सशक्त नारी, सशक्त समाज
पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा कहा गया मशहूर वाक्य “लोगों को जगाने के लिये”, महिलाओं का जागृत होना जरुरी है।_
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अंतराष्ट्रीय महिला दिवस विशेष:
लेखक सचिन बाजपेई
वर्तमान में हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे है जिसके अन्तर्गत महिलाओं को सशक्त करने हेतु और उनको समाज में बराबर का हक दिलाने के लिए प्रयत्न जारी है पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा कहा गया मशहूर वाक्य “लोगों को जगाने के लिये”, महिलाओं का जागृत होना जरुरी है। क्योंकि उन्ही से परिवार आगे बढ़ता है, गाँव आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होता है।
भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाले उन सभी राक्षसी सोच को मारना जरुरी है जैसे दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, भ्रूण हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार, वैश्यावृति, मानव तस्करी और ऐसे ही दूसरे विषय।
चिंता का विषय यह भी है कि जिस भारत में कहा जाता था यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता वहां नारियों की ऐसी स्थिति हुई कैसे मेरी समझ से इसका एकमात्र कारण पश्चिमी सभ्यता के प्रति लोगों का लगाव और अपनी सभ्यता से दूर होना है पुरातन समय की स्त्रियां शिक्षित कुशल श्रेष्ठ वह सर्वगुण संपन्न थी लेकिन मुगलों के शासन में स्त्रियों की बहुत दुर्दशा हुई स्त्रियों को सिर्फ भोग विलास की वस्तु बना दिया गया परंतु वर्तमान युग में संविधान में उल्लिखित समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना सबसे प्रभावशाली उपाय है इस तरह की बुराईयों को मिटाने के लिये। लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने से पूरे भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है।
महिला सशक्तिकरण के उच्च लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये इसे हर एक परिवार में बचपन से प्रचारित व प्रसारितकरना चाहिये। ये जरुरी है कि महिलाएँ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रुप से मजबूत हो। महिलाओं के उत्थान के लिये एक स्वस्थ परिवार की जरुरत है जो राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिये आवश्यक है। आज भी कई पिछड़े क्षेत्रों में माता-पिता की अशिक्षा, असुरक्षा और गरीबी की वजह से कम उम्र में विवाह और बच्चे पैदा करने का चलन है। महिलाओं को मजबूत बनाने के लिये महिलाओं के खिलाफ होने वाले दुर्व्यवहार, लैंगिक भेदभाव, सामाजिक अलगाव तथा हिंसा आदि को रोकने के लिये सरकार कई सारे कदम उठा रही है।
परंतु सिर्फ सरकार के कदम उठाने से कोई बड़े बदलाव नहीं होंगे हम सबको आगे बढ़ कर आना होगा और अपनी आस-पड़ोस जागरूकता फैलाने होगी और लैंगिक असमानता को मिटाने के लिए प्रयत्न करना होगा तभी हम महिला सशक्तिकरण को धरातल पर देख सकेंगे और हमारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाना सफल हो सकेगा और वर्तमान नारी गार्गी अपाला मैत्री लक्ष्मीबाई की तरह बनेगी जिससे पूरे विश्व में महिलाएं सशक्त होगी और समाज भी सशक्त होगा
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