अनामिका निकली प्रिय जाटव। आखिर किस अनामिका शुक्ला के दस्तावेजों से हुआ फर्जीबाडा

अनामिका निकली प्रिय जाटव। आखिर किस अनामिका शुक्ला के दस्तावेजों से हुआ फर्जीबाडा

अनामिका निकली प्रिय जाटव आखिर किस अनामिका शुक्ला के दस्तावेजों से हुआ फर्जीबाडा । स्वतंत्र प्रभातप्रयागराज प्रदेश के कासगंज में बेसिक शिक्षा विभाग को चकमा देकर बड़ा फर्जीवाड़ा करने वाली शिक्षिका अनामिका सिंह उर्फ़ अनामिका शुक्ला पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद निकलीं प्रिय जाटव।पुलिस की पूछताछ में पता चला है कि

अनामिका निकली प्रिय जाटव

‌आखिर किस अनामिका शुक्ला के दस्तावेजों से हुआ फर्जीबाडा ।


‌ स्वतंत्र प्रभात

‌प्रयागराज

‌ प्रदेश के कासगंज में बेसिक शिक्षा विभाग को चकमा देकर बड़ा फर्जीवाड़ा करने वाली शिक्षिका अनामिका सिंह उर्फ़ अनामिका शुक्ला पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद निकलीं प्रिय जाटव।पुलिस की पूछताछ में पता चला है कि मीडिया को अपना नाम अनामिका सिंह बताने वाली कोई और नहीं बल्कि प्रिया जाटव है।

‌अभी तक इस तथ्य का खुलासा नहीं हुआ है कि आखिर अनामिका शुक्ला है कौन जिसके नाम से उत्तर प्रदेश के 25 से अधिक जिलों में शिक्षिकाएं नौकरी कर रही हैं।आरोप है कि एक ही दस्तावेज को कई जिलों में इस्तेमाल कर कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं को भी कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूलों में शिक्षिका दिया गया था। भ्रष्टाचार विरोधी सरकार के शिक्षा विभाग में इतनी बड़ी चूक हुई कैसे यह यक्ष प्रश्न है। अनामिका शुक्ला अपने फर्जीवाड़े से 13 ही महीनों में लगभग एक करोड़ रुपये का मानदेय भी ले चुकी है।

‌अगर मानव संपदा पोर्टल पर फीडिंग नहीं होती तो शायद इस फर्जीवाड़े का कभी पता ही नहीं चलता।ये सम्भव ही नहीं है की इतने बड़े फर्जीवाड़े में शिक्षा विभाग के लोग शामिल न हों । शिक्षा विभाग के लोग जानते हैं कि कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूलों में संविदा पर लगने वाली नौकरी में दस्तावेज की जांच नहीं होती है,बल्कि सिर्फ साक्षात्कार के दौरान ही असली अभिलेख देखे जाते हैं।. चयन मेरिट के आधार पर होता है।ऐसे में अनामिका के दस्तावेजों को आधार बनाया गया, क्योंकि इसमें ग्रेजुएशन को छोड़ कर हाईस्कूल से इंटर तक 76 फीसद से ज्यादा अंक हैं।

‌कई जिलों में तैनाती का मामला सामने आने के बाद शुक्रवार को बीएसए अंजली अग्रवाल ने शिक्षिका को व्हाट्सएप से नोटिस भेजकर प्रमाणपत्रों के साथ उपस्थित होने के निर्देश दिए थे। बीएसए की नोटिस मिलने के बाद शिक्षिका शनिवार को अपना त्यागपत्र लेकर बीएसए कार्यालय पहुंचीं थी। वहां खुद एक गाड़ी में बैठी रही तथा उसने अपने साथ आये पुरुष से त्यागपत्र भिजवा दिया। बीएसए अंजली अग्रवाल ने जब त्यागपत्र देने आए युवक से पूछताछ की तो उसने अनामिका के बाहर गाड़ी में बैठे होने की जानकारी दी। बीएसए के निर्देश पर विभागीय कर्मियों ने उसकी घेराबंदी कर ली। मौके पर पहुंची पुलिस ने शिक्षिका को गिरफ्तार कर लिया था।

