राजस्व विभाग में फर्जीवाड़ा से बेरूई गांव के गरीब त्रस्त आत्महत्या करने को मजबूर

राजस्व विभाग में फर्जीवाड़ा से बेरूई गांव के गरीब त्रस्त आत्महत्या करने को मजबूर

भू माफिया तथा राजस्व कर्मियों की गठजोड़ से गरीबो को बेघर करने की साजिश 


स्वतंत्र प्रभात।

 प्रयागराज फूलपुर तहसील में फर्जीवाड़ा काफी दिनों से नासूर बन गया है कुछ फर्जी वाडे पकड़ में आने के बावजूद पुनः कुछ दिन बाद कानूनी दांव पेज लगा कर  ऐसे गरीबों को बेघर करने की साजिश के तहत उनके रकबे को अपने नाम करा लेने का षड्यंत्र कर ले रहें हैं।जिससे ऐसे परिवार अब आत्महत्या करने पर मजबूर हैं।योगी सरकार जहां सरकारी अमला पर शिकंजा कसते हुए नियम कानून से काम करने का फरमान जारी करती है वही फूलपुर तहसील के लेखपाल और कानूनगो भू माफियाओं से मिलकर गरीबों को ही परेशान करने में लगे रहते हैं।प्राप्त जानकारी के अनुसार बेरूई गांव में ऐसा ही फर्जीवाड़ा प्रकाश में आया है जहां पर 26/2 /1976 को आराजी संख्या 829 रकवा एक विश्वास 16 धूर  आराजी संख्या 783 रकवा 3 विश्वा 12 धुर  का पट्टा कुछ लोगों को दिया गया लेकिन गांव के ही एक पहुंच वाले सफेदपोश व्यक्ति ने 786 नंबर का 10 बिस्वा सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से अपने नाम करा लिया जबकि यह आराजी संख्या 786 दिनांक  1978  तक जगन्नाथ पुत्र सरण के नाम दर्ज थी। दस्तावेज में की गई हेरा फेरी और कटिंग सांप दिखाई पड़ रही थी। कई वर्षों बाद  उसी 786 नंबर रकबे में फर्जीवाड़ा करने वाले मृतक के पुत्रों ने 17 बिस्वा 10 धुर बड़वा  दिया यह

बात जब जगन्नाथ को मालूम हुई तो उसमें इस पर आपत्ति की तो तहसीलदार के यहां 31 12/ 2008 को प्रार्थना पत्र देकर 17 विश्वा दस्त 10 धुर को पुनः१० धुर कर दिया और तहसीलदार ने बिना किसी जांच-पड़ताल के उसी  दिन आदेश पारित कर दिया। अपने को फसता  देखकर फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों ने यह कह कर पल्ला झाड़ा कि यह लिपिकीय त्रुटि थी। हमारे नाम इतना ही होना चाहिए था ।यही नहीं वही व्यक्ति जबकि हंडिया तहसील के मलेथुआ गांव में जाकर भूमिहीन बन कर अपनी पत्नी के नाम 4 बीघे का पट्टा करवा चुका था। नियमानुसार उसे यहां कोई पट्टा मिलना ही नहीं चाहिए था। लेकिन उसको छुपाते हुए बेरूई गांव में भी 3 बिस्वा 12 धुर का पट्टा लेकर दूसरे नंबर का हेराफेरी करके 14 बिस्वा पर अपना नाम दर्ज करा दिया। बहुत दिनों तक इसका बाद एसडीएम के यहां चला और वहां से इसका नाम खारिज हुआ और पुनः जगन्नाथ को मालिकाना हक 786 में मिला।  फर्जीवाड़ा करने वाले लाभार्थी ने आयुक्त के यहां अपील की और वहां से भी वह पराजित हुआ। लेकिन बोर्ड ऑफ

रेवेन्यू में बिना किसी सुनवाई के उसमें अपने प्रभाव और पैसे के बल पर जगन्नाथ की जमीन को अपने नाम दर्ज कराने में सफल हो गया। जब यह जानकारी जगन्नाथ के परिवार को हुई तो वह परेशान हो गया और उसके घर में एक बुजुर्ग भाई को हार्ड अटैक हुआ और वह अस्पताल में जीवन मृत्यु से जूझ रहा है ।जगन्नाथ के परिवार के लोगों का कहना है कि यदि उन्हें न्याय नहीं मिला तो वह पूरा परिवार आत्महत्या करने के लिए मजबूर होगा जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी तहसील प्रशासन की होगी यही नहीं जिस तहसील के उप जिलाधिकारी ने जगन्नाथ को न्याय दिया उसी का लेखपाल जगन्नाथ को ही जाकर घर छोड़ देने के लिए धमकी देता है। और घर छोड़ देने के लिए मजबूर करता है। यही नहीं पुलिस भी पैसे के बल पर ऐसे व्यक्तियों का साथ दे  रही है ।और आए दिन जगननाथ  परिवार को जाकर गाली-गलौच करना और धमकी देती रहते हैं । बेरूई ग्रामवासियों ने मुख्यमंत्री और उच्च अधिकारी ओके यहां आवेदन पत्र देकर जॉच की मांग की है। 

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