युवा मतदाताओं पर बहुत कुछ निर्भर

युवा मतदाताओं पर बहुत कुछ निर्भर

स्वतंत्र प्रभात 
देश में आम चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, हर पार्टी अपनी अपनी रणनीति तैयार कर रही है। इसमें युवा मतदाताओं पर बहुत कुछ निर्भर है। देश में वर्तमान में कुल मतदाताओं की संख्या 97 करोड़ है। जिसमें 66 फीसदी मतदाता है। युवा मतदाता हर पार्टी के पास है। लेकिन कौन सी पार्टी उसको सबसे ज्यादा प्रभावित कर रही है। युवा किस पार्टी के खिलाफ है, इसमें कोई आम सहमति नहीं है। क्यों कि ज्यादातर युवा मतदाताओं का रुझान भी वहीं होता है जहां उनके परिवार की भी सहमति होती है।
 
ऐसा हर वर्ग में लागू नहीं हैं। उच्च वर्ग और मध्यम वर्ग में ऐसा प्रतिशत ज्यादा होता है। लेकिन हम निम्न मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग की बात करें तो उनकी राय परिवार से अलग हो सकती है। उनको नहीं मतलब कि परिवार क्या सोचता है। वह सिर्फ यह देखते हैं कि कौन सी सरकार हमारे लिए कुछ कर रही है। दरअसल यही मतदाता इधर-उधर होता है और प्रत्याशी की हार जीत निश्चित करता है। ऐसे मतदाताओं की संख्या 25 से 30 फीसदी के बीच होगी और इतना मार्जिन हार जीत के लिए पर्याप्त होता है।
 
इस बार के लोकसभा चुनाव में करीब एक करोड़ 82 लाख मतदाता ऐसे हैं जो पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। ये मतदाता ज्यादातर ऐसे हैं जो अभी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं या उन्होंने अभी हाल ही में कोई व्यापार या नौकरी करनी शुरू की है।‌ ये राजनीतिक चतुराई से अंजान हैं लेकिन ऐसे भी नहीं कि ये अपना अच्छा बुरा न समझते हों। पार्टियां युवा सम्मेलन कर इनको लुभा भी रहीं हैं। लेकिन ये मतदाता सत्ता पक्ष से ज्यादा प्रभावित होते हैं और सत्ता धारी दल के साथ रहना ज्यादा पसंद करते हैं।
 
लेकिन कहीं कहीं अन्य पार्टियों ने भी इनको प्रभावित किया है। पहली बार मतदान करने वालों मतदाताओं में गज़ब का उत्साह रहता है। आजकल चौराहों और चाय की दुकानों पर चुनावी चर्चा में भी इनको हिस्सा लेते देखा जा सकता है। कहने का मतलब ये भी धीरे धीरे राजनीति को समझ रहे हैं। युवा वर्ग का मत अपने परिवार से भिन्न हो सकता है क्योंकि यह नई जेनरेशन है। जो पढ़ी लिखी भी है इनको आप आसानी से गुमराह नहीं कर सकते। अब इसमें उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग सभी के मतदाता होते हैं।
 
यदि हम उच्च वर्ग की बात करें तो इनका रुझान पहले से ही तय होता है ये जल्दी अपनी राय नहीं बदलते चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों। इनका वोट तय ही रहता है। उच्च वर्ग की पहली पसंद भारतीय जनता पार्टी है। जिसमें व्यापारी वर्ग और सर्विस क्लास दोनों शामिल हैं। यह वर्ग आज से तकरीबन 35 वर्ष पहले कांग्रेस के साथ था और धीरे धीरे जब भारतीय जनता पार्टी मजबूत होती चली गई तो इनका वोट भी शिफ्ट हो गया। कांग्रेस का त्याग कर इसने फिर से कांग्रेस की तरफ मुड़कर नहीं देखा।
 
लेकिन इस वर्ग के मतदाताओं की संख्या बहुत अधिक नहीं है। जीतने के लिए मध्यम वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग का सहारा तो चाहिए ही है। और इसी को ध्यान में रखकर राजनीतिक दल प्रत्याशी का चयन करते हैं। जहां पर समीकरण नहीं बन पाता है उस सीट को गंवाना पड़ता है। इसमें कुछ मध्यम वर्ग भी है जो पूरी तरह से भारतीय जनता पार्टी के प्रति समर्पित है। और यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी का वेस वोट इतना तगड़ा हो गया है जिसको तोड़ पाना हाल फिलहाल में तो नजर ही नहीं आता।
 
 मध्यम वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग रोजगार, महंगाई को लेकर हमेशा से चिंतित रहा है। क्यों कि वह निम्न वर्ग की तरह जीवन यापन कर नहीं सकता और उच्च वर्ग जितनी स्थिति नहीं होती। और यह निर्णय करता है कि इस बार किसको वोट दिया जाना चाहिए। और यह आखिरी समय तक इस उहापोह की स्थिति में रहता है। निम्न वर्ग एक ऐसा वर्ग है जिसे कोई भी राजनीतिक दल आखिरी समय तक अपनी ओर आकर्षित कर सकता है और हार को जीत में, जीत को हार में बदल सकता है। हमने कई चुनावों में ऐसा देखा है कि रातोंरात हवा बदल जाती है और इनके वोट को आकर्षित कर लिया जाता है। 
 
वैसे हम उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां जातिगत समीकरण हर चुनाव में हावी रहते हैं और यहां चुनाव कभी कभी मुद्दा विहीन हो जाता है और जातियों का ही बोलबाला रहता है।चाहे आप पूर्वांचल को लेले, बुंदेलखंड को देख लें, मध्य उत्तर प्रदेश को देखले चाहे पश्चिमी उत्तर प्रदेश को हर क्षेत्र में जाति और धर्म के अनुसार ही प्रत्याशियों का चयन होता है।
 
इस समय सबसे ज्यादा जातिवादी दल भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन गठबंधन में हैं। और इसी लिए भारतीय जनता पार्टी की पकड़ काफी मजबूत मानी जा रही है। युवा मतदाता भी हर वर्ग और धर्म जाति से है लेकिन वह सोचने की शक्ति ज्यादा रखता है। लेकिन बहुत कुछ माहौल पर भी निर्भर करता है कि कब क्या माहौल चल रहा है। वर्तमान समय में भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने वालों की संख्या ज्यादा है। क्यों कि वह सत्ता धारी दल है। अन्य पार्टियों में भी युवा हैं लेकिन सत्ता के साथ लगाव सभी को भाता है।
 
जितेन्द्र सिंह पत्रकार 

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