ये भारत में मानवीय संवेदनाओं की अनदेखी

डॉ रामेश्वर मिश्र कोरोना के कहर ने हमारे जीवन प्रत्याशा को बहुत प्रकार से प्रभावित किया है, हमारे द्वारा अपने स्वजनों और समाज को बचाने का जो प्रयास किया जा रहा है वह हमारे देश की कमजोर स्वास्थ्य सेवाओं की कहानी मात्र है। हर रोज अपनों को खोने का भय समाज पर छाया हुआ है, सुबह से

डॉ रामेश्वर मिश्र

कोरोना के कहर ने हमारे जीवन प्रत्याशा को बहुत प्रकार से प्रभावित किया है, हमारे द्वारा अपने स्वजनों और समाज को बचाने का जो प्रयास किया जा रहा है वह हमारे देश की कमजोर स्वास्थ्य सेवाओं की कहानी मात्र है। हर रोज अपनों को खोने का भय समाज पर छाया हुआ है, सुबह से लेकर रात्रि तक हर व्यक्ति जीवन को सहेजने में लगा है, इस पर भी रोज हजारों लोगों को अपने परिजनों से हमेशा-हमेशा के लिए अलग होना पड़ रहा है।

                  यद्यपि जीवन के बाद मृत्यु एक अनवरत चलने वाली घटना है लेकिन मृत्यु का यह आवरण मृत्यु से कहीं ज्यादा भयावह है, मृत्यु से लोगों को न बचा पाने के कष्ट से कहीं ज्यादा कष्टकारी आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की कालाबाजारी से है। भारत में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी तो थी ही उस पर सरकार की गैर जिम्मेदारी एवं लोगों की अधिक धन कमाने की लालसा ने मानव को मानवीय संवेदनाओं से ही वंचित कर दिया और लोगों द्वारा ऑक्सीजन सिलिंडरों, आवश्यक दवाओं, एम्बुलेंस सेवा जैसी आवश्यक सेवाओं की कालाबाजारी और अधिक धन कमाने की पिपासा ने मानव को हैवान तक बना दिया है, हद तब और अधिक हो गयी जब हमारे देश में श्मशान की लकड़ियों में अचानक वृद्धि हो गयी।

                          भारत वही देश है जहाँ की संस्कृति का गौरवगान सम्पूर्ण विश्व में किया जाता है, आज कुछ लोगों की हैवानियत ने भारतीय समाज में घिनौना वातावरण तैयार कर दिया है, इन कालाबाजारियों की धर-पकड़ में हो रही देरी का फल है कि इन्होंने न जाने कितनी टूटती साँसों को अपना निवाला बना लिया। इस हैवानियत के पैरवोकार हर शहर में मौजूद हैं, 08 मई  को भारतीय जनता पार्टी के पूर्व कैबिनेट मंत्री राजीव प्रताप रूडी के कार्यालय कैंपस में एम्बुलेंस सेवाओं की लगभग एक दर्जन से अधिक गाड़ियां त्रिपाल से ढकीं हुई पकड़ी गयी जो विकास के नाम पर नये भारत के निर्माण के लिए एक सराहनीय पहल के रूप में क्रय की गयी थी लेकिन संकट से जूझ रहे देश और बिहार में लोग अपनों को बचाने के लिए जहाँ 06 मई को भागलपुर से पटना तक ले जाने के लिए एम्बुलेंस गाड़ियों का किराया जो कि महज बारह हजार होता है के बजाय चालीस हजार से अस्सी हजार रूपये तक देने को तैयार थे

                      जो बिहार में एम्बुलेंस सेवाओं की किल्ल्त तथा शासन की लापरवाही को दर्शाने में काफी है, इस खबर की पड़ताल न्यूज़ 18 द्वारा चलाये गए ऑपरेशन एम्बुलेंस द्वारा किया गया। न्यूज़ 18 के बिहार में ऑपरेशन एम्बुलेंस चलाये जाने के परिणामस्वरुप हरकत में आयी नितीश सरकार ने एम्बुलेंस सेवाओं की दर सुनिश्चित कर दिया। ऐसे भयावह माहौल में पूर्व कैबिनेट मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने स्वास्थ्य सेवाओं में प्रयुक्त होने वाली दर्जनों एम्बुलेंस गाड़ियों को अपने कार्यालय की शोभा बढ़ाने के लिए रख छोड़े थे। यही ऐसे लोग हैं जिनके आचार-व्यवहार ने मानवीय संवेदनाओं की अनदेखी का मार्ग प्रशस्त किया है। राजीव प्रताप रूडी की जिम्मेदारी और लोगों की अपेक्षा ज्यादा है क्योकिं आप भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं। दिल्ली के खान मार्केट में नवनीत कॉलरा का ऑक्सीजन की कालाबाजारी का रैकेट पकड़ा गया, आज नवनीत कॉलरा और राजीव प्रताप रूडी में क्या अंतर है ?

