श्रीमद भागवत कथा के छठवें दिन कथा व्यास ने धर्म की व्याख्या की
विवेक शर्मा टूण्डला ब्यूरो
टूण्डला क्षेत्र के गांव मदावली में पूर्व सरपंच स्व विजय सिंह पोनिया की स्मृति में चल रही श्रीमद भागवत कथा के छठे दिन कथा व्यास ने धर्म की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि धर्म के मार्ग पर चलने वालों का कभी अहित नहीं होता।
सरस कथा वाचक आचार्य श्रीकृष्ण सारस्वत ने कहा कि अधर्म कितना ही भारी क्यों न हो। एक दिन धर्म से हार ही जाता है। पांडव और कौरवों के बीच धर्म अधर्म का युद्ध हुआ था। जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने धर्म की रक्षा की खातिर पांडवों का साथ दिया।
कुरूक्षेत्र के मैदान में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्। इसका अर्थ बताते हुए शास्त्री ने कहा कि हे भारत! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूं अर्थात साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूं। इसलिए सदैव व्यक्ति को धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए। अधर्म के मार्ग पर चलने वालों का अंत बुरा होता है। इसके कई जीते जागते उदाहरण हैं।
राजा कंस ने भी अधर्म के मार्ग पर चलते हुए जनता पर अत्याचार किए। जिसका नतीजा उसका अंत बुरा हुआ। कथा में परीक्षत अजय सिंह व मीना पोनिया, यज्ञपति ओमवीर सिंह व जमुना देवी, रजत पोनिया,धर्मेन्द्र पोनिया,सुमित पोनिया व गांव के सभी श्रद्धालुओं ने भागवत कथा श्रवण कर पुण्य लाभ कमाया।

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