‌कासगंज में पकड़ी गई कथित अनामिका (असली नाम प्रिया जाटव ) के अनुसार उसकी मुलाकात गोंडा के रघुकुल विद्यापीठ में बीएससी करते वक्त ही मैनपुरी निवासी राज नाम के व्यक्ति से हुई थी जिसने प्रिया को नौकरी की सलाह दी। एक लाख रुपए में दस्तावेज पर नौकरी लगवाने का वादा भी किया था।उसने ही अगस्त 2018 में इसे नियुक्ति पत्र दिलाई थी।

‌दरअसल अनामिका शुक्ला के मूल दस्तावेजों में धुंधली फोटो भी इस फर्जीवाड़े की मददगार बनी।साक्षात्कार के दौरान यह फोटो देखी जाती है, लेकिन धुंधली होने पर अभ्यर्थी के आधार कार्ड और अन्य पहचान पत्र के आधार पर चयन किया जाता है।जिस तरह से बैंकों में अनामिका शुक्ला के नाम से खाता खुलवाया गया, उससे माना जा रहा है कि आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज फर्जी तैयार कराए गए हैं।कोतवाली पुलिस ने बेसिक शिक्षा अधिकारी अंजलि अग्रवाल की तहरीर पर अनामिका के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया है।

‌अनामिका शुक्ला के फर्जी दस्तावेज से नौकरी करने वाली कायमगंज की कथित अनामिका सिंह (असली नाम प्रिया जाटव) ने पुलिस को घंटों तक गुमराह किया। पहले अपना नाम अनामिका सिंह व पिता का नाम राजेश बताया, लेकिन जब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो उसने अपना नाम प्रिया व पिता का नाम महीपाल सिंह बताया।वहीं ये मूल निवासी कायमगंज के गांव लखनपुर की बताई जा रही है। शिक्षिका बनने के बाद में प्रिया ने अनामिका शुक्ला के नाम से कासगंज में खाता खुलवाया। माना जा रहा है कि प्रिया ने बैंक खाते में भी फर्जी दस्तावेज का प्रयोग किया। हालांकि सरकारी कर्मियों के विभागीय दस्तावेज को भी प्रमाण पत्र के रूप मं प्रस्तुत करने पर बैंक खाता खोल देती है, लेकिन बैंक में फोटो प्रमाण पत्र की जरूरत होती है।ऐसे में उ=यह भी सम्भव है कि अनामिका ने बैंक में आधार कार्ड या अन्य कोई फर्जी दस्तावेज दिया होगा। इसकी भी पुलिस जांच करेगी।

‌प्रदेश में कक्षा 6 से 8 तक कि जरूरतमंद बालिकाओं के लिए लगभग हर ब्लॉक में कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूल संचालित है। इनमें बच्चियों की पढ़ाई के साथ आवास यानी हॉस्टल की भी व्यवस्था है। जिले में ऐसे विद्यालयों की संख्या लगभग 20 है। इन विद्यालयों में संविदा पर 30 हजार रुपये मानदेय पर शिक्षिकाओं की नियुक्ति होती है। इसी केजीबी विद्यालय में विज्ञान की शिक्षिका के रूप में 25 जनपदों में कार्यरत अनामिका शुक्ला के मिलने के बाद से बेसिक शिक्षा विभाग की तंद्राटूटी है। शासन के निर्देश पर विभाग की ओर से अपने यहां कार्यरत शिक्षकों का रिकार्ड खंगाला जा रहा है।हालाँकि यदि उपर तक मिलीभगत होगी तो मामले की लीपापोती करके दबा दिया जायेगा ।

‌ प्रयागराज से दया शंकर त्रिपाठी की रिपोर्ट।

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