                                 बंगाल चुनाव के परिणाम आने बाद बंगाल में हुई हिंसा में लगभग 16 नागरिकों की मौत को भारतीय जनता पार्टी ने देशव्यापी बना दिया और राज्यपाल महोदय ने ममता बैनर्जी को शपथ दिलाने के तुरंत बाद यह अहसास कराने में कोई कसर नही छोड़ी कि हालात ऐसे ही रहे तो बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जायेगा जबकि इधर एक मई से लगातार कोरोना संक्रमण से लगभग पैंतीस हजार लोगों की जान जा चुकी है, इन मौतों से हमारे गृह मंत्रालय की नींद नही खुली और बंगाल हिंसा में 16 लोगों की मौत के लिए गृह मंत्रालय ने चार सदस्यीय टीम का गठन कर उसे बंगाल भेज दिया, यही नये भारत की मानवीय संवेदनाएं हैं, शुक्र है की उच्चतम न्यायलय लोगों की टूटती सांसों से अनभिज्ञ नही बना रहा और जो कार्य केंद्र सरकार का था उसे अपनी नैतिक उत्तरदायित्व समझते हुए राज्यों को उनकी आवश्यकतानुसार ऑक्सीजन आवंटन एवं कालाबाजारी पर नियंत्रण हेतु बारह सदस्यों वाली टास्क फोर्स का गठन किया।

               बंगाल चुनाव पर अपना सम्पूर्ण ध्यान रखने वाले जननेताओं ने हमसे अश्रु बहाने का अधिकार भी छीन लिया। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी के बयान को देखा जा सकता है जिसके अनुसार ‘ऑक्सीजन और स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाओं से जुड़ी समस्या के बताने पर एनएसए और गैंगस्टर एक्ट में कार्यवाही की जाएगी’, इसी प्रकार का विवादित बयान हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जी ने दिया जिनके अनुसार ‘यह वक्त आकड़ों पर ध्यान देने का नही है अब जिसकी मौत हो गयी वह हमारे शोर मचाने से नही आ जायेगा, यह प्राकृतिक आपदा है इसमें हम कुछ नही कर सकतें हैं’। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के मंत्री प्रेम सिंह पटेल का बयान मानवीय संवेदनाओं की अनदेखी को दर्शाता है उन्होंने कहा कि ‘कोरोना से हो रही मौतों को रोका नही जा सकता’।

                                       ये सब हमारे देश के जनप्रतिनिधि हैं जिन्हें जिताने के लिए हम एक कर्त्तव्यनिष्ठ सेवक की भाँति मेहनत करते हैं और इस विपत्ति के समय इनके द्वारा इस प्रकार से मुख मोड़ना तथा शोक संतप्त समाज, प्रदेश एवं राष्ट्र के लिए कोई भी अपील या शोक व्यक्त न करना ही नये भारत में मानवीय संवेदनाओं के पतन को रेखांकित करता है। इस कालाबाजारी और टूटती साँसों के बीच अपनों को बचाने की जद्दोजहत में अस्त-व्यस्त भयावह समाज से गृह मंत्री एवं प्रधान मंत्री जी ने कोई अपील नही की, कोई आश्वासन व्यक्त नही किया जिससे इस संकट की घड़ी से निकलने में राष्ट्र को सहयोग मिलता एवं भयाक्रांत जनता को मजबूत आधार मिलता जो लोगों की पीड़ा कम करने में सहायक होता। इस संकट की घड़ी में देश के जनप्रतिनिधियों के विवादित बयान, गृह मंत्रालय द्वारा इस संकट की घड़ी से निकलने में कोई ठोस कदम न उठाना तथा जनप्रतिनिधियों, गृह मंत्रालय, प्रधान मंत्री कार्यालय से लोगों के प्रति एक भी शोक संवेदना, आश्वाशन एवं अपील नही करना आज ऐसे अनेक प्रसंग हैं जो नया भारत में मानवीय संवेदनाओं को दर्शाते हैं।

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