कुशीनगर : धन्य हैं राजेंद्र निषाद जो भगवान का दूसरा रूप हैं नदी में मरने वालों को बचाता है..! 

कुशीनगर : धन्य हैं राजेंद्र निषाद जो भगवान का दूसरा रूप हैं नदी में मरने वालों को बचाता है..! 

कुशीनगर।  जी हां मैं उस एक नेक इंसान की बात कर रहा हूं जिसके फितरत में कहे या उसके शरीर की रग रग में मानवीयता कूट-कूट करके समाहित है डूबते लोगों की जान बचाता है इसीलिए ही हमने नाविक राजेंद्र निषाद की रूप को भगवान के दर्जा के रूप में देखा हैं और लिख रहे हैं तुम धन्य हो राजेंद्र निषाद..! 
 
आईए जानते हैं कौन है राजेंद्र निषाद हनुमानगंज थाना क्षेत्र के ग्राम पनियहवा के निवासी हैं और पनियहवा रेल पुल नदी में मोटर बोर्ड चलाता हैं वहां पर पहुंचने वाले माँ नारायणी धाम तीर्थयात्री मोटर बोट के शौकीन सैलानीयों को नदी क्षेत्र में भ्रमण कराकर आनंदित करता है, इसके एवज में सैलानी आर्थिक सहयोग प्रदान करते हैं। 
दूसरी बड़ी वारदात ये है कि महिला हो या पुरुष जीवन से त्रस्त दुःख कष्ट में उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार प्रदेश के पनियहवा रेल पूल पर आकर नदी में छलांग लगा देते हैं ऐसी तमाम घटनाएं आये दिन घटित होती है उन्हे नाविक राजेंद्र निषाद मरने नही देता है उन्हे मोटर बोट की मदद से छानकर कर उसकी जान बचा लेता हैं।
 
यूपी सरकार को करना चाहिए प्रोत्साहित
 
आज निःस्वार्थ भाव से पनियहवा रेल पूल के पास गंडक नदी में तैनात मोटर बोट नाविक राजेंद्र निषाद अब तक एक दर्जन डूबे लोगों की जान बचा चुका हैं,घटना की सूचना मिलते ही बिना देर किये मोटर बोट दौड़ाकर धड़ाम से छानने जान बचाने पहुँच जाता है, ऐसे दुःशासिक बहादुर नाविक जो नदी में एकला जीवन व्यतीत कर रहा है जिसकी प्रेरणा ईमानदारी का लोग आज कायल हैं ऐसे पुरुष को बारंबार सैल्यूट करता हूँ।  बेशक नेक दिल इंसान और बहादुरी की पहचान बहुत कम लोगों को होती हैं यहाँ तो झुठो का पुलिंदा है। ये ओ बहादुर शेर नाविक है जो दिन हो या रात न जाने कब से नदी में रहकर मानव जाति की रक्षा करता हैं और हाँ निःस्वार्थ भाव से अपना मोटर बोट का पेट्रोल जलाता हैं और अपने परिश्रम से एक एक कर डूबते लोगों की सहारा बनकर जान बचाता हैं। फिरभी इंसानो की जान बचाना शायद उसके जीवन के रग रग में बसा हैं।
 
ऐसे महापुरुष पर जनप्रतिनिधियों का नही हैं ध्यान 
 
बेशक राजेंद्र निषाद अब तक नदी में छलांग लगाने वाले युवक युवतियाँ हो या नई नवेली महिलाओं की दराजनों जान बचा चुका हैं, पर दुर्भाग्य इस बात का है कि इसकी बहादुरी की तारीफ कहे या हौसला ऑफ जाई बढ़ाने के लिए आज तक किसी जन प्रतिनिधि ने जरूरत महशुस ही नही किया हैं। जब कि बार बार नदी में कूदने वालों की और जान बचाने वाले नाविक राजेंद्र निषाद की खबर अखबारों की पन्नों में सुर्खिया बनी रहती हैं। जैसे बीते दिन 19 सितंबर को स्वतंत्र प्रभात समाचार के पन्ने पर "पति ले रहा था सेल्फी नदी में कूद गयी पत्नी" शीर्षक से प्रकाशित हुई थी। वैसे तो फोटो खिचवाने की चर्चाये भी होती ही रहती हैं। 

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