महोबा । ब्यूरो रिपोर्ट-अनूप सिंह
आज 12 दिसम्बर 22 को बुन्देलखण्ड के सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने सदन में संस्कृत को राष्ट्रीय भाषा घोषित करने की मांग की। यहां यह ध्यान देने योग्य बात है कि देश की कोई राष्ट्रीय भाषा नही है और राजभाषा के रूप में हिंदी को संवैधानिक मान्यता है। देश को विकसित बनाने में परंपराओं ,सामाजिक व्यवहार, देश की मूल सोच के सही ज्ञान का होना जरूरी है और जब अमृत काल में 2047 तक भारतवर्ष को विकसित बनाना है तो यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि भारत की आत्मा को जाना जाए और यह संस्कृत के ज्ञान और प्रयोग के बिना संभव नही है। संस्कृत को जन जन पहुँचा कर उसके व्यवहारिक प्रयोग को बढ़ावा दे कर विकास के अन्य कारकों के बीच संतुलन बनाकर भारतवर्ष को पुनः विकसित बनाया जा सकता है।
जिस प्रकार सांसद द्वारा क्षेत्र के विकास के सफल प्रयास किये जा रहे है उसको देख कर लगता है कि इस अतिमहत्वपूर्ण राष्ट्रीय मांग पर सरकार गंभीरता से विचार करेगी। और सांसद का यह प्रयास भी सफल होगा।