राम के नाम पर या विकास के काम पर, चुनावी हलचल के बीच असमंजस में मतदाता

राम के नाम पर या विकास के काम पर, चुनावी हलचल के बीच असमंजस में मतदाता

उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर मैदान में उतरे विभिन्न पार्टियों के प्रत्याशी समेत निर्दलीय उम्मीदवार लखनऊ पहुँचने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाकर मतदाताओं को रिझाने के लिए दिन रात जोर आजमाइश करते नजर आ रहे हैं।


पलिया कलां खीरी। उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर मैदान में उतरे विभिन्न पार्टियों के प्रत्याशी समेत निर्दलीय उम्मीदवार लखनऊ पहुँचने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाकर मतदाताओं को रिझाने के लिए दिन रात जोर आजमाइश करते नजर आ रहे हैं।कोई ग्रामीण क्षेत्रों में नुक्कड़ सभा का आयोजन कर गरीब मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करता दिख रहा है कोई कस्बे में डोर टू डोर जाकर पढ़े लिखे प्रबुद्ध वर्ग को अपनी सरकार की उपलब्धियां गिना रहा है।कही राम के नाम पर वोट मांगे जा रहे हैं तो कही विकास के नाम पर। शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों में सिर्फ और सिर्फ चुनाव की ही वयार चल रही है हर कोई असमंजस में दिख रहा है कि कौन जीतेगा।

वैसे तो एक ओर 137/विधानसभा पलिया कलां से भाजपा प्रत्याशी रोमी साहनी जो कि पिछले दस वर्षों से गरीब और असहाय लोगो के बीच दुख दर्द में मरहम लगाकर गरीबों के मसीहा बने हुए हैं तो वही दूसरी ओर जनता के बीच नए चेहरे के रूप में उतरे कुक्कू भैया भी सपा सरकार की उपलब्धियां गिनां कर वोटों को खींचने की जोर आजमाइश करने में लगे हुए हैं।वही लोकल फ़ॉर वोकल के रूप में चुने गए कांग्रेस प्रत्याशी जो कि पलिया नगर से है पिछले कई वर्षों से थारू क्षेत्रों सिख समाज व मुस्लिम समाज मे अपनी पैठ बना चुके रिसाल अहमद भी किसी से पीछे हटने को तैयार नही दिख रहे हैं।और हम बात करें बसपा से मैदान में उतरे उम्मीदवार जाकिर हुसैन भी अन्य वर्गों के साथ मुस्लिम समाज को एक साथ लेकर चलने की बात कहते हुए अन्य पार्टियों के प्रत्याशियों के ऊपर भारी साबित होते दिख रहे हैं।साथ ही केजरीवाल की झाड़ू वाली सरकार आम आदमी पार्टी से मैदान में उतरे प्रत्याशी एवं नगर से ही निर्दलीय चुनाव लड़ रही महिला प्रत्याशी सपा बसपा भाजपा प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार के बीच फीके पकवान की तरह नजर आ रहे हैं।जो जोर तो पूरा लगा रहे है मगर अभी तक मतदाताओं के दिलोदिमाग में अपना घर नही बना सके।

कोई कहता है कि सपा भाजपा के बीच80-20का मुकाबला है तो कोई कहता दिख रहा कांग्रेस और बसपा के बीच की कांटे दार टक्कर है खैर किसके बीच किसकी टक्कर है यह तो आने वाले दस मार्च के बाद ही साफ होगा कि किसकी होली रंगीन होगी और किसका सूपड़ा साफ।

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