सोशल मीडिया को अफवाह फैलाने का माध्यम बनाना चिंताजनक

सोशल मीडिया को अफवाह फैलाने का माध्यम बनाना चिंताजनक

विश्व समुदाय कोरोना वायरस को लेकर चिंतित है और इस वायरस को निष्क्रिय करने के लिए लगातार तरह तरह के रिसर्च और खोज पूरे विश्व के वैज्ञानिक खोजने में लगे है। जिससे कोरोना वायरस के प्रभाव को कम किया जाये और लोगों को इस से राहत मिले। और इसी कोरोना वायरस के दहशत के बीच

विश्व समुदाय कोरोना वायरस को लेकर चिंतित है और इस वायरस को निष्क्रिय करने के लिए लगातार तरह तरह के रिसर्च और खोज पूरे विश्व के वैज्ञानिक खोजने में लगे है। जिससे कोरोना वायरस के प्रभाव को कम किया जाये और लोगों को इस से राहत मिले। और इसी कोरोना वायरस के दहशत के बीच विश्व में एक अफवाह को लोग और हवा दे रहे है जो बिल्कुल निराधार और तथ्यहीन है। सोशल मीडिया पर इस समय 29 अप्रैल 2020 की काफी चर्चा है। और लोग बडी बडी फिजूल की भविष्यवाणी करके लोगों को दहशत में डाल रहे है। और लोग बेवजह इसे लेकर परेशान हो रहे है। यह माना जा सकता है

कि सौरमंडल में अनगिनत उल्कापिण्ड है जो कही न कही हमेशा गिरते रहते है लेकिन उनका प्रभाव एकदम कम होता है। लेकिन इस समय लोग 29 अप्रैल को एक उल्का पिण्ड 52768 की चर्चा कर रहे है जिसमें पृथ्वी से मानव सभ्यता के विनाश की चर्चा है। जो बिल्कुल झूठी व निराधार है। विदित हो कि ऐसी ही अफवाह 2012 में भी पृथ्वी समाप्त होने की फैलाई गई थी। मानते है कि करोडों वर्ष पहले आसमानी आफत से डायनासोर जैसे विशालकाय प्राणी का अस्तित्व समाप्त हो गया था।

लेकिन 29 अप्रैल की घटना बिल्कुल निराधार व झूठी है। अमेरिका के नासा ने भी इसको लेकर कोई चेतावनी नही जारी की है। केवल विभिन्न सोशल मीडिया केवल अपनी ग्राहको की संख्या बढाने के लिए इस तरह की अफवाह भरी बात फैलाकर अपना व्यापार बढा रहे है। सभी बुद्धजीवी वर्ग इस तरह की झूठी अफवाहों को फैलाने को रोकने में आगे आयें। जिससे विश्व में अफवाह को रोकने में कुछ मदद मिल सके। लोग जिस तरह सोशल मीडिया को अफवाह फैलाने का माध्यम नही बनाना चाहिए बल्कि जागरूकता फैलाने के लिए करना उचित है।

 जिस उल्कापिण्ड को 29 अप्रैल 2020 को पृथ्वी से टकराने की झूठी अफवाह फैलाई जा रही है। उस उल्कापिण्ड की खोज वैज्ञानिकों ने 24 जुलाई 1998 में खोज निकाला था। इस उल्कापिण्ड को पृथ्वी से टकराने की बात तो दूर हवा तक भी न लगेगी। क्योकि यह उल्कापिण्ड पृथ्वी से हजार लाख नही बल्कि 4 मिलियन मील की दूरी से गुजरेगा जिससे पृथ्वी को कोई भी नुकसान नही है। इस उल्कापिण्ड लगभग 37 हजार किमी प्रति घंटा की तेजी से गिर रहा है। और यह उल्का पिण्ड 1340 दिन में एक बार सूर्य का चक्कर लगाता है।

इससे तो इसकी विशालता का अहसास हो गया। जो उल्कापिण्ड हिमालय पर्वत से से बहुत विशाल है। लेकिन इस उल्कापिण्ड से पृथ्वी को कोई भी खतरा नही है। और किसी भी तरह की अफवाह पर ध्यान देने की जरूरत नही है। क्योकि सोशल मीडिया पर जिस तरह लोग अफवाह फैलाते है। वह उनकी मानसिकता को दर्शाता है। जबकि वही दूसरी तरफ विश्व के महान वैज्ञानिक दुनिया में होने वाली हर घटना के पल पल की निगरानी कर रहे है। अतः इस तरह की किसी भी अफवाह को मानने या फैलाने से बचना ही बुद्धिमानी है।

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