आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज की निगाहें कुलपति की ताजपोशी पर, 100 से ज्यादा लोगों किए हैं आवेदन

आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज की निगाहें कुलपति की ताजपोशी पर, 100 से ज्यादा लोगों किए हैं आवेदन

स्वतंत्र प्रभात
 
 मिल्कीपुर, अयोध्या।आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज के कुलपति का कार्यकाल 25 मार्च को समाप्त होगा, ऐसे में निगाहें कुलपति की ताजपोशी पर होना स्वाभाविक हैं। इस पद के लिए राजभवन द्वारा दी गई विज्ञप्ति में अब तक कई पूर्व आईसीएआर के डायरेक्टर,पूर्व कुलपति तथा विश्व विद्यालय के दर्जनभर प्रोफेसर सहित 100 से अधिक दावेदार कुलपति पद की दौड़ में हैं।
 संज्ञान में आया है कि अभी तक सर्च कमेटी की बैठक नहीं हो पाई, ऐसे में विश्वविद्यालय के किसी वरिष्ठ वैज्ञानिक को ही कार्यभार मिलना स्वाभाविक है। 
पूर्व में कुलपति का चयन बोर्ड करता था, जिसमें प्राय: विवाद बना रहता था तो सरकार ने चारों कृषि विश्वविद्यालयों में कुलपति के चयन हेतु 3 सदस्यीय सर्च कमेटी का गठन कर दिया है। विश्वविद्यालय में परंपरा रही है कि कुलपति का कार्यभार कुलसचिव को दिया जाता रहा है जिसके चलते दो बार विश्वविद्यालय के कुलसचिव को ही कुलपति का कार्यभार दिया गया।
 चयनित कुलसचिव के न होने की स्थिति में तीन बार मंडलायुक्त को भी कार्यभार दिया गया। पूर्व में डा. कीर्ति सिंह, प्रोफेसर बी•बी• सिंह, डा• रूम सिंह तथा डा•पीके गुप्ता को टेक्निकल के रूप में वरिष्ठतम होने के नाते कुलपति बनाया गया जो कि सफल कुलपति भी रहे।
 प्राप्त रिज्यूम की भले ही स्क्रीनिंग कर के टॉप टेन सूची बनाई गई हो पर बैठक (विमर्श) के अभाव में तीन नामों के चयन पर अंतिम मुहर राजभवन की ही होगी। सर्च कमेटी में एग्रीकल्चर बोर्ड मेंबर की हैसियत से कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में अपर मुख्य सचिव कृषि डा• देवेश चतुर्वेदी तथा टेक्निकल मेंबर के रूप में मंगला राय पूर्व महा निदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई तीन नामों को अंतिम रूप देंगे।
                   
 सर्च कमेटी की बैठक ना होने की स्थिति में ऐसा नहीं लगता कि नियमित नियुक्ति हो पाएगी। वर्तमान में विश्व वद्यालय में नियमित कुलसचिव के ना होने के चलते यदि परंपरा का पालन होता है,और पूर्व में की गई नियुक्तियों को आधार माना जाता है तो विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर को ही कुलपति का प्रभार मिलना तय है। अंतिम निर्णय तो राजभवन का ही होगा ऐसे में अब निगाहें राजभवन की ओर ही हैं।

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