने लिखित परीक्षा में 751 अंक और इंटरव्यू में 179 अंक प्राप्त किए थे।

IPS से IAS बनने का सपना हुआ पूरा

IPS बनने के बाद भी दिव्या का सपना यहीं खत्म नहीं हुआ। उनका लक्ष्य IAS अधिकारी बनना था। इसी सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने दोबारा UPSC की तैयारी की और 2022 में फिर से परीक्षा दी। इस बार उनकी मेहनत ने और बड़ा रंग दिखाया।

दूसरे प्रयास में दिव्या तंवर को ऑल इंडिया रैंक 105 मिली। उन्होंने लिखित परीक्षा में 834 अंक और इंटरव्यू में 160 अंक हासिल किए। कुल 994 अंकों के साथ उन्होंने IAS बनने का सपना पूरा कर लिया।

आज मणिपुर कैडर में दे रहीं सेवाएं

फिलहाल दिव्या तंवर मणिपुर कैडर की IAS अधिकारी के रूप में देश की सेवा कर रही हैं। सीमित संसाधनों, कठिन हालात और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बावजूद दिव्या की यह कहानी साबित करती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती।

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