इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रों के बीच नए नए विवाद 

इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रों के बीच नए नए विवाद 

 
स्वतंत्र प्रभात
 
प्रयागराज - इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रों के बीच लगातार नए नए विवाद खड़े हो रहे हैं। शुक्रवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के साइंस फैकेल्टी के मुख्य द्वार पर विश्वविद्यालय प्रशासन दीवार खड़ी कर रही थी।इसकी सूचना मिलते ही सुबह-सुबह कई छात्र नेता पहुंच गए और बन रही दीवार को गिराकर निर्माण को रुकवा दिया।
 
वहीं, जब इसकी जानकारी कर्नलगंज थाने पहुंची। तो एसओ राममोहन राय ने सिपाहियों के साथ पहुंचकर छात्रों को समझा बुझाकर मामले को शांत कराया और दीवार निर्माण को रुकवा दिया और अत्यधिक मात्रा में फोर्स आने के पश्चात दीवार निर्माण का कार्य दुबारा शुरू हुआ, इस दौरान नेता गिरी करने वाले छात्र नेता हुए गायब। देर शाम तक दीवार निर्माण का कार्य पूरा हुआ और कई पुलिस अधिकारी भी इस दौरान रहे मौजूद। लेकिन देर रात के बाद जब पुलिस फोर्स हट गई तो कई छात्रनेताओं के साथ कई छात्र व कई अन्य लोगों ने मिलकर उस खड़ी दीवार को ध्वस्त कर दिया।
 
इस गेट से प्रतिदिन हजारों छात्र-छात्राएं आते जाते हैं 
 
 छात्र नेता हरेंद्र यादव ने कहा कि सुबह जब हम लोगों ने सुना कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के साइंस फैकल्टी के मुख्य गेट पर दीवार बन रही है तो हम लोग पहुंचे। यहां पर 4 से 5 फीट की दीवार खड़ी कर दी गई थी। उसके बाद हम लोगों ने उसे गिरा दिया। साइंस फैकल्टी के मुख्य गेट पर पिछले दिन ताला लगा दिया गया था। यह यूनिवर्सिटी का मुख्य गेट है और इस गेट से प्रतिदिन हजारों छात्र-छात्राएं आते जाते हैं। इसी गेट के माध्यम से दिन रात मुस्लिम बोर्डिंग हॉस्टल के छात्र भी मुख्य बाजार आते जाते हैं। 
 
गेट पर 4-5 फीट पक्की दीवार खड़ी कर दी गई थी : छात्र नेता ने कहा कि आज से 3, 4 चार दिन पहले इस गेट पर ताला बंद किया जाता है और फिर इनकी तानाशाही देखिए की मुख्य गेट पर दीवार खड़ी की जा रही है। आज हम लोगों ने जब सुबह आकर देखा तो इस गेट पर चार पांच फीट पक्की दीवार खड़ी कर दी गई थी। यह सिर्फ दीवार बनाना रुकना तक की बात नहीं है। गेट पर लगे ताला खुलवाने की भी बात है।
 
इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन इस ताले को भी खोलें, क्योंकि यदि आप छात्रों को देखें तो उनको एक किसी भी डाक्यूमेंट्स की फोटोकॉपी करानी होती है तो इसी गेट के माध्यम से जाना पड़ता है और यदि उनको भूख लगती है तो इसी के मुख्य द्वार के अगल बगल पार्किंग और सड़क पर लगी दुकानों में ही नाश्ता पानी भी करता है। विश्वविद्यालय को विद्यार्थियों की समस्याओं को समझना चाहिए।
 
हम लोगों की लाशों पर इनको दीवार बनानी पड़ेगी 
 
छात्र नेता ने आगे कहा कि शहीद लाल पद्मधर आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए इसी गेट से निकला करते थे। इसी परिसर के वह छात्र थे और आप इस ऐतिहासिक गेट को बंद कर देना चाहते हैं तो यह कतई हम लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे। जब तक यह तय नहीं हो जाता कि ताला खुलना चाहिए और दीवार तो यहां हम लोग कतई नहीं बनने देंगे। यदि दीवार यहां पर बनेगी तो हम लोगों के लाशों पर इनको बनाना पड़ेगा।
 
 

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