लोक अदालत में बकाएदारों ने बढ़चढ़ कर ली भागेदारी।

लोक अदालत में बकाएदारों ने बढ़चढ़ कर ली भागेदारी।

स्वतंत्र प्रभात-

राष्ट्रीय लोक अदालत आज दिनांक 09.09.2023 को सुल्तानपुर मे लगाई गई. बकाएदारों के कुल समझौते में खातेदारों की संख्या   137 थी जिसमें बकाया राशि   1.40 लाख थी लेकिन  समझौता राशि   95.27 लाख हुई नकद वसूली      20.52 लाख हुई।जिसमे महत्त्व पूर्ण भूमिका बैंक अधिकारी के मुख्य प्रबंधक ने अदा की । लोक अदालत की स्थापना का विचार सर्वप्रथम भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पी.एन.भगवती द्वारा दिया गया था। सबसे पहली लोक अदालत का आयोजन 1982 में गुजरात में किया गया था। 2002 से लोक अदालतों को स्थायी बना दिया गया

लोक अदालत का उद्देश्य -
 यह एक मंच है जहां विवादो/अदालत में लंबित मामलों या दायर किए जाने से पहले ही वादों का सदभावनापूर्ण ढंग से निपटारा किया जाता है। वैसे 'लोक अदालत' शब्द का मतलब 'पीपुल्स कोर्ट' है और यह गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित है।

 

लोक अदालत का उद्देश्य -

जानकारी के लिए बता दे की लोक अदालतों को कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत कानूनी दर्जा दिया जाता है। और इस अधिनियम के तहत लोक अदालत द्वारा किए गए निर्णय को वही मान्यता प्राप्त है जो किसी दीवानी कोर्ट के फैसले का होता है, वह अंतिम और सभी पक्षों पर बाध्यकारी होता है और उसके विरुद्ध कोई अपील नहीं की जा सकती।लोक अदालत की स्थापना का विचार सर्वप्रथम भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पी.एन.भगवती द्वारा दिया गया था। और फिर सबसे पहली लोक अदालत (First lok adalat) का आयोजन 1982 में गुजरात में किया गया था। 2002 से लोक अदालतों को स्थायी बना दिया गया।

कई ग्रामीण और जिनके बहुत पुराने लोन थे उन्होंने वहां जाकर आपकी अपनी समस्या बताई और जिसका निस्तारण बैंक के अधिकारियों द्वारा किया गया और इतनी भारी संख्या में लोन लेने वाले इसलिए पहुंचे क्योंकि बैंक के अधिकारियों ने काफी जागरूकता से इसका प्रचार प्रसार किया।

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