मौनी अमावस्या पर 1.30 करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई संगम में आस्था की डुबकी

मौनी अमावस्या पर 1.30 करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई संगम में आस्था की डुबकी

माघ  की मौनी अमावस्या उदय व्यापिनी होने के कारण एक फरवरी को मनायी गयी। मौनी अमावस्या पर भौमवती अमावस्या के दुर्लभ संयोग के कारण संगम के तट पर स्नानार्थियों/श्रद्धालुओं का पुण्य की कामना के साथ  स्नान और दान करने के लिए रेला उमड़ा।


प्रयागराज । माघ  की मौनी अमावस्या उदय व्यापिनी होने के कारण एक फरवरी को मनायी गयी। मौनी अमावस्या पर भौमवती अमावस्या के दुर्लभ संयोग के कारण संगम के तट पर स्नानार्थियों/श्रद्धालुओं का पुण्य की कामना के साथ  स्नान और दान करने के लिए रेला उमड़ा। तीर्थराज प्रयागराज की पावन धरती पर माघ मेला के तीसरे और सबसे प्रमुख स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर लाखों-लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र पावन संगम त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाई। घने कोहरे और तेज शीतलहर के बीच मध्य रात्रि से ही स्नान प्रारम्भ हो गया तथा दिन भर स्नान का सिलसिला अनवरत जारी रहा। 

ब्रह्म मुहूर्त से ही संगम की त्रिवेणी में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाना शुरू कर दिया था।मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर मौन रहकर स्नान और दान का विशेष महत्व है। संगम में मौनी अमावस्या पर स्नान और दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती।

प्रशासन ने दावा किया है कि मौनी अमावस्या पर मंगलवार को दोपहर 12 बजे तक लगभग 1.30 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम की त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाई,तो वहीं सोमवार की रात 11 बजे तक लगभग 50 लाख श्रद्धालुओं ने संगम की त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाई थी।

माघ मेला में यजमानों को सुबह से पिंडदान करा रहे पंडा भोला त्रिपाठी ने बताया कि मौनी अमावस्या का मुहूर्त सोमवार दोपहर 2:20 बजे से लग गया जो मंगलवार की सुबह 11:16 बजे तक था।मगर श्रद्धालुओं के शाम तक गंगा स्नान करते रहे।

उन्होंने बताया कि धर्मशास्त्रों के अनुसार अगर अमावस्या की तिथि सोमवार को सूर्यास्त से कुछ क्षण पहले प्रारंभ हो जाती है तो इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है, जिसमें पितरों का कार्य भी किया जा सकता हैं। उनके अनुसार, ऐसा माना जाता है कि अमावस्या को पिंडदान और तर्पण करने से पितरों की तृप्ति होती है।

श्रद्धालुओं के सुगम आवागमन व सुरक्षित स्नान हेतु व्यापक पुलिस प्रबन्ध किए गए, जिसके तहत सम्पूर्ण मेला क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर नागरिक पुलिस, यातायात पुलिस, महिला पुलिस, अग्निशमक दल, पीएसी के जवान, घुड़सवार पुलिस, आरएएफ, एटीएस के कमाण्डो व बम निरोधक दस्ता की टीमें व्यवस्थापित की गई। संगम घाट पर जल पुलिस के साथ मोटर-बोट नियुक्त कर स्नानार्थियों/श्रद्धालुओं की सुरक्षा हेतु कड़े प्रबन्ध किये गये तथा गोताखोरों की नियुक्ति की गई, स्टीमर के माध्यम से लगातार संगम घाटों का निरीक्षण किया जा रहा था। सुरक्षा के दृष्टिगत घाटों/जल में लगे एसडीआरएफ/फ्लड कम्पनी के जवानों द्वारा कड़ी निगरानी की गई, सभी स्नानार्थियों से अनुरोध किया गया कि सावधानी पूर्वक स्नान करें, किसी भी प्रकार की संदिग्ध वस्तु को हाथ न लगायें। सम्पूर्ण मेला क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरों तथा ड्रोन के माध्यम से चप्पे-चप्पे पर नजर रखी गई, मेला क्षेत्र में आने वाले स्नानार्थियों/श्रद्धालुओं को आवागमन में कोई असुविधा न हो इसके लिए मेला क्षेत्र में 6 स्थानों पर पार्किंग की समुचित व्यवस्था की गई तथा यह भरसक प्रयास किया गया कि संगम स्नान हेतु आने वाले श्रद्धालुओं को स्नान घाट तक पहुँचने के लिए न्यूनतम पैदल चलना पड़े। इस दौरान मेला क्षेत्र में भूले भटके शिविर द्वारा बिछड़े हुए व्यक्तियों को उनके परिजनों से मिलाया गया।

इस अवसर पर एडीजी जोन प्रेम प्रकाश, पुलिस महानिरीक्षक राकेश सिंह,पुलिस अधीक्षक माघ मेला डॉ0 राजीव नारायण मिश्र, एसएसपी प्रयागराज अजय पाण्डेय व नोडल पुलिस अधिकारी अरुण कुमार दीक्षित लगातार मेला क्षेत्र में रहकर सभी व्यवस्थायें सुनिश्चित कराते रहे। मेला में आये श्रद्धालुओं से लगातार अनुरोध किया गया कि वह *कोविड-19* के संक्रमण को रोकने व बचाव हेतु कोविड प्रोटोकॉल का पालन अवश्य करें व मेले की स्वच्छता व सुरक्षा में हमारा सहयोग करें। सभी *16* प्रवेश द्वारों पर ड्यूटी में लगे पुलिस कर्मियों द्वारा श्रद्धालुओं से विनम्र होकर ‘कोविड-19 प्रोटोकॉल’ का नियमानुसार पालन करवाया गया। मेला प्रभारी डॉ0 मिश्र IPS  द्वारा समस्त पुलिस कर्मियों को भ्रमण के दौरान ड्यूटी की कुशलता लेते हुए उनका उत्साहवर्धन किया गया तथा कमाण्ड सेंटर के माध्यम से मेला क्षेत्र में लगे *150* सीसीटीवी कैमरों से भी लगातार मेले का हाल लिया गया। मेले की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ सेवा का भाव भी पुलिस कर्मियों के व्यवहार से प्रदर्शित हुआ। सभी उच्चाधिकारियों द्वारा मेला क्षेत्र में आये हुये स्नानार्थियों/श्रद्धालुओं से लगातार उनका कुशल क्षेम पूछा गया। माघ मेला के सबसे मुख्य स्नान पर्व मौनी अमावस्या को सकुशल व सुरक्षित सम्पन्न कराने हेतु सभी आला अफसर मध्य रात्रि से ही लगातार मेला क्षेत्र में डटे रहे। आस्था एवं श्रद्धा के इस पावन पर्व मौनी अमावस्या पर स्नानार्थियों में धर्म के प्रति काफी आस्था देखने को मिली। मध्य रात्रि से ही स्नान घाटों पर स्नानार्थियों का ताता लगा रहा और दिनभऱ श्रद्धालुओं का आवागमन जारी रहा। मौनी अमावस्या पर्व को सकुशल सम्पन्न कराने में पुलिस बल के अथक प्रयासों के फलस्वरूप आस्था एवं श्रद्धा का यह महापर्व सकुशल सम्पन्न हुआ। 

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