ग्रामीण क्षेत्रों में एसआईआर फॉर्म बना जी का जंजाल, कम पढ़े-लिखे लोग दर-दर भटकने को मजबूर

 बीएलओ ने फॉर्म दिए, लेकिन मार्गदर्शन न मिलने से परेशान ग्रामीण

ग्रामीण क्षेत्रों में एसआईआर फॉर्म बना जी का जंजाल, कम पढ़े-लिखे लोग दर-दर भटकने को मजबूर

पचपेड़वा/गैसड़ी- क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य के तहत वितरित किए गए एसआईआर फॉर्म आमजन के लिए मुसीबत का सबब बन गए हैं। बीएलओ द्वारा फॉर्म तो घर-घर पहुंचा दिए गए, किन्तु कम पढ़े-लिखे ग्रामीणों के लिए इन्हें भरना किसी चुनौती से कम नहीं साबित हो रहा है।पचपेड़वा, गैसड़ी, तुलसीपुर सहित आसपास के कई गांवों में फॉर्म समझने को लेकर लोगों में भारी असमंजस बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि फॉर्म में मांगी गई जानकारियाँ जटिल होने के कारण वे खुद इसे भरने में असमर्थ हैं।
 
उम्र, पहचान पत्र नंबर, परिवार का विवरण, पते में संशोधन सहित कई बिंदुओं को लेकर लगातार संशय बना रहता है। गलत जानकारी भर देने के डर से लोग इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं। ग्रामीण बताते हैं कि गांवों में बड़ी संख्या ऐसे परिवारों की है जिनकी पढ़ाई-लिखाई सीमित है। ऐसे परिवारों के सदस्य फॉर्म को लेकर पंचायत भवन, दुकानदारों, टाइपिंग सेंटर या परिचितों के यहां मदद की आस में पहुंच रहे हैं। दूर-दराज बसे गांवों में इन सुविधाओं का अभाव होने के कारण समस्या और गहरी हो रही है। कुछ ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि बीएलओ द्वारा फॉर्म देते समय आवश्यक दिशा-निर्देश नहीं दिए गए, जिससे स्थिति और उलझ गई है।
 
कई बुजुर्ग, महिलाएं और दिव्यांगजन फॉर्म भरने में असहाय दिख रहे हैं। समयसीमा नजदीक आने की चिंता ने लोगों की焦र बढ़ा दी है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि स्थानीय स्तर पर सहायता केंद्र या विशेष शिविर की व्यवस्था की जाए, जिससे फॉर्म भरने में लोगों को उचित मार्गदर्शन मिल सके। उनका कहना है कि यदि प्रशासन पहल करे तो मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य सुचारू रूप से आगे बढ़ सकता है और लोगों को राहत भी मिलेगी।

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