सोनभद्र के जुगैल में 'नेटवर्क' पर ग्रामीणों का फूटा गुस्सा अब निजी कंपनियों के टावर की मांग, आंदोलन की चेतावनी
लोगों की खुशी मायूसी में बदली, लोगों का बढ़ता जा रहा है गुस्सा
जुगैल थाना क्षेत्र की जटिल समस्या को तत्काल हल करने की मांग
अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट)
सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश-
सोनभद्र जिले के जुगैल क्षेत्र में सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल (BSNL) द्वारा मोबाइल टावर लगाए जाने के बावजूद नेटवर्क की बदहाल स्थिति से ग्रामीणों का धैर्य जवाब दे गया है। लंबे समय से नेटवर्क की समस्या से जूझ रहे लोगों में अब भारी निराशा और आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि बीएसएनएल टावर लगने के बाद जो खुशी आई थी, वह अब मायूसी में बदल गई है, क्योंकि उन्हें आज भी फोन पर बात करने के लिए पहाड़ों और पेड़ों का सहारा लेना पड़ रहा है।
जुगैल क्षेत्र के ग्रामीणों ने बताया कि बीएसएनएल टावर लगने की खबर से उन्हें उम्मीद की किरण दिखी थी। उन्हें लगा कि अब उनकी संचार संबंधी कठिनाइयां दूर हो जाएंगी। लेकिन, बीएसएनएल का सिम लेने के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। ग्रामीणों के अनुसार, उन्हें अब भी पहले की तरह ही नेटवर्क की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति तब है, जब बीएसएनएल टावर का फ्रीक्वेंसी एरिया 4 किलोमीटर बताया गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि टावर के बिल्कुल नजदीक होने पर भी नेटवर्क गायब रहता है, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।ग्रामीणों ने सरकार द्वारा नेटवर्क सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयासों पर भी सवाल उठाए हैं।
उनका कहना है कि लाखों रुपये खर्च कर टावर लगाने के बावजूद उन्हें संतोषजनक सेवा नहीं मिल रही है। यह स्थिति सरकार की डिजिटल इंडिया पहल पर भी प्रश्नचिह्न लगाती है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बुनियादी संचार सुविधा का अभाव है।नेटवर्क की इस गंभीर समस्या से आजिज आ चुके जुगैल के ग्रामीणों ने अब एक बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है।
उन्होंने एकजुट होकर नारा लगाते हुए कहा कि जुगैल क्षेत्र में सरकार को एयरटेल (Airtel), वोडाफोन (Vodafone) और जियो (Jio) जैसी निजी दूरसंचार कंपनियों के टावर लगाने की अनुमति देनी चाहिए। ग्रामीणों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि उनकी यह मांग पूरी नहीं की गई और नेटवर्क व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ, तो वे बड़े पैमाने पर धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।यह घटना दर्शाती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में केवल इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि वह ठीक से काम करे और लोगों को उसका वास्तविक लाभ मिल सके। जुगैल के ग्रामीणों का यह आक्रोश और आंदोलन की चेतावनी स्थानीय प्रशासन और सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती है।
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