lahu pukar raha hai
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

लहू पुकार रहा नहीं मिलेगी खीर...!

लहू पुकार रहा नहीं मिलेगी खीर...!       आज सुनाई दे रही हैं पहलगाम की चीख, हाँ, दिन ऐसा आएगा आतंकी मांगे भीख। निर्दोषो की बलि चढ़ी हैं बही लहू की धार, हैवानों ने पर्यटकों की इज़्ज़त की तार-तार। इन श्वानों ने ली हैं परीक्षा हमारी बार-बार, कल्पना...
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