यूरिया खाद की तस्करी पर जिम्मेदार नहीं लगा पा रहे अंकुश

यूरिया खाद की तस्करी पर जिम्मेदार नहीं लगा पा रहे अंकुश

तस्करी के इस धंधे में खाकी से खादी व सिपाही से सुल्तान तक सभी शामिल हैं तो तस्करी को बंद करवाने का जहमत भला कौन उठाएगा


स्वतंत्र प्रभात-

महराजगंज।

परसामलिक थाना क्षेत्र के रेहरा, अहिरौली नाके से जिम्मेदारों के रहमो-करम से व्यापक पैमाने पर यूरिया खाद की तस्करी का कारोबार फल-फूल रहा है। जिसको रोक पाने में स्थानीय पुलिस समेत सीमा पर तैनात सुरक्षा एजेंसियां, कस्टम व तहसील प्रशासन भी पूरी तरह से फिसड्डी साबित हो रही है।

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आपको बता दें कि खाद का दुकान खोलने व बंद करने का शासन द्वारा एक निश्चित समय सीमा लागू किया गया है, लेकिन दुकान संचालक अपनी कमाऊ नीयत के कारण तस्करों के लिए पूरे 24 घंटे के लिए गोदाम खुला रखते हैं जिसपर ना कोई कार्यवाही होती है और ना ही कोई जिम्मेदार अफसर जांच करने का जहमत उठाता है। उपरोक्त थाना क्षेत्र के जिगिना व जमुहानी स्थित खाद की दुकान से तस्कर प्रतिदिन भोर के 3 बजे से लेकर सुबह दस बजे तथा शाम 5 बजे से रात नौ बजे तक करीब दो दर्जन बाईक  के साथ तस्कर अपनी-अपनी बाइक पर तीन से चार बोरी यूरिया खाद लादकर तेज रफ्तार से मौत बनकर यूरिया खाद को उक्त गांव में स्थित अवैध गोदाम में पहुंचा रहे हैं जहां से लाईन मिलते ही किसानों के हिस्से का खाद आसानी से नेपाल भेज दिया जा रहा है। नाम ना छापने की शर्त पर एक तस्कर ने बताया कि एक दिन में सभी तस्करों का मिलाकर करीब एक ट्रक से अधिक खाद नेपाल भेज दिया जाता है, खाद गोदाम खुलने के संदर्भ में बताया कि गोदाम संचालक को प्रति बोरे पर किसान के दर से 20 से 30 रूपए अधिक दिया जाता है जिसके वजह से जब चाहे तब खाद उपलब्ध हो जाता है। बताया यह भी जाता है कि खाद तस्करी के इस धंधे में खाकी से खादी व सिपाही से सुल्तान तक शामिल हैं।

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एक खाद गोदाम संचालक ने नाम ना छापने के शर्त पर बताया कि तस्करों को खाद भरपूर मात्रा में देने के लिए कुछ सत्ताधारी नेता भी फोन करके कहते हैं कि पार्टी का आदमी है उसे भरपूर मात्रा में खाद उपलब्ध करवाया जाए। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब तस्करी के इस धंधे में खाकी से खादी व सिपाही से सुल्तान तक सभी शामिल हैं तो खाद तस्करी को बंद करवाने का जहमत भला कौन उठाएगा, यह एक यक्ष प्रश्न है।

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