भारत में आतंकी खतरे की नई परतें और ज़ीरो-टॉलरेंस की राह, आतंक का नया साया

भारत में आतंकी खतरे की नई परतें और ज़ीरो-टॉलरेंस की राह, आतंक का नया साया

भारत आज दुनिया के उन चंद देशों में है जहाँ बाहरी और आंतरिक दोनों प्रकार के खतरे एक साथ मौजूद हैं। पिछले कुछ वर्षों में आतंकवाद के तौर-तरीकों, तकनीकी क्षमता, फंडिंग और नेटवर्क की संरचना में बदलाव आया है। इसी परिवर्तित माहौल ने सुरक्षा एजेंसियों के सामने नई चुनौतियाँ खड़ी की हैं।ड्रोन से हथियारों की तस्करी,आतंकी मॉड्यूल का पुनर्जीवन,सरहदी क्षेत्रों में पाकिस्तान प्रायोजित आतंक, और देश के अंदर गैंगस्टरआतंकी गठजोड़ आदि ये सभी खतरे भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर स्थिति पैदा कर रहे हैं।
दिल्ली में हाल का आतंकी हमला और उसके पीछे छिपे मॉड्यूल को बेनकाब करने में राष्ट्रीय जांच एजेंसी की कार्रवाई ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत को चुनौती सिर्फ सीमा पर नहीं, बल्कि देश के भीतर भी गहरी है।
आतंकवाद का बदलता चेहरा तकनीक और नेटवर्क का संगम पर गहरी पैठ होनी चाहिए।
 
दशकों तक आतंकवाद सीमा-पार प्रशिक्षित आतंकियों, घुसपैठ और हथियारों की पारंपरिक मार्गों से आपूर्ति पर निर्भर रहा। लेकिन आज यह स्थिति बदल चुकी है। ड्रोन तस्करी  खतरनाक तकनीक का दुरुपयोग  हो रहा है।पिछले चार–पाँच वर्षों में सुरक्षा एजेंसियों ने चिंता जताई है कि पाकिस्तान से आने वाले ड्रोन रोज़मर्रा की घटनाओं में शामिल हो चुके हैं।इनसे भेजे जा रहे हैं
 
AK सीरीज की राइफलें, पिस्तौल ग्रेनेड RDस नकली मुद्रा
हेरोइन और ड्रग्स ।यह ड्रोन रात के अंधेरे में 5–7 किलो सामान लेकर 20–30 किमी भारत की सीमा तक आ जाते हैं।यह नया तरीका दो खतरों को जन्म देता है आतंकियों को बिना मानव जोखिम के हथियार मिल जाते हैं। इन हथियारों का नेटवर्क गैंगस्टरों, तस्करों और आतंकी संगठनों के गठबंधन को मजबूत करता है।. देश के भीतर का खतरा  गैंगस्टरआतंकी गठजोड़ भारत के लिए आज सबसे खतरनाक पहलू यह है कि आतंक फैलाने वाले कई मॉड्यूल अब अकेले नहीं चलते। वे देश के कुख्यात गैंगस्टरों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
 
 क्यों बढ़ रहा है गैंगस्टरों का प्रभाव?
जेलों से रिमोट-कंट्रोल की तरह अपराध संचालित करना सोशल मीडिया से भर्ती और धन उगाही विदेशों में बैठे गिरोह सरगनाओं की शरण हथियारों और ड्रग तस्करी से भारी फंडिंग से आंतरिक समस्या बढ़ रही है। इसी कारण कई आतंकी संगठन स्थानीय नेटवर्क को अपने काम में इस्तेमाल करने लगे हैं।  गैंगस्टरआतंकी गठजोड़ के परिणाम खतरनाक आते है। छोटे शहरों और गांवों तक हथियार पहुंचना स्थानीय अपराधियों का आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल धार्मिक और साम्प्रदायिक तनाव पैदा करना मुख्य कारण है। टारगेट किलिंग और फिरौती जैसी घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है।
 
इनका उद्देश्य देश को अस्थिर करना, युवा पीढ़ी को भ्रमित करना और समाज में भय का माहौल बनाना है।
दिल्ली हमला और NIA की जांच में अनेक रहष्य उजागर हुए है।हर पहलू उजागर करता है कि देश के लिए आतंकवाद की चुनौती भरपूर है।इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।दिल्ली में हाल में हुए आतंकी हमले ने सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट कर दिया। जांच में सामने आए कई पहलू चौंकाने वाले थे। हथियार ड्रोन से आए
मॉड्यूल में विदेशी फंडिंग के निशान,. स्थानीय गैंगस्टर की भूमिका सोशल मीडिया पर एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन  रेकी करने में युवाओं का इस्तेमाल आदि सभी पुलिस प्रशासन के लिये खतरनाक है। NIA ने पूरे मॉड्यूल को तोड़कर यह साफ किया कि यदि जांच एजेंसियाँ सक्रिय न हों तो आतंकी देश की राजधानी तक को निशाना बना सकते हैं।
 
बाहरी खतरों से बड़ी चुनौती आंतरिक आतंकवाद
हालाँकि पाकिस्तान, चीन और तालिबान समर्थित तत्वों से बाहरी खतरा हमेशा बना रहता है, लेकिन आज सबसे बड़ी चिंता यह है किभारत के लिए सबसे बड़ा खतरा अब देश के अंदर का आतंकवाद है।यह आतंकवाद दिखने में स्थानीय अपराध लगता है, लेकिन जड़ें अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़ी होती हैं। आज यह आंतरिक आतंकवाद तीन स्तरों पर काम कर रहा है। गैंगस्टर  क्रिमिनल नेटवर्क,कट्टरपंथी विचारधारा का प्रसारऔर राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने के प्रयास इन तीनों को मिलकर रोकना सबसे कठिन काम है।
 
