बेसिक शिक्षा विभाग में फैले भ्रष्टाचार को पोषित कर रहे खंड शिक्षा अधिकारी फूल बेहड
कथित तौर पर फर्जी अंक पत्रों पर नौकरी कर रहे शिक्षकों के बचाव में उतरे साहब नहीं करा रहे फर्जी अंक पत्रों की जांच
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स्वतंत्र प्रभात
लखीमपुर खीरी जनपद खीरी के बेसिक शिक्षा विभाग में फैले हुए भ्रष्टाचार और फर्जीवाडा पर लगाम लगा पाने में बेसिक शिक्षा अधिकारी पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहें हैं।साहब की लापरवाही कहे या फिर कुछ और कि विभाग में अरसे से फर्जी अंक पत्रों पर नौकरी कर रहे शिक्षकों के विरुद्ध कई की शिकायते दिये जाने के वावजूद आजतक शिक्षकों के अंक पत्रों की जांच नहीं कराई जा रही है।
यदि शिकायतीपत्र मार्क होकर खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय फूलबेहड पहुंच भी जाय तो वहां प्रार्थना पत्र ही गायब कर दिया जाता है। और कह दिया जाता है कि आप हमें एक कापी दे दो हम तुरंत कार्य वाही कर देंगे। खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में बैठे कथित संविदा कर्मी कमरूल साहब और फर्जी अंक पत्रों पर नौकरी कर रहे शिक्षकों के बीच चल रही सेटिंग गेटिंग के चलते कोई कार्यवाही हो पाना नामुमकिन सा लगने लगा है।
विभागीय अधिकारियों की धनलोलुपता के चलते सरकार के आदेशों को खुली चुनौती पेश कर फर्जीवाडा के आरोप में लिप्त शिक्षकों को खुलेआम संरंक्षण दिया जा रहा है।और योगी आदित्यनाथ के जीरो टॉलरेंस नीति को हकीकत के धरातल पर रौंदा जा रहा है। बेसिक शिक्षा अधिकारी इस पूरे मामले पर जानकारी होने के वावजूद अंनजान की भूमिका में नजर आ रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उक्त मामले में अपर निदेशक बेसिक शिक्षा द्वारा मामले में संज्ञान लेते हुए त्वरित कार्रवाई करने केलिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी खीरी को आदेशित किया गया है।
लेकिन मामला ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ होती दिखाई पड़ रही है। यहां पर अहम सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी है बेसिक शिक्षा अधिकारी खीरी की जो फर्जी अंक पत्रों पर नौकरी कर रहे शिक्षकों के अंक पत्रों की जांच नहीं कराई जा रही है। जबकि सभी शिक्षकों के अंक पत्र उनकी सेवा पंजिका में लगे होने चाहिए। उक्त शिक्षकों के अंक पत्रों की जांच के बाद एक बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा होना तय है और कई विभागीय अधिकारियों समेत अन्य जिम्मेदारों पर कार्यवाही होना होगा तय।
शिकायतकर्ता ने मामले की लिखित शिकायत निदेशक बेसिक शिक्षा लखनऊ व मण्डल आयुक्त लखनऊ मंडल लखनऊ से शपथपत्र के साथ करने की बात कही है।अब देखना यह है कि आखिर कब तक चंद कागज़ के टुकड़ों की दम पर उक्त मामले को दबाया जाता रहेगा और सरकारी खजाने को प्रतिमाह लाखों रूपयों का चूना लगाया जाता रहेगा।
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