IAS Success Story: घर, बच्चे और नौकरी के बीच UPSC की तैयारी, 7वें प्रयास में बनीं IAS अफसर

IAS Success Story: घर, बच्चे और नौकरी के बीच UPSC की तैयारी, 7वें प्रयास में बनीं IAS अफसर

IAS Success Story: केरल की निसा उन्नीराजन की कहानी यह साबित करती है कि अगर दिल में जुनून और हौसला हो, तो कोई भी सपना असंभव नहीं। 40 साल की उम्र में, दो बेटियों की मां और नौकरी करते हुए, निसा ने 2024 में UPSC सिविल सर्विसेज परीक्षा में 1000वीं रैंक हासिल की। सातवें प्रयास में IAS बनने के उनके सफर ने यह सिद्ध कर दिया कि उम्र और हालात कभी भी एक इंसान की मेहनत और जज्बे का रास्ता रोक नहीं सकते।

UPSC की तैयारी की शुरुआत

ज्यादातर लोग 30 की उम्र के बाद UPSC की तैयारी छोड़ देते हैं, लेकिन निसा ने 35 साल की उम्र में इस कठिन राह को अपनाया। दो बेटियोंनंदना (11 साल) और थानवी (7 साल)के साथ घर की जिम्मेदारियां, नौकरी और सुनने की परेशानी होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। सुबह बच्चों को स्कूल भेजना, घर संभालना और रात को UPSC की पढ़ाई करना उनके दिनचर्या का हिस्सा था।

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उनके पति अरुण, जो सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, और उनके रिटायर्ड माता-पिता ने हर कदम पर उनका पूरा समर्थन किया। निसा कहती हैं, "मेरे परिवार के बिना यह मुमकिन नहीं था।"

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सुनने की परेशानी को बनाया ताकत

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निसा के सामने सबसे बड़ी चुनौती उनकी सुनने की परेशानी थी। UPSC जैसी कठिन परीक्षा के लिए यह एक बड़ा रोड़ा हो सकता था, लेकिन उन्होंने इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। उन्होंने कोट्टायम के सब-कलेक्टर रंजीत से प्रेरणा ली, जो खुद सुनने की परेशानी के बावजूद IAS बने थे। निसा कहती हैं, "अगर उन्होंने कर सकते हैं, तो मैं क्यों नहीं?" यह सोच उन्हें हर बार और मजबूत बनाती रही।

असफलताओं से मिली सीख

UPSC का सफर आसान नहीं होता और निसा के लिए भी यह रास्ता कांटों भरा रहा। पहले छह प्रयासों में असफल होने के बावजूद, उन्होंने कभी हार नहीं मानी। हर बार अपनी गलतियों से सीखती रहीं और हर प्रयास को अनुभव के रूप में लिया। यह जिद और मेहनत सातवें प्रयास में रंग लाई, जब उन्होंने 1000वीं रैंक हासिल कर IAS बनने का सपना पूरा किया।

निसा ने तिरुवनंतपुरम के एक कोचिंग सेंटर से मार्गदर्शन लिया, लेकिन उनकी असली ताकत थी उनकी खुद की पढ़ाई की रणनीति। वे UPSC टॉपर्स की कहानियों और मोटिवेशनल वीडियो से प्रेरणा लेती थीं। हर विषय को छोटे हिस्सों में बांटकर पढ़ना, नियमित रिवीजन और नोट्स बनाना, और समय प्रबंधन उनकी सफलता की कुंजी रहा।

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