भारत ने वर्षों तक आतंकवाद से जंग लड़ी है। लेकिन आज की परिस्थितियों में नई रणनीतियों की आवश्यकता है।  ड्रोन-रोधी तकनीक का राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार,सीमा क्षेत्रों में एंटी-ड्रोन गन और जैमिंग सिस्टम और आधुनिक रडार से 2–3 किमी दूर डिटेक्शन आदि समय की मांग है।BSF और सेना के लिए ड्रोन-वारफेयर प्रशिक्षण जरूरी है। गैंगस्टरों पर  जीरो टॉलरेन्स नीति व्यापक और मजबूत दृढ़ शक्ति की जरूरत है।
जेलों से होने वाले संचालन पर डिजिटल नकेल बहुत आवश्यक है। हाई-प्रोफाइल अपराधियों के लिए विशेष निगरानी की आवश्यकता है।विदेशों से चल रहे गैंगस्टर सिंडिकेट पर इंटरपोल की मदद से संपत्ति ज़ब्ती, आर्थिक कार्रवाई, और मनी ट्रेल पर रोक आदि निगरानी आतंकवाद को कमजोर करने में अहम भूमिका निभाएगा। सोशल मीडिया मॉनिटरिंग औरकट्टरपंथ फैला रहे खातों की तुरंत ब्लॉकिंग होनी चाहिए।
 
युवाओं की ब्रेनवाशिंग रोकने के लिए साइबर सेंटर्स और ऑनलाइन फंडिंग पर निगरानी करनी होगी। स्थानीय पुलिस का आधुनिकीकरण और थानों में तकनीकी प्रशिक्षण की पूर्व तैयारी आतंकवाद को जड़ से खत्म किया जा सकता है। ATS-SOG और NIA जैसी एजेंसियों से समन्वय औऱ शहरी और ग्रामीण इलाकों में विशेष खुफिया नेटवर्क बढ़ाया जाना चाहिए। शिक्षा, जागरूकता और समाज की भूमिका अहम है क्योकि आतंकवाद सिर्फ पुलिस से नहीं रुकता, बल्कि समाज की जागरूकता भी जरूरी है। युवाओं को कट्टरपंथ से बचाने के लिए काउंसलिंग जरूरी है। सामाजिक सद्भाव के कार्यक्रम शिक्षा और रोजगार के अवसर और धार्मिक संगठनों की सकारात्मक भूमिका आज के परिपेक्ष्य में खास स्थान रखती है। जीरो टॉलरेन्स क्या है और कैसे लागू हो सकती है? जीरो टॉलरेन्सका अर्थ है आतंकी गतिविधि का न तो समर्थन, न सहानुभूति, न अवसर।सिर्फ और सिर्फ कार्रवाई। जीरो टॉलरेन्स के मुख्य तत्व है उस पर अमल जरूरी है।
 
कानून का कठोरतम उपयोग UAPA, NSA, PMLA जैसे कानूनों का सख्त उपयोग औऱ आतंक से जुड़े हर व्यक्ति की गिरफ्तारी आवश्यक होनी चाहिए।आर्थिक जाल को तोड़ना हवाला नेटवर्क,फर्जी कंपनियाँ ड्रग तस्करी पर लगाम और. फास्ट ट्रैक कोर्ट के परिणाम आदि प्रणाली बहुत मददगार हो सकती है। अंतरराष्ट्रीय सहयोग और  आतंकी विचारधारा का दमन  के साथ हर समय जांच जरूरी है।सतर्कता ही सुरक्षा बहुत आवश्यक है।भारत जैसे विशाल, विविध और जनसंख्या वाले देश में आतंकवाद को रोकने की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है।हर स्तर पर सतर्कता और निरंतर जांच होनी चाहिए। सीमा पर सुरक्षा,हवाई अड्डों पर स्क्रीनिंग और बड़े शहरों में निगरानी भी उतनी ही आवश्यक है।साइबर अपराध की मॉनिटरिंग एवं स्कूल कॉलेजों में जागरूकता होनी ही चाहिए।
 
जब पूरा तंत्र हर समय सतर्क रहता है, तब आतंकवादियों के लिए कोई रास्ता नहीं बचता। भारत आतंकवाद से लड़ने की लंबी यात्रा तय कर चुका है। लेकिन आज जिस तकनीकी और नेटवर्क आधारित आतंकवाद का उदय हुआ है, वह पारंपरिक आतंकवाद से कहीं अधिक खतरनाक है।ड्रोन का इस्तेमाल,गैंगस्टर–आतंकी गठजोड़,सोशल मीडिया से कट्टरपंथ औ राजधानी तक हमलों की कोशिश करना यह सभी संकेत हैं कि लड़ाई अभी बाकी है। लेकिन अच्छी बात यह है कि भारत का सुरक्षा तंत्र, NIA, RAW, IB, BSF और राज्य पुलिस पहले से कहीं अधिक सक्षम, आधुनिक और सतर्क हैं। जीरो टॉलरेन्स ही वह रास्ता है जो भारत को सुरक्षित बना सकता है। इसके लिए सरकार, प्रशासन, समाज और नागरिक सभी को एक साथ खड़ा होना होगा।

About The Author

स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel