सोनभद्र औद्योगिक नगरी में सांस की बीमारियों का बढ़ता प्रकोप, धूल कण बने मुख्य कारण

औद्योगिक विकास और मानव स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाने पर जोर

सोनभद्र औद्योगिक नगरी में सांस की बीमारियों का बढ़ता प्रकोप, धूल कण बने मुख्य कारण

जिले में टीबी और सांस संबंधी बीमारियों (सिलिकॉटुबरक्लोसिस, दमा, आईएलडी) से पीड़ित मरीजों की संख्या भी चिंताजनक

अजीत सिंह (ब्यूरो रिपोर्ट) 

सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश-

यूं तो सोनभद्र जिला अपनी पहचान "भारत का पॉवर हब" और "उद्योग नगरी" के रूप में रखता है। यहां सीमेंट फैक्ट्रियों, सीमेंट क्रशर इकाइयों, केमिकल प्लांट्स और बिजली उत्पादन केंद्रों की भरमार है। हालांकि, इस औद्योगिक विकास के साथ एक दुखद पहलू भी जुड़ा हुआ है। जिले में टीबी और सांस संबंधी बीमारियों (सिलिकॉटुबरक्लोसिस, दमा, आईएलडी) से पीड़ित मरीजों की संख्या भी चिंताजनक रूप से बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन बीमारियों का मुख्य कारण औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले धूल कण हैं।

मेडिकल कॉलेज के चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ. नागेन्द्र कुमार ने इस गंभीर स्थिति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उनके ओपीडी में आने वाले अधिकांश मरीज ऑक्युपेशनल अस्थमा (दमा), टीबी, सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज), सिलिकॉटुबरक्लोसिस (सिलिका धूल कणों के कारण होने वाली टीबी), आईएलडी (इंटरस्टिशियल लंग डिजीज - फेफड़ों के सिकुड़ने की बीमारी) और यहां तक कि फेफड़ों के कैंसर से भी पीड़ित होते हैं। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि पिछले छह महीनों में मेडिकल कॉलेज में एक दर्जन से अधिक फेफड़ों के फटने (न्यूमोथोरैक्स) के मामलों का मुफ्त इलाज किया गया है, जो जिले में सांस की बीमारियों की गंभीरता को दर्शाता है।

एसआईआर फ़ार्म भरने के लिए 980 किमी का सफर किया, Read More एसआईआर फ़ार्म भरने के लिए 980 किमी का सफर किया,

डॉ. कुमार ने टीबी के प्रमुख लक्षणों पर भी जोर दिया। उन्होंने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी आ रही हो, खांसी में खून आ रहा हो, भूख न लग रही हो और बुखार बना रहता हो, तो यह टीबी के संकेत हो सकते हैं। उन्होंने यह भी महत्वपूर्ण जानकारी दी कि भारत सरकार द्वारा टीबी की जांच और इलाज मुफ्त में उपलब्ध कराया जाता है, और मरीजों को पोषण सहायता के लिए प्रतिमाह एक हजार रुपये भी दिए जाते हैं।

देवरिया : कैदियों से मिले जिला जज एवं डीएम, सुनी गई समस्या Read More देवरिया : कैदियों से मिले जिला जज एवं डीएम, सुनी गई समस्या

दमा के लक्षणों पर बात करते हुए डॉ. नागेन्द्र कुमार ने बताया कि बार-बार जुकाम होना, सीने में जकड़न महसूस होना, छाती से सीटी जैसी आवाज आना, लगातार खांसी आना और सांस फूलना दमा के लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने विशेष रूप से आगाह किया कि फैक्ट्रियों में काम करने वाले कर्मचारियों और उनके आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को दमा होने का खतरा अधिक होता है। इससे बचाव के लिए उन्होंने मास्क का नियमित उपयोग करने और गर्म पानी का भाप लेने की सलाह दी।

नहीं रुक रहा है ओवरलोड ओवर हाइट गन्ना ट्रकों का संचालन कभी घट सकती है बड़ी दुर्घटना प्रशासन मौन Read More नहीं रुक रहा है ओवरलोड ओवर हाइट गन्ना ट्रकों का संचालन कभी घट सकती है बड़ी दुर्घटना प्रशासन मौन

उन्होंने लोगों से ऐसे लक्षण दिखाई देने पर तुरंत नजदीकी अस्पताल के चिकित्सकों से परामर्श करने का आग्रह किया।सोनभद्र जैसे औद्योगिक जिले में सांस की बीमारियों का बढ़ता प्रकोप एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती है। यह न केवल यहां के निवासियों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है, बल्कि औद्योगिक विकास और मानव स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर भी जोर देता है। धूल कणों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने और लोगों को इन बीमारियों के प्रति जागरूक करने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि "पॉवर हब" और "उद्योग नगरी" की पहचान के साथ-साथ यहां के लोगों का स्वस्थ जीवन भी सुनिश्चित किया जा सके।

About The Author

स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel