सोनभद्र के आदर्श नगर पंचायत चोपन में बाल श्रम और नियमों का उल्लंघन ,वार्ड 10 में चल रहे निर्माण कार्य पर सवाल

नगर पंचायत चोपन के अन्तर्गत नाबालिक बच्चों से कराया जा रहा भारी मशीनों से कार्य, संबंधित विभाग मौन

सोनभद्र के आदर्श नगर पंचायत चोपन में बाल श्रम और नियमों का उल्लंघन ,वार्ड 10 में चल रहे निर्माण कार्य पर सवाल

लोगों ने किया संबंधित ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड करने की मांग

अजित सिंह (ब्यूरो रिपोर्ट) 

सोनभद्र/उत्तर प्रदेश -

सोनभद्र जिले की आदर्श नगर पंचायत चोपन के वार्ड नंबर 10 में चल रहे निर्माण कार्यों में गंभीर अनियमितताएं और नियमों का सीधा उल्लंघन सामने आया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इन कार्यों में नाबालिग बच्चों से वाहन चलाने का कार्य कराया जा रहा है, जो स्पष्ट रूप से बाल श्रम कानूनों का उल्लंघन है।

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इतना ही नहीं, जेसीबी जैसे भारी मशीनरी के चालकों के पास वैध लाइसेंस का न होना भी एक बड़ा सुरक्षा जोखिम और कानूनी उल्लंघन है।यह एक अत्यंत संवेदनशील और चिंताजनक विषय है।गौर तलब है कि इन दिनों नगर पंचायत के भीतर चल रहे विकास कार्यों में ही बाल श्रमिकों से कार्य कराया जा रहा है जो भारतीय कानून के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से किसी भी प्रकार का श्रम कराना गैर-कानूनी है और 14 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों से खतरनाक व्यवसायों में काम कराना प्रतिबंधित है। निर्माण कार्य और वाहन चलाना, दोनों ही श्रेणी में आते हैं जो बच्चों के लिए खतरनाक हो सकते हैं।नाबालिक बच्चों को काम पर लगाना न केवल उनके बचपन और शिक्षा के अधिकार का हनन है, बल्कि यह उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करता है।

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ऐसे कार्यों में दुर्घटनाओं का जोखिम भी बहुत अधिक होता है।बाल श्रम को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है, जिसमें जुर्माना और कारावास दोनों शामिल हैं। यह देखना होगा कि स्थानीय प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है।मामले की गंभीरता तब और बढ़ जाती है जब जेसीबी के ड्राइवर से पूछताछ में पता चला कि उसके पास वैध लाइसेंस भी नहीं है। जेसीबी जैसे भारी वाहन को चलाने के लिए विशेष कौशल और वैध ड्राइविंग लाइसेंस की आवश्यकता होती है।

बिना लाइसेंस के ऐसे वाहन को चलाना न केवल गैर-कानूनी है, बल्कि यह सार्वजनिक सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा है।एक अनुभवहीन और गैर-लाइसेंसशुदा चालक द्वारा भारी मशीनरी का संचालन करने से कार्यस्थल पर दुर्घटनाओं का दावत देने के साथ जोखिम भरा है और जोखिम का ग्राफ कई गुना बढ़ जाता है, जिससे मजदूरों और आम जनता दोनों की जान को खतरा हो सकता है।ठेकेदार या संबंधित अधिकारी, जो ऐसे अवैध रूप से नियुक्त चालकों को काम पर रख रहे हैं, सीधे तौर पर कानूनी जवाबदेही के दायरे में आते हैं।यह घटना आदर्श नगर पंचायत चोपन के नाम पर ही सवालिया निशान खड़ा करती है।

एक आदर्श नगर पंचायत से अपेक्षा की जाती है कि वह कानून का पालन करे, नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और विकास कार्यों में पारदर्शिता और नैतिक मानकों को बनाए रखे। ऐसे में यह लापरवाही कई गंभीर प्रश्न उठाती है।क्या नगर पंचायत ने इन कार्यों के लिए ठेकेदारों को नियुक्त करते समय उनकी पृष्ठभूमि और श्रम कानूनों के पालन की जांच की थी।क्या निर्माण कार्यों का नियमित रूप से पर्यवेक्षण नहीं किया जा रहा है? यदि पर्यवेक्षण होता, तो ऐसी अनियमितताएं तुरंत पकड़ में आनी चाहिए थीं।क्या स्थानीय प्रशासन और संबंधित अधिकारी इन गंभीर उल्लंघनों से अनजान हैं, या जानबूझकर इन पर आंखें मूंद रहे हैं।

आवश्यक कार्रवाई और आगे का रास्ता यह मामला तत्काल प्रशासनिक हस्तक्षेप की मांग करता है। संबंधित अधिकारियों को त्वरित जांच करनी चाहिए और निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए।वार्ड नंबर 10 में चल रहे निर्माण कार्यों को तुरंत रोका जाए और सभी आरोपों की गहन जांच की जाए।यदि नाबालिग बच्चों से काम कराया जा रहा है, तो उन्हें तुरंत काम से हटाया जाए, उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए और उन्हें शिक्षा से जोड़ा जाए।सभी वाहन चालकों के लाइसेंस की जांच की जाए और बिना लाइसेंस वाले चालकों को तुरंत हटाया जाए।नियमों का उल्लंघन करने वाले ठेकेदार के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए और उसे ब्लैकलिस्ट किया जाए।

यह सुनिश्चित किया जाए कि जिन अधिकारियों की निगरानी में यह कार्य चल रहा था उनकी जवाबदेही तय की जाए और लापरवाही पाए जाने पर उन पर भी कार्रवाई हो।स्थानीय स्तर पर बाल श्रम और सुरक्षित कार्यप्रणाली के बारे में जागरूकता अभियान चलाए जाएं। चोपन नगर पंचायत को यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसे नियमों का उल्लंघन न हो और विकास कार्य वास्तव में आदर्श मानकों के अनुरूप हों, जहाँ कानून का सम्मान हो और सभी नागरिकों, विशेषकर बच्चों के अधिकारों की रक्षा की जाए। यह घटना सोनभद्र में समग्र प्रशासनिक निगरानी और प्रवर्तन प्रणाली पर भी सवाल उठाती है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

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