गोबर पहुंचा हरियाणा व‍िधानसभा 

गोबर पहुंचा हरियाणा व‍िधानसभा 

पिछले दिनों हरियाणा विधानसभा में सतारूढ दल भाजपा के दो विधायक आपस में ही भिड़ गए। दोनो सिनियर विधायक हैं जिनमें से एक हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री है नाम है डाक्टर अरविंद शर्मा और दूसरे वरिष्ठ विधायक का नाम है रामकुमार गौतम, गोहाना की जलेबी से शुरू हुई बात दस किलो गोबर पीने तक पहुंच गई। अरविंद शर्मा गोहाना के विधायक है, जब रामकुमार गौतम ने गोहाना की जलेबी को कूड़ा और डालडा की बताया तो अरविंद शर्मा चिढ़ गए और जबाब देते हुए बोले कि रामकुमार गौतम तो शर्त लगा कर दस किलो गोबर पी गया था। पलटवार करते हुए रामकुमार गौतम ने अरविंद शर्मा को भ्रष्टाचारी बताते हुए कहा कि अरविंद शर्मा पेट्रोल पम्प दिलाने के नाम पर लोगों से पैसे ठगता है।
 
यहां तक कहा कि मेरे रिश्तेदार के पैसे भी खा गया। आखिर यह कैसी मर्यादा है, ये कैसे नेता है। विधानसभा के अंदर निम्नस्तरीय भाषा का प्रयोग करते हुए एक दूसरे पर बच्चों की तरह इल्जाम लगा रहे हैं। भाजपा हाईकमान को इस घटना का संज्ञान लेना चाहिए और दोनो विधायकों को कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए। लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा कि कार्यवाही का टी.वी पर सीधा प्रसारण चलता है। इन नेताओ को इतना भी नही पता कि उनका आचरण लोगों पर क्या असर डालेगा।
 
जनता खुद को ठगा सा महसूस करती है जब देखती है कि उनके चुने हुए नेता उनके मुद्दों को छोड़ एक दूसरे पर व्यक्तिगत टिप्पणियां कर लड़ रहे हैं। जनता भी कहीं ना कहीं दोषी है, वही तो चुनकर भेजती है इनको, बिना सोचे समझे जनता बस चुनवी वादों के चक्कर में ऐसे नेताओं का चरित्र जानते हुए भी उन्हे जितवा विधानसभा और लोकसभा भेजती है। दोनो के दोनो दलबदलू हैं। रामकुमार गौतम और अरविंद शर्मा की कोई विचारधारा नही है। इनकी विचारधारा सिर्फ और सिर्फ कुर्सी है।
 
जिधर कुर्सी उधर पलटी मारना इनकी पुरानी आदत है। रामकुमार गौतम पहली बार 2005 में भाजपा की टिकट पर नारनौंद विधानसभा से हरियाणा विधानसभा के लिए चुने गए थे। 2009 के हरियाणा विधानसभा चुनाव आते-आते गौतम कांग्रेस में शामिल हो गए और 2009 का चुनाव नारनौंद से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में हार गए। 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भी टिकट नही दिया तो नारनौंद से निर्दलीय खड़े हो गए और हार गए।
 
पूरी उम्र चौटाला परिवार को कोसते कोसते राजनीति करते रहे परन्तु  2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में चौटाला परिवार के अजय चौटाला और दुष्यंत चौटाला की नवगठित राजनीतिक पार्टी जननायक जनता पार्टी में शामिल हो गए और नारनौंद से हरियाणा विधानसभा के लिए दूसरी बार चुने गए। 2024 के विधानसभा चुनावों से पहले जजपा की खस्ता हालत देख उनके भी लात मारी और फिर से भाजपा में शामिल हो सफीदो से बमुश्किल चुनाव जीत विधायक बने। दूसरी अरविंद शर्मा की बात करें तो यह भी दलबदल के माहिर और बहुत बड़े खिलाड़ी हैं।
 
अरविंद शर्मा ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत 1996 में सोनीपत से स्वतंत्र लोकसभा चुनाव जीत कर की, स्वतंत्र लोकसभा चुनाव जीतना बहुत बड़ी बात है इसमे कोई शक नही परन्तु यह तो आरंभ मात्र था। 1998 का लोकसभा चुनाव शिवसेना के चुनाव चिन्ह पर सोनीपत से लडा और हार गए। शिवसेना छोड़ कांग्रेसी हो गए 2004 और 2009 का लोकसभा चुनाव करनाल से जीते परन्तु 2014 की मोदी लहर में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में करनाल से लोकसभा चुनाव हार गए।
 
कांग्रेस छोड़ बहन जी की पार्टी बसपा की ओर से 2014 हरियाणा विधानसभा चुनाव दो सीटों जुलाना और यमुनानगर से लड़ा परन्तु दोनो सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का दामन पकड़कर रोहतक से सांसद बने। 2024 का लोकसभा चुनाव फिर रोहतक से भाजपा की टिकट पर लड़ा परन्तु इस बार असफलता हाथ लगी और हार गए।  2024 हरियाणा विधानसभा चुनाव गोहाना से कमल के फूल के निशान पर लड़ा और जीत कर सरकार में  जेल एवंम सहकारिता मंत्री पद पर आसीन हुए। 
 
दोनो ही नेता अतिवरिष्ठ और अतिअनुभवी हैं परन्तु शिष्टाचार के नाम पर जीरो, नेता को लोकसभा, व‍िधानसभा या अन्य किसी हाऊस में लड़ता देख जनता प्रसन्न होती है यदि वो जनता के हक के लिए लड़ रहा हो। ऐसे बेहुदगी की हदें पार कर लड़ता देख जनता के मन में नेता के प्रति सम्मान कम होता है और जनता समय आने पर अपना विरोध दिखा भी देती है। पार्टी के साथ साथ विधानसभा अध्यक्ष को भी इस तरह के विधायकों के खिलाफ सख्त से सख्त एक्शन लेना चाहिए ताकि आने वाले समय में इस तरह की हरकत करने से नेता झिझके।
 
जनता इस तरह के नेताओं को चुनावों में सबक सिखाना अच्छे से जानती। इसका सशक्त उदाहरण दिल्ली की जनता एक बड़बोले नेता को लोकसभा और विधानसभा चुनाव हरवाकर दिखा चुकी है। नेताओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि आप को  कुर्सी पर बैठाया है जनता का काम करने और जनता के हक की आवाज उठाने के लिए ना की अपनी व्यक्तिगत खुन्नस निकालने के लिए, जनता को वोट डालते समय नेता के चाल चरित्र पर खुले तौर पर विचार कर के वोट देना चाहिए।  

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