कैंसर के इलाज के लिए बांदा का छात्र नीदरलैंड में रोबोट विकसित करेगा

छात्र मुजम्मिल खान का रिसर्चर के पद पर हुआ चयन

कैंसर के इलाज के लिए बांदा का छात्र नीदरलैंड में रोबोट विकसित करेगा

स्वतंत्र प्रभात

बांदा। कैंसर के उपचार में रोबोट एसिस्टेड सर्जरी सिस्टम, प्रेसीजन मेडिकल ऑंकोलॉजी और रेडिएशन थेरेपी में नई तकनीकों के उपयोग ने क्रांति ला दी है। इस तकनीक के उपयोग से कैंसर रोगियों को बेहतर परिणाम मिल रहे हैं। इसी तकनीक के बारे में तमाम शोध करने वाले बांदा के छात्र मुजम्मिल खान का यूरोप के नीदरलैंड में रिसर्चर के पद पर चयन हुआ है। मुजम्मिल खान वहां के सेंटर इंस्टीट्यूट में रहकर कैंसर के इलाज के लिए रोबोट विकसित करेंगे। उनके इस पद पर चयन होने पर पर जनपद और बुंदेलखंड गौरांवित हुआ है। उन्हें लोग शुभकामनाएं दे रहे हैं।


शहर के छावनी मोहल्ले में रहने वाले दिवंगत मशहूर शायर एहसान कुरैशी (आवारा बांदवी) की बेटी सालेहा कुरैशी पत्नी नफीस अहमद खान के पुत्र मुजम्मिल खान बांदा में ही पले बढ़े। इनकी प्रारंभिक शिक्षा शिशु मंदिर अवस्थी  पार्क में हुई। कक्षा 9 से 12 तक सरस्वती विद्या मंदिर में केमिस्ट्री फिजिक्स सब्जेक्ट से पढ़ाई पूरी कर यहां के पंडित जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय में बीएससी एमएससी तक शिक्षा ग्रहण की। 2019 में मद्रास आईआईटी से गेट का एग्जाम पास किया और उसके बाद मौलाना आजाद विश्वविद्यालय भोपाल से मैथमेटिक्स में पीएचडी की। इस दौरान उन्होंने तमाम शोध किये जिस पर मध्य प्रदेश सरकार ने कई अवार्ड दिये और 2022-23 में फेलोशिप प्रदान की। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई लेख और शोध पत्र प्रदर्शित किये । अब उनका 28 जुलाई 2023 को नीदरलैंड में रिसर्चर के पद पर चयन हो गया।


उनका कहना है कि नीदरलैंड के सेंटर इंस्टीट्यूट में 20 से 25 डॉक्टर हैं। इसी तरह हमारे ग्रुप में भी इतने ही डॉक्टर व रिसर्चर हैं। दोनों ग्रुप मिलकर कैंसर के बेहतर इलाज के लिए रोबोट विकसित करने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि कैंसर का इलाज तीन तरह से होता है मेडिसिन, रेडिएशन थेरेपी या फिर सर्जरी। सर्जरी के दौरान डॉक्टर से गलती हो सकती है लेकिन रोबोट गलती नहीं करता। इसलिए हम लोग मिलकर इस तरह के रोबोट विकसित करेंगे जो बेहतर ढंग से सर्जरी का काम कर सके। उन्होंने अपनी इस सफलता के लिए अपनी मां सालेहा कुरैशी को श्रेय दिया और कहा कि मां ने मेरा हमेशा हौसला बढ़ाया। मेरी प्रोफेसर बनने की इच्छा थी इस पर मां ने भरपूर सपोर्ट किया। इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए मां का पूरा योगदान है इसलिए मैं उन्हीं को अपना पूरा श्रेय देता हूं।

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