गांव में विकास का पोल खोल रहा सडक़ों पर जमा गंदा पानी

गांव में विकास का पोल खोल रहा सडक़ों पर जमा गंदा पानी

मौदहा ( हमीरपुर )-जनपद के मौदहा विकास खंड के ग्राम पंचायत खण्डेह में सीजन की बारिश ने गांवों में हुए विकास मे हुवे कार्यों की पोल खोल कर रख दिए है। गांवों में बने रास्तों पर ग्रामीणों को पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। घर से निकलने के बाद इन रास्तों पर चल कर

 मौदहा ( हमीरपुर )-जनपद के मौदहा विकास खंड के ग्राम पंचायत खण्डेह में सीजन की बारिश ने गांवों में हुए विकास मे हुवे कार्यों की पोल खोल कर रख दिए है। गांवों में बने रास्तों पर ग्रामीणों को पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। घर से निकलने के बाद इन रास्तों पर चल कर लोग फिसल कर गिरने से चोटिल भी हो रहें हैं। ग्रामीणों को बरसात के दिनों में मजबूरन कीचड़ युक्त सडक़ों से होकर आना.जाना पड़ता है। हल्की सी बारिस ने गांव में किए गए विकास कार्य का पोल खोल दिया है।

गांव के रामलीला मैदान शंकर जी के मंदिर से राम जानकी मंदिर तक जाने के लिए गांव का एकमात्र मुख्य सड़क जो कि हमेशा जल भराव व कीचड़ से पटा रहता है इससे निकलकर मंदिर तक पहुंचना व गांव के अंदर जाना लोगों के लिए किसी लोहे के चने चबाने के बराबर है वही जब गांव की साफ सफाई की बात की गई तो ग्रामीणों के अनुसार बताया गया कि गांव में तीन सफाई कर्मी तैनात हैं परंतु दर्शन किसी के भी जल्दी नहीं होते हैं वह सब प्रधान के घर के आस-पास ही साफ सफाई की व्यवस्था को चाक-चौबंद रखने का काम करते हैं।

बाकी पूरे गांव से उन्हें कोई सरोकार नहीं है।बताया जाता है कि ग्रामीण इसी रास्ते से कोटेदार के दुकान पर राशन लेने के लिए जाते हैं। गाँव में जल निकासी के लिए नाली का निर्माण न होने के कारण यहा जलभराव का संकट उतपन्न हो गया है। जिससे लोगों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।

इस जल जमाव की समस्या को लेकर ग्रामीणों से बात की गई तो उनके अनुसार गांव में एक करोड़ की पेयजल योजना भी चालू की गई थी परंतु इतनी बड़ी लागत की योजना का भी ग्रामीणों को कोई विशेष महत्व नहीं मिल पा रहा आधे से ज्यादा गांव पानी पीने के लिए तरस रहा है और हैंडपंप भी ज्यादातर खराब पड़े हुए हैं और जो सप्लाई के लिए पाइप लाइन बिछाई गई है वह भी अधिक से अधिक जर्जर व टूटी फूटी है

जिससे पानी टंकी की सप्लाई चालू होते ही जहां तक पाइप लाइन है वहां तक के रास्ते लाइन टूटी फूटी होने के चलते पानी से लबालब भर जाते हैं जिससे यह साबित होता है कि एक करोड़ की पेयजल योजना में भी धन का खूब बंदरबांट हुआ है वरना एक करोड़ में तो पूरे गांव को ही चमकाया जा सकता था कभी कोई समस्या ही उत्पन्न नहीं होती इतनी बड़ी लागत में। वही गांव में संचालित अन्य योजनाओं में भी प्रधान द्वारा खूब मनमानी हुई है जिसका जीता जागता उदाहरण प्रधानमंत्री आवास योजना में अपात्रों को पात्र बना पात्रों को किया गया दरकिनार जिनके घरों में खेती पक्का मकान गाड़ी सब कुछ है उन्हें कॉलोनी का लाभ दिया गया व उसी के सापेक्ष जिसके पास कुछ भी नहीं है यहां तक की उसे सर छुपाने की झोपड़ी भी नसीब नहीं है

उसे अपात्र ठहरा गांव में दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर किया गया। गांव के भोला यादव का कहना है कि मेरे पास खेती के नाम पर एक बिस्वा भी जमीन नहीं है और कच्चे व गिरे पड़े मकान हैं और कोई धन का आवक भी नहीं है मेरे 6 बच्चे हैं परिवार बड़ा होने के चलते आर्थिक तंगी से जूझता रहता हूं प्रधान से बार बार कहने पर भी मुझे गांव में संचालित किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पाया यहां तक कि मुझे शौचालय भी नसीब नहीं हुआ और ना ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कॉलोनी। वहीं ग्रामीण रामबाबू दुबे का कहना है कि प्रधान व सचिव की उदासीनता के चलते इस रास्ते पर गंदगी का अंबार वह कीचड़ युक्त समस्या हमेशा बनी रहती है जिससे लोगों का जीना दुश्वार हो गया है

समस्या यहां तक बढ़ चुकी है कि इन रास्तों से होकर जाने वाले दोपहिया वाहन पैदल यात्री सहित बैलगाड़ी तक दलदल में फसकर रह जाती है जिससे कहीं आने-जाने के चक्कर में लोग सर समर कर निकलते हैं परंतु इस दलदल में फंस जाने से उनके सारे अरमानों पर पानी फिर जाता है और उन्हें अपने हाथ पैर सहित कपड़ों तक को कीचड़ से सराबोर करना पड़ता है।

वही ग्रामीण बउवा महापात्र,लल्लू यादव,विजय महापात्र,संजय तिवारी,पुश्शु यादव,नोखे प्रजापति,नीरज महापात्र आदि लोगों ने बताया कि गांव की हालत बद से बदतर है और प्रधान व सचिव किसी ग्रामीण की सुनने को तैयार नहीं है वह सिर्फ अपनी मनमानी करते हैं जिससे इनकी उदासीनता का शिकार गांव की भोली-भाली जनता हो रही है।
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