ओबरा इंटरमीडिएट कॉलेज के निजीकरण के विरोध में जोरदार विरोध प्रदर्शन
गरीब आदिवासी छात्रों का भविष्य संकट में
ओबरा इंटरमीडिएट कॉलेज का मामला, निजीकरण
अजीत सिंह / वीरेंद्र कुमार ( ब्यूरो रिपोर्ट)
उत्तर प्रदेश सोनभद्र के शिक्षा जगत में अपना लोहा कहे जाने वाला ओबरा इंटरमीडिएट कॉलेज का वजूद समाप्त किया कर दिया गया। इसको लेकर ग्रामीणों में आक्रोश ब्याप्त है। अब यही निजी हाथों में सौप दिया गया है और इसका संचालन डीएवी द्वारा किया जाएगा। गौरतलब है कि पूर्व में इसका संचालन राज विद्युत परिषद ओबरा द्वारा किया जा रहा था।
बतातें चलें कि ओबरा इंटरमीडिएट कॉलेज ने देश व प्रदेश को कई बड़े अधिकारी और प्रमुख चिकित्सक दिए है। स्थानीय लोगों में कॉलेज के मुख्य द्वार पर ओबरा इंटरमीडिएट कॉलेज का नाम हटाना लोगों के मन को दुखित करता है। ओबरा इंटर कॉलेज के अंतिम चरण में निजीकरण शुरू करने के खिलाफ विद्यार्थियों ने बेमियादी धरना आंदोलन भी किया।
इसके बावजूद भी सुनवाई नहीं हुई। प्रदर्शन करने वाले प्रदर्शनकारियों ने उत्पादन निगम के उच्च अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि महज ₹300 प्रतिमाह मासिक किराए के आधार पर ओबरा और अनपरा सहित अन्य उत्पादन निगम के सभी विद्यालयों को लीज के आड़ में बेच दिया गया। ऐसा घृणित कार्य करते समय गरीबों की आह का तनिक भी उच्च अधिकारियों का ध्यान नहीं रहा। अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति आदिवासी और जरूरतमंद गरीब विद्यार्थियों के साथ घोर अन्याय हुआ है।
वहीं ग्रामीणों ने कहा कि विद्यालय को जल्द से जल्द वापस नहीं किया गया तो एक बड़ा आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। हाथों में तखती भी देखी गईं जिसमे ओबरा इंटर कॉलेज बचाओ डीएवी हटाओ, ओबरा इंटर कॉलेज को सरकारी इंटर कॉलेज बनाया जाए और डीएवी स्कूल गो बैक ओबरा सीजीएम के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी किया। सरकारी धन में हो रहे जमकर भ्रष्टाचार वह बंदरबाट करने से ओबरा इंटर कॉलेज का अस्तित्व समाप्त कर 1600 विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में कर दिया गया।
वहीं विधानसभा महासचिव ओबरा अमरनाथ यादव ने बताया कॉलेज का मामला सालों से चल रहा है। जब इंटर कॉलेज निगम का होता था गरीब बनवासी दलित तबके के छात्र पढ़ते थे। ओबरा इंटर कॉलेज में अपनी शिक्षा दीक्षा पाने वाले छात्र आज डॉक्टर इंजीनियर वैज्ञानिक के पद पर आसीन होकर कॉलेज और जिले का नाम रोशन कर रहे है। बाबा साहब का सपना था पढ़ेंगे तो बढ़ेंगे उसी सपनों को अनदेखा करके उत्तर प्रदेश की गवर्नमेंट कॉलेज को प्राइवेट करके शिक्षा से बच्चों को वंचित करने का काम कर रही है।
कॉलेज से संबंधित छात्रों ने कई बार धरना भी दिए। इतना ही नहीं शिक्षक एमएलसी राम बिहारी यादव को ज्ञापन देकर निजीकरण के मामले से अवगत कराया गया था, जिसके क्रम में मुद्दा सदन में उठाया भी गया था। हमलोंग निजीकरण के विरोध में लगातार लड़ाई लड़ रहे है। जब तक पुनः कॉलेज को निगम के हाथों ना करा दे तब तक मरते दम तक हमारी लड़ाई जारी रहेगी। अन्त में अमरनाथ यादव ने कहा मनमाना फीस बढ़ने से कॉलेज की छात्रों की संख्या आधी से भी कम रह गई है।

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