शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन बना ब्रिक्स के लिए मजबूत आधार
यूरेशिया से राजनीतिक संतुलन की तैयारी।
तियानजिन, चीन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वैश्विक बाजार के नियोजन का एक ड्राफ्ट तैयार कर आह्वान किया है कि सभी संगठन के सदस्य देश इस बड़े सदस्य देशों के बाजार का पूरा लाभ लेकर इसका समुचित लाभ उठाएं। इस सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी बात रखते हुए कहा कि संगठन में शामिल सभी सदस्य देश को संयुक्त ब्रांड बेचने चाहिए जिससे सभी देशों को भरपूर लाभ मिलेगा एवं यह ठोस कदम आर्थिक सहयोग को और विस्तारित करेगा। शी जिनपिंग के प्रस्ताव पर पुतिन तथा अन्य देशों ने अपना भरपूर समर्थन जताया है। महत्वपूर्ण है कि शंघाई सहयोग संघटन दस सदस्य देशों का एक यूरेशियाई राजनीतिक,आर्थिक

भारत पर रुस से तेल खरीदने एवम उसे परिष्कृत के उपरांत बेचकर हार्दिक लाभ कमाने एवं रूस यूक्रेन युद्ध को भड़काने के तथाकथित आरोप लगाकर भारत से अमेरिका में भेजे जाने वाली निर्यात की वस्तुओं के ऊपर आयात शुल्क 50% तक कर दिया है। इसी संदर्भ में उसने चीन को भी 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी है और इसके पूर्व अमेरिका तथा यूरोपीय देशों ने रूस पर यूक्रेन पर आक्रमण करने के फल स्वरूप अनेक प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिका का इस तरह एक नया आर्थिक आतंकवाद ही है जो पूरी दुनिया में टैरिफ लगाकर अपनी आर्थिक आतंकवादी दादागिरी का परचम फैला रहा है।
चीन के राष्ट्रपति ने कहा कि इस संगठन के सदस्य देशों से ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का आग्रह किया है उन्होंने कहा है कि सदस्य देशों के आपसी समझौते किस राष्ट्रीय मुद्राओं के बढ़ने उपयोग के साथ वास्तविक बहुपक्षीय सहयोग को पुनर्जीवित किया है और यह प्रणाली यूरोसिया में स्थिरता और सुरक्षा को एक मजबूत आधार देगी सम्मेलन ने सामूहिक रूप से नई वैश्विक आर्थिक व्यवस्था का स्वरुप बनकर अमेरिका तथा यूरोप को सीधे-सीधे चुनौती देने का काम किया है। चीन के राष्ट्रपति ने कहा की हिंसा और टकराव की मानसिकता को अब सदस्य देशों को मिलकर इसे मूल रूप से नष्ट किया जाना चाहिए। वैश्विक तकरार,हिंसा को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसा करने से दुनिया बहुत जरूरी व्यवस्था की ओर आगे बढ़ाने की ओर अग्रसर होगा।
विश्व व्यापार संगठन को धरातल मानकर बहुपक्षी व्यापार व्यवस्था को लागू किया जाना चाहिए। शी जिनपिंग ने कहा कि अब शंघाई सहयोग संगठन 26 देश की भागीदारी के साथ दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन बन गया है जिसका कुल आर्थिक सहयोग तथा उत्पादन लगभग 30 लाख करोड डॉलर का हो चुका है। आर्थिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए शंघाई सहयोग संगठन का एक विकास बैंक की स्थापना की जानी चाहिए।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन में सी जिन पिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की मौजूदगी में कहा कि आतंकवाद के खुले समर्थन को स्वीकार नहीं किया जाएगा कोई भी देश समाज और नागरिक खुद को ऐसे में आतंकवाद से सुरक्षित नहीं मान सकता है।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भारत एक मूल मंत्र रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म पर आगे बढ़ रहा है उन्होंने कहा कि कोविड की महामारी जैसा भयानक काल हो या वैश्विक आर्थिक मंदी की स्थिति भारत ने हर एकस्थिति का सामना कर उसका डटकर मुकाबला किया है और उसे अवसर मानकर अपनी विकास की यात्रा को आगे बढ़ाया है। भारत सदैव आर्थिक सुधारो पर अपनी नीति अपनाते हुए आगे आया है जिससे देश के आर्थिक विकास के साथ वैश्विक को -ऑपरेशन के लिए नए-नए रास्ते और बाजार खुल रहे हैं। इस अवसर पर व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि यूक्रेन संकट के लिए रूस नहीं नाटो तथा यूरोपीय देश जिम्मेदार है।
2014 में पश्चिमी देशों के बहकावे में आकर यूक्रेन ने कीव में तख्ता पलट किया था। उन्होंने आगे कहा कि कीव को नाटो में शामिल करने के लगातार प्रयास रूस यूक्रेन युद्ध का एक बड़ा कारण है। पश्चिमी देश यूक्रेन को लगातार नोटों में शामिल करने का प्रयास कर रहे हैं जो की रूस की संप्रभुता के खिलाफ है। कुल मिलाकर शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उनकी टैरिफ पॉलिसी के कारण एक खुली चुनौती है। इस सम्मेलन में सदस्य देशों के नजदीक आने व्यापार समझौते एवं रक्षा उपकरणों के लेनदेन से आने वाले कल में ब्रिक्स जैसे संगठन को मजबूत आधार मिलने की पूरी संभावना है।
ब्रिक्स संगठन में कुल 5 महत्वपूर्ण सदस्य हैं जिसमें ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका शामिल है,और इस संगठन का मूल उद्देश्य ही भू राजनीतिक सहयोग, सुरक्षा सहयोग तथा आर्थिक सहयोग की पृष्ठभूमि को मजबूत बनाने का है। निश्चित तौर पर शंघाई सहयोग सम्मेलन ब्रिक्स को एक नई ऊर्जा और आधारशिला प्रदान करेगा। अब विश्व की बदली हुई राजनीतिक दशा और दिशा क्या नया परिदृश्य विश्व के सामने रखने वाले हैं यह तो वक्त ही बताएगा पर इससे हम आशा करते हैं कि वैश्विक शांति की स्थापना और व्यापार के विकास एवं मानवी संवेदनाओं को काफी मजबूती तथा शक्ति प्राप्त हो सकती है।
संजीव ठाकुर, चिंतक लेखक

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