श्रीमद भागवत कथा से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते-आचार्य रामचन्द्र शास्त्री

श्रीमद भागवत कथा से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते-आचार्य रामचन्द्र शास्त्री

बेमौरा गांव में सात दिवसीय भागवत कथा का आयोजन किया गया


लालगंज-रायबरेली बेमौरा गांव में सात दिवसीय भागवत कथा का आयोजन किया गया।कथावाचक रामचंद्र शास्त्री व उनके साथी हरिभान,हरिओम,आकाश ने लोगो को भागवत कथा रूपी ज्ञान की गंगा में डुबकी लगवाई।

कथा के तीसरे दिवस कथावाचक आचार्य रामचंद्र शास्त्री ने बताया कि भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है। श्रीमद भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है।

 उन्होंने कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है। पहला प्र का अर्थ प्रभु, दूसरा सा का अर्थ साक्षात व तीसरा द का अर्थ होता है दर्शन। जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं। हर कथा या अनुष्ठान का तत्वसार होता है जो मन बुद्धि व चित को निर्मल कर देता है। मनुष्य शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है।

 भगवान का लगाए गए भोग का बचा हुआ शेष भाग मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है। मुख्य यजमान आचार्य बृजेश तिवारी व उनकी पत्नी चुन्नी देवी रही।इस मौके पर प्रेम शंकर मिश्रा गुरुजी,सुंदरम,सनातन धर्मी हिंदू क्रांति दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्र चूड़ा मणि,सजन तिवारी,पंकज अवस्थी,चंद्रिका प्रसाद सहित सैकड़ों की संख्या में श्रोता मौजूद रहे